Aaj Samaj (आज समाज), Islamic-Arab Summit, जेद्दाह: इजरायल के खिलाफ ठोस एक्शन पर मुस्लिम देशों में सहमति नहीं बनी है। गौरतलब है कि एक महीने से ज्यादा समय से इजरायल और फलस्तीन समर्थित संगठन हमास के बीच जंग चल रही है और इजरायल की ओर से हमास का वजूद खत्म करने के मकसद से गाजा में उसके आतंकियों को निशाना बनाकर ताबड़तोड़ हमले किए जा रहे हैं। दोनों पक्षों के अब तक 12 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं जिनमें हजारों बच्चे शामिल हैं। गाजी में इजरायली हमलों को लेकर चर्चा के लिए सऊदी अरब के जेद्दाह में 57 मुस्लिम देशों ने इस्लामिक अरब शिखर सम्मेलन किया और इस दौरान इजरायल के खिलाफ दिए गए प्रस्ताव पर सहमति नहीं बन सकी।
कुछ देशों ने की थी तेल सप्लाई रोकने की सिफारिश
सम्मेलन में पाकिस्तान, तुर्किए समेत कुछ देशों ने सीजफायर की मांग की थी। अल्जीरिया, लेबनान जैसे कुछ देशों ने इजरायल के लिए तेल की सप्लाई रोकने का प्रस्ताव दिया था लेकिन इस पर भी सहमति नहीं बन सकी। मीटिंग में कहा गया कि गाजा पर इजरायल के हमले गलत हैं और इजरायल का यह कहना कि वह आत्मरक्षा में हमले कर रहा है।
…तो फिर दूसरे देशों पर भी सीधा असर होगा
अरब लीग और आर्गनाइजेशन आफ इस्लामिक कॉपरेशन की मीटिंग में कहा गया कि इजरायल के हमले यदि जारी रहे तो फिर दूसरे देशों पर भी सीधा असर होगा और अब तक 12 हजार लोगों की मौत हो जाने से मिडिल ईस्ट के देशों में गुस्सा देखा जा रहा है। ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने कहा, इस्लामिक देशों को इजरायल की सेना को आतंकी संगठन घोषित करने की मांग की थी, लेकिन उस पर सहमति नहीं बन सकी। अरब देशों को उससे आर्थिक और कूटनीतिक संबंध खत्म कर देने चाहिए।
बहरीन और यूएई ने प्रस्तावों पर जताई आपत्ति
बहरीन और यूएई ने मीटिंग में रखे गए प्रस्तावों पर आपत्ति दर्ज कराई और अपना पक्ष भी रखा, जिससे प्रस्ताव खारिज हो गया। बता दें कि इजरायल के साथ बहरीन और यूएई ने 2020 में अपने संबंध सुधारे थे और अब्राहम अकॉर्ड पर समझौता हुआ था। सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद ने कहा, मीटिंग में कोई भी ठोस प्रस्ताव नहीं रखा जा सका, यह लगता है कि संगठन शक्तिहीन हो गया है। मिडिल ईस्ट के देशों को इजरायल के साथ कोई संबंध नहीं रखना चाहिए।
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