Aaj Samaj (आज समाज), ISRO News, चेन्नई:भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने रविवार को सिंगापुर के एक उपग्रह डीएस-एसएआर की छह अन्य स्वदेशी उपग्रहों के साथ सफल लांचिंग कर इतिहास रच दिया। सुबह 6.30 बजे इसरो के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से यह लांचिंग की गई। इसरो का रॉकेट पीएसएलवी सी56 इन उपग्रहों को लेकर अंतरिक्ष की ओर रवाना हुआ। इसरो ने मिशन को सफल बताया है।
उपग्रह सफलतापूर्वक निर्धारित कक्षा में स्थापित
मिशन की सफलता के बाद इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने सभी को बधाई दी और कहा कि पीएसएलवी-सी56 के जरिए लॉन्च किए गए मुख्य उपग्रह डीएस-एसएआर सहित सभी सात उपग्रह सफलतापूर्वक सही कक्षा में स्थापित हो गए हैं। इसरो ने बताया कि 360 किलो वजनी डीएस-सार उपग्रह सिंगापुर सरकार की प्रतिनिधि एजेंसी डीएसटीए और सिंगापुर की कंपनी एसटी इंजीनियरिंग के साथ विकसित किया गया है।
#WATCH | Indian Space Research Organisation (ISRO) launches its PSLV-C56 with six co-passenger satellites from Satish Dhawan Space Centre (SDSC) SHAR, Sriharikota.
(Source: ISRO) pic.twitter.com/2I1pNvKvBH
— ANI (@ANI) July 30, 2023
ट्विटर पर इसरो ने लिखा…
इसरो की ओर से कहा से गया कि उड़ान भरने के लगभग 23 मिनट बाद प्रमुख उपग्रह अलग हो गया और उसके बाद छह अन्य उपग्रह अलग हुए, जिन्हें क्रमानुसार निर्धारित कक्षाओं में स्थापित किया गया है। उपग्रहों के सफल प्रक्षेपण पर इसरो ने ट्विटर पर लिखा, पीएसएलवी-सी56/डीएस-एसएआर मिशन: मिशन पूरी तरह सफल रहा। पीएसएलवी-सी56 रॉकेट ने सभी सात उपग्रहों को उनकी निर्धारित कक्षाओं में सटीक रूप से प्रक्षेपित किया। अनुबंध के लिए एनएसआईएल इंडिया और सिंगापुर को धन्यवाद।
सातों उपग्रह की संक्षेप में जानकारी
- सिंगापुर का डीएस-सार उपग्रह सिंथेटिक अपर्चर रडार (सार) उपकरण से युक्त है। इसे इजरायज की अंतरिक्ष तकनीक क्षेत्र की कंपनियों ने बनाया है। हर मौसम व रात में भी यह उपग्रह काम करते हुए धरती की 1 मीटर सतह तक का डाटा उपलब्ध करवाएगा।
- वेलॉक्स-एएम : 23 किलो का यह माइक्रो उपग्रह तकनीक प्रदर्शन के लिए भेजा गया है।
- आर्केड: एटमॉस्फियर कपलिंग व डायनेमिक एक्सप्लोरर : यह एक प्रायोगिक उपग्रह है।
- स्कूब-2 : 3यू नैनो सैटेलाइट एक तकनीक प्रदर्शक उपकरण से युक्त है। इससे एक खास तरह के टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेशन का टेस्ट किया जा सकेगा।
- न्यूलियोन :यह एक अत्याधुनिक 3व नैनोसैटेलाइट है। इसके जरिए बिना किसी बाधा के शहरों और सुदूर इलाकों में इंटरनेनट आॅफ थिंग्स की सुविधा प्रदान की जाएगी।
- ग्लासिया-2 : यह भी 3यू नैनो सैटेलाइट है, जो पृथ्वी की निचली कक्षा में परिक्रमा करेगा।
- ‘ओआरबी-12 स्ट्राइडर’ उपग्रह अंतरराष्ट्रीय सहयोग से बना है। इसे सिंगापुर की एलियेना पीटीई लिमिटेड कंपनी ने बनाया है।
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