Earth Observation Satellite EOS-08, (आज समाज), नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आज अंतरिक्ष में एक और ऐतिहासिक उड़ान भरी है। संगठन ने सुबह आंध्र प्रदेश के श्री हरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केेंद्र से नए रॉकेट एसएसएलवी डी3 की लॉन्चिंग की। साथ ही ईओएस-08 मिशन के तौर पर नई अर्थ आब्जरवेशन सैटेलाइट की भी लॉन्चिंग की। यह उपग्रह सफलतापूर्वक कक्षा में पहुंच गया है और इससे आपदा को लेकर सटीक अलर्ट मिलेगा।
इसलिए अहम है यह मिशन
इसरो का यह मिशन भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया के लिए खास है. इसकी सफलता से भारत धरती की धड़कन को सुन सकेगा और साथ ही इससे प्राकृतिक आपदाओं की जानकारी समय रहते मिल जाएगी। मसलन इस सैटेलाइट से धरती की हलचल जैसे भूकंप, सुनामी या अन्य प्राकृतिक आपदाओं की जानकारी मिल सकेगी। इस अंतरिक्ष यान का मिशन जीवन एक वर्ष का है। इसका द्रव्यमान लगभग 175.5 किलोग्राम है और यह लगभग 420 वाट बिजली उत्पन्न करता है।
ये हैं 3 अत्याधुनिक पेलोड
ईओएस-08 में तीन अत्याधुनिक पेलोड-एक इलेक्ट्रो आप्टिकल इन्फ्रारेड पेलोड (ईओआईआर), एक ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम-रिफ्लेक्टोमेट्री पेलोड (जीएनएसएस-आर) और एक एसआईसी यूवी डोसिमीटर हैं। ईओआईआर पेलोड को मध्य-तरंग आईआर और लंबी-तरंग आईआर बैंड में दिन और रात दोनों छवियों को कैप्चर करने के लिए डिजाइन किया गया है, जो आपदा निगरानी से लेकर आग का पता लगाने और ज्वालामुखी गतिविधि अवलोकन तक के अनुप्रयोगों को सक्षम बनाता है। जीएनएसएस-आर पेलोड महासागर की सतह की हवा के विश्लेषण, मिट्टी की नमी के आकलन और बाढ़ का पता लगाने के लिए अभिनव रिमोट सेंसिंग क्षमताओं को प्रदर्शित करता है।
ईओएस-08 महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करने के लिए तैयार
ईओएस-08 में कई स्वदेशी विकसित घटक भी शामिल हैं, जिनमें सौर सेल निर्माण प्रक्रियाएं और माइक्रोसैट अनुप्रयोगों के लिए एक नैनो स्टार-सेंसर शामिल हैं। इसरो के अधिकारियों ने बतया था कि नवाचार के मकसद से मिशन की प्रतिबद्धता बेहतर प्रदर्शन के लिए एक्स-बैंड डेटा ट्रांसमिशन सिस्टम तक फैली हुई है। उन्होंने कहा था, अपने नियोजित एक वर्ष के मिशन जीवन के साथ, ईओएस-08 महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करने के लिए तैयार है, जो पृथ्वी की प्रणालियों की समझ को बढ़ाएगा और समाज व वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए लाभकारी अनुप्रयोगों की एक विस्तृत श्रृंखला का समर्थन करेगा।