क्या सोनिया गांधी देश के कानून से बड़ी, जो उनसे जांच एजेंसियां पूछताछ नहीं कर सकती?: डॉ. महेंद्र

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Congress's Strong Performance Against ED
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डॉ महेंद्र ठाकुर
रविंद्रनाथ टैगोर का एक बड़ा सुप्रसिद्ध वाक्य है,”सत्य को हम अस्वीकार करते हैं, तभी सत्य के हाथों हमारी पराजय होती है।” भारत के संविधान के अनुसार इस देश का राजा (राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री) मतपेटियों से निकलेगा, ना कि किसी के पेट से। पेट से राजा निकलने की परंपरा खो गई है। अब भी इस देश में कुछ लोग ऐसी गलतफहमी में जी रहे हैं। इसका परिणाम क्या हुआ? उनकी दुर्गति।

पूछताछ और आंदोलन

ये बात जून 2022 की है, मैं दिल्ली में था। दिल्ली के खान मार्केट के अगल बगल का इलाका काफी पॉश माना जाता है। अपने एक मित्र के साथ उस एरिया में गाडी से जा रहा था। एक जगह काफी ट्रैफिक था और अधिकतर गाड़ियों पर राजस्थान के नंबर थे। पूछा इतनी सारी राजस्थान की गाड़ियां यहां एक साथ? तब ड्राइवर ने बताया कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी को ईडी ने पूछताछ के लिए बुलाया है। इसलिए ये सभी कांग्रेस के लोग राजस्थान से विरोध करने आये हैं। चौंक गया….विरोध करने के लिए राजस्थान से आये हैं! खैर फिर इधर-उधर की बातें होती रही। कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भारत की जांच एजेंसी पूछताछ के लिए बुलाती है तो दिल्ली में विरोध प्रदर्शन होते हैं। आखिर क्यों? यह प्रश्न मेरे दिमाग में था, लेकिन लिख न पाया था।

आखिर इस तरह के आंदालन क्यों

आजकल वही दृश्य दोहराया जा रहा है। कारण कई वर्षों से कांग्रेस की अध्यक्षा सोनिया गांधी को भी ईडी ने पूछताछ के लिए बुलाया है। फिर उसी तरह के विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। मेरे मन में फिर से वही प्रश्न उठा, आखिर क्यों? क्या सोनिया गांधी देश के कानून से बड़ी है, जो उनसे पूछताछ नहीं की जा सकती? आखिर सोनिया गांधी से पूछताछ करने में समस्या क्या है? कांग्रेस के नेता क्यों बौखलाए हैं। क्या उन्हें देश की जांच एजेंसियों और न्यायप्रणाली पर भरोसा नहीं है? क्या सोनिया गांधी आलोचना से परे हैं? इस विरोध प्रदर्शन में कांग्रेस के देशभर के नेता दिनभर धक्के खा रहे हैं। स्वयंभू राजकुमार राहुल तो सड़क पर लौट रहे हैं। कांग्रेस के छुटभैये नेता और अन्य, जिसको भी मीडिया पूछता है केवल एक ही राग अलापते नजर आते हैं ‘लोकतंत्र की हत्या’ हो रही है। शायद उनको किसी ने बताया नहीं कि अरे! भाई सोनिया गांधी या राहुल गांधी लोकतंत्र थोड़ी हैं। हत्या कहां हो रही है? इनसे तो पूछताछ हो रही है। क्या पूछताछ करना हत्या है? और फिर क्या कांग्रेस में लोकतंत्र है भी? जहां तक मुझे लगता है और अधिकतर भारतीय इस बात को मानते होंगे कि कांग्रेस में ‘परिवार तंत्र’ है। फिर लोकतंत्र की हत्या कैसे हुई?

अतीत में हुई थी लोकतंत्र की हत्या

इतिहास पर नजर मारें तो पता चलता है कि स्वतंत्र भारत में लोकतंत्र की हत्या तो सोनिया गांधी की सास और राहुल गांधी की दादी इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाकर की थी। बेचारे ये भाजपा वाले लोकतंत्र की क्या हत्या करेंगे? ये तो सबके तृप्तीकरण में लगे हैं, और इनकी तृप्तीकरण की प्यास ऐसी है कि अपने ही कार्यकर्ताओं की मौत या उनको मिलने वाली मौत की धमकियों को भी दरकिनार कर देते हैं। नेशनल हेराल्ड के केस में दोनों माँ बेटा जमानत पर चल रहे हैं। अब इसी केस में यदि ईडी इन दोनों को पूछताछ के लिए बुलाता है (जो ईडी का काम और अधिकारक्षेत्र है) तो फिर चापलूसी के चक्कर में कांग्रेस के लोग ये सब बबाल क्यों कर रहे हैं? मुझे तो हंसी आती है और तरस भी आता है की स्व. राजा वीरभद्र सिंह की धर्मपत्नी जो अपनी वृद्धावस्था में हैं और जिनको संभालने के लिए लोग साथ में चलते हैं, वो भी विरोध प्रदर्शन में धक्के खा रही हैं। कांग्रेस के लोग बोलेंगे कि ये उनका पार्टी के प्रति समर्पण है। मैं कहूंगा ये चापलूसी या मजबूरी है।

