आज समाज डिजिटल, (ISRO Biggest LVM3 Rocket): भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आज श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ब्रिटेन के 36 उपग्रहों की एक साथ लॉन्चिंग की। मिशन को एलवीएम3-एम3/वनवेब इंडिया-2 नाम दिया गया है ओर अंतरिक्ष में भेजे गए सभी उपग्रहों का कुल वजन 5805 किलोग्राम है। इसमें इसरो के 43.5 मीटर लंबे एलवीएम3 रॉकेट का इस्तेमाल किया गया। यह इसरो का सबसे भारी रॉकेट है।
- दुनिया में स्पेस आधारित ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवा में मिलेगी मदद
- सभी उपग्रहों का कुल वजन 5805 किलोग्राम
इसरो ने गत सप्ताह कहा था कि अगर यह लॉन्चिंग कामयाब होती है, तो यह वनवेब इंडिया-2 स्पेस में 600 से ज्यादा लोअर अर्थ आर्बिट सेटेलाइट्स के कान्स्टलेशन को पूरा कर लेगी और इससे दुनिया के हर कोने में स्पेस आधारित ब्रॉडबैंड इंटरनेट सर्विस मुहैया कराने की योजना में मदद मिलेगी। जिस लॉन्च पैड से चंद्रयान-2 मिशन समेत पांच सफल लॉन्चिंग हो चुकी हैं, वहीं से रविवार को 36 उपग्रहों की एक साथ लॉन्चिंग की गई। एलवीएम3 से चंद्रयान-2 मिशन सहित लगातार पांच सफल मिशन लॉन्च किए जा चुके हैं और रविवार को इस मिशन की छठी सफल उड़ान है। रॉकेट की लॉन्चिंग देखने के लिए श्रीहरिकोटा के स्पेसपोर्ट पर काफी लोग पहुंचे थे।
सफल लॉन्चिंग के बाद सभी ने ताली बजाई खुशी जाहिर की
सफल लॉन्चिंग के बाद सभी ने ताली बजाई खुशी जाहिर की। वनवेब के लिए इसरो की कमर्शियल यूनिट न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) का यह दूसरा मिशन रहा। नेटवर्क एक्सिस एसोसिएटेड लिमिटेड यानी वनवेब यूके की संचार कंपनी है। इसमें ब्रिटिश सरकार, भारत की भारती इंटरप्राइजेज, फ्रांस की यूटेलसैट, जापान का सॉफ्टबैंक, अमेरिका के ह्यूज्स नेटवर्क्स और दक्षिण कोरियाई डिफेंस कंपनी हनव्हा की हिस्सेदारी है। ये सैटेलाइट आधारित सेवा मुहैया कराने वाली संचार कंपनी है। इसका मुख्यालय लंदन में है।
इसरो के अधिकारियों ने पिछले हफ्ते सोमवार को ट्वीट कर एलवीएम3-एम3/वनवेब इंडिया-2 मिशन की लॉन्चिंग की जानकारी दी थी। बता दें कि वनवेब के 36 सेटेलाइट्स फ्लोरिडा से 16 फरवरी को ही भारत आ गए थे। इसरो की कॉमर्शियल फर्म एनएसआईएल ने वनवेब के 72 सेटेलाइट्स को दो चरणों में लॉन्च करने के लिए करीब एक हजार करोड़ के कॉन्ट्रैक्ट साइन किए हैं। वनवेब का 36 सैटेलाइट्स का पहला बैच एलएमवी3-एम2/वनवेब इंडिया-1 मिशन पिछले साल 23 अक्टूबर 2022 में लॉन्च किया गया था।
सबसे निचली कक्षा होती है लो अर्थ आर्बिट
लो अर्थ आर्बिट पृथ्वी की सबसे निचली कक्षा होती है और इसकी ऊंचाई पृथ्वी के चारों ओर 1600 किमी से 2000 किमी के बीच है। इस आर्बिट में किसी आॅब्जेक्ट की गति 27 हजार किलोमीटर प्रति घंटा होती है। यही वजह है कि ‘लो अर्थ आॅर्बिट’ में मौजूद सैटेलाइट तेजी से मूव करता है और इसे टारगेट करना आसान नहीं होता है।
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