नई दिल्ली, एजेंसी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-2 को बहुत ही सफलता पूर्वक लांच किया और काफी हद तक इस मिशन में कामयाब रहे इसरो वैज्ञानिक। केवल अंतिम क्षणों में विक्रम लैंडर की लैंडिंग सही तरीके से नहीं हो पाई जिसकी वजह से इस अभियान में दिक्कत आई थी। अब इसरो प्रमुख के. सिवन ने कहा है कि वे विक्रम लैंडर की लैंडिंग के लिए कार्य योजना पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘हम विक्रम लैंडर की लैंडिंग के लिए प्रौद्योगिकी प्रदर्शित करना चाहते हैं।’वहीं, इससे पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा है कि चंद्रयान-2 आर्बिटर पर सवार चंद्रमा के वायुमंडलीय संरचना एक्सप्लोरर-2 (चेस-2) पेलोड ने आर्गन-4० का पता लगाया है। इसरो के अनुसार, चंद्रमा की परिक्रमा कर रहे आॅर्बिटर ने आर्गन-4० का पता लगभग 1०० किमी की ऊंचाई से लगाया है। इसरो ने कहा कि आर्गन-4०, नोबल गैस आर्गन का एक आइसोटोप है। आर्गन गैस चंद्रमा के बहिर्मंडल का एक प्रमुख घटक है। इसरो ने कहा कि प्लेनेटरी वैज्ञानिक चंद्र के चारों तरफ इस पतले गैसीय एनवेलप को ‘लुनर एक्सोस्फीयर’ कहते हैं। इसके बेहद सूक्ष्म होने के कारण गैस के परमाणु बेहद मुश्किल से एक दूसरे से टकराते हैं।