इसरो ने लॉन्च किया PSLV-C54 रॉकेट, महासागरों के वैज्ञानिक अध्ययन और चक्रवातों पर रखेगा पैनी नजर

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ISRO Launched PSLV-C54 rocket

आज समाज डिजिटल, ISRO Launched PSLV-C54 rocket : इसरो ने आज श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में PSLV-C54 रॉकेट काे लॉन्च किया। तीसरी पीढ़ी के ओशियन-सैट का काम ह मुख्य रूप से महासागरों के वैज्ञानिक अध्ययन और चक्रवातों पर नजर रखना होगा। भारत का ताकतवर प्रक्षेपण वाहन पीएसएलवी-सी54 , शार रेंज से शनिवार को 11: 56 बजे अपने साथ 1,117 किलोग्राम वजनी अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट (ईओएस-06) और 8 नैनो उपग्रहों को लेकर अंतरिक्ष में रवाना हो गया।

24 घंटे की उलटी गिनती के बाद भरी 56वीं उड़ान

44.4 मीटर ऊंचे रॉकेट का यह पीएसएलवी-एक्सएल प्रारूप है, जिसमें 321 टन लिफ्ट ऑफ मास यानी खुद रॉकेट, बूस्टर, प्रोपेलेंट, उपग्रह व उपकरणों को अंतरिक्ष में ले जाने की क्षमता है। इसने 24 घंटे की सुचारू उलटी गिनती के बाद, प्रथम लॉन्च पैड से शानदार ढंग से अपनी 56वीं उड़ान भरी। इससे आसमान में नारंगी धुआं भर गया और इसकी गर्जना ने पृथ्वी को हिला दिया। 

बताया गया है कि इसरो के वैज्ञानिक इसे अब तक के सबसे लंबे मिशन में से एक मान रहे हैं। इसमें रॉकेट दो कक्षाओं में उपग्रह ले जाएगा। प्रक्षेपण के 20 मिनट बाद ओशियन-सैट धरती से 742 किमी की ऊंचाई पर छोड़ा जाएगा। इसके बाद रॉकेट पृथ्वी की ओर लाया जाएगा और 516 से 528 किमी ऊंचाई पर बाकी उपग्रह छोड़े जाएंगे। 

ये पीएसएलवी-सी54 प्रक्षेपण यान में इस्तेमाल होने वाले टू-ऑर्बिट चेंज थ्रस्टर्स (ओसीटी) का उपयोग करके कक्षाओं को बदलने के लिए रॉकेट को शामिल करेगा। अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट को ऑर्बिट-1 में अलग किया जाएगा। इसके बाद यात्री पेलोड को ऑर्बिट-2 में अलग किया जाएगा।

इंडिया-भूटान का ज्वाइंट सैटेलाइट (ISRO Launched PSLV-C54 rocket)

भूटानसैट (BhutanSat aka INS-2B). भूटानसैट यानी इंडिया-भूटान का ज्वाइंट सैटेलाइट है। यह एक टेक्नोलॉजी डिमॉन्सट्रेटर है जोकि नैनो सैटेलाइट है। डेटा रिसेप्शन भूटान में भारत के सहयोग से बनाए गए सेंटर में होगा लेकिन उससे पहले उसे इसरो हासिल करके उन्हें देगा। भारत ने इसके लिए भूटान को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की है. भूटानसैट में रिमोट सेंसिंग कैमरा लगे हैं।

यह रेलवे ट्रैक बनाने, ब्रिज बनाने जैसे विकास संबंधी कार्यों में मदद करेगा। इसमें मल्टी स्पेक्ट्रल कैमरा भी लगा है। इससे सामान्य तस्वीरों के साथ अलग-अलग प्रकाश तरंगों के आधार पर तस्वीरें भी मिलेंगी। भूटान में भारत ग्राउंड स्टेशन भी डेवलप कर रहा है. OceanSat-3 समुद्री सतह के तापमान (Sea Surface Temperature), क्लोरोफिल, फाइटोप्लैंकटॉन, एयरोसोल और प्रदूषण की भी जांच करेगा. यह 1000 किलोग्राम वजनी सैटेलाइट है।

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