ढूंढने चाहिए इन सवालों के जवाब

यही समर्पण सोनिया गाँधी क्यों न दिखाती जब किसी दूसरे कांग्रेसी नेता को ऐसी पूछताछ के लिए बुलाया जाता है? इस प्रश्न का उत्तर ढूंढने की आवश्यकता है। यदि सोनिया गांधी या राहुल गांधी ने कुछ गलत नहीं किया है तो फिर पूछताछ से क्या समस्या ? कायदे से होना ये चाहिए था उन्हें इस जाँच में सहर्ष सहयोग करना चाहिए था और देश के सामने एक आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए था। लेकिन इन्होने तो आराजकता फैलाने का काम किया। राहुल गाँधी पर लिखे मेरे एक लेख राहुल ‘दी अनार्किस्ट’ गांधी की पुष्टि इस एपिसोड से भी होती है। जिस आदर्श की अपेक्षा मैं अपनी मूर्खतावश कांग्रेस के इन दिग्गज नेताओं से कर रहा हूँ वह आदर्श देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इतिहास में प्रस्तुत किया है। जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब कांग्रेस की यूपीए सरकार ने जाँच एजेंसियों के माध्यम से उन्हें अच्छे से ‘रोस्ट’ किया था। लेकिन उन्होंने सहर्ष सहयोग किया था और आज देश की जनता के हृदय पर राज करते हुए पूरी दुनिया में भारत का परचम लहरा रहे हैं।

फिर ऐसा व्यवहार किसलिए

कांग्रेस के नेता ऐसा व्यवहार कर रहे हैं जैसे वे इस देश के नागरिक ही नहीं हैं। भारत के कानून के समक्ष सभी बराबर है। तो फिर इनको विशेष ट्रीटमेंट की अपेक्षा क्यों? यदि बाकी लोग ईडी की जांच में बिना होहल्ला जा सकते हैं तो सोनिया, राहुल को समस्या क्यों? जब ईडी नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारुख अब्दुल्ला (सांसद) को बुला सकता है, तृणमूल कांग्रेस के अभिषेक बनर्जी (सांसद) को बुला सकता है, शिवसेना के संजय राउत (सांसद) और दुसरे नेता अनिल परब को बुला सकता है, एनसीपी के बड़े नेता अजित पवार और नबाब मलिक को बुला सकता है, महाराष्ट्र सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे अनिल देशमुख को बुला सकता है, कार्ति चिदंबरम (सांसद) को बुला सकता है, कर्नाटक के दिग्गज कांग्रेसी नेता डी शिवकुमार को बुला सकता है, दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को बुला सकता है, तो फिर राहुल गांधी और सोनिया गांधी को क्यों नहीं बुला सकता है? ये दोनों भी सांसद ही हैं। इन दोनों के मामले में इतना हंगामा क्यों बरपा हैं?

एक सवाल यह भी

अब प्रश्न उठ सकता है कि ईडी भाजपा वालों को क्यों न बुलाता? इसका सीधा सा उत्तर हैं जिन दलों के नेताओं को बुलाया जा रहा है वो दल और लोग मंथन करे कि उनके ऊपर ऊँगली क्यों उठ रही है? जहाँ तक ईडी जैसी जाँच एजेंसियों का प्रश्न है तो भारत की न्यायप्रणाली और संविधान के अनुसार कार्य करने वाली ये एजेंसियां कोई भी कदम बिना विस्तृत वर्कआउट के नहीं उठाती हैं, ऐसा मेरा मत है। इसलिए एजेंसियों को अपना काम करने देना चाहिए, कांग्रेस के नेता इस तरह का हंगामा करके शायद पार्टी की डूबती हुई नैया को पार लगाने के लिए अपने कार्यकतार्ओं में जोश भरने का प्रयास कर रहे हैं या फिर मीडिया और सोशल मीडिया के लिए सामग्री जुगाड़ रहे हैं। लेकिन यह अब स्थापित सत्य है कि ऐसे अराजकतापूर्ण हंगामे करने से भारत की प्रबुद्ध जनता इनको गंभीरता से नहीं लेने वाली।

डॉ. महेंद्र ठाकुर, हिमाचल प्रदेश आधारित फ्रीलांसर स्तंभकार हैं साथ ही कई बेस्टसेलर और सुप्रसिद्ध पुस्तकों के हिंदी अनुवादक भी हैं। इनका ट्विटर हैंडल @@Mahender_Chem है।