क्या हिंदुस्तान में हिन्दू होना गुनाह है?

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Is it a crime to be a Hindu in India?
Is it a crime to be a Hindu in India?
  • कोई भी ऐरा-गैरा प्रसिद्धि पाने और हिन्दुओं की भावनाओं को आहत पहुंचा देता है

डॉ. महेंद्र ठाकुर: बात 2013 की है, उन दिनों मैं जबलपुर में था। 2103 अर्थात देश में कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए की सरकार थी। देश 2014 में होने वाले लोकसभा चुनावों की दहलीज पर था। उन दिनों पंजाब केसरी समाचार पत्र के संपादक अश्वनी कुमार की एक पुस्तक पढ़ी थी जिसका जिसका शीर्षक था,”क्या हिंदुस्तान में हिन्दू होना गुनाह है?” अश्वनी कुमार ने इस पुस्तक में बहुत से ऐतिहासिक और उस समय के हिसाब से वर्तमान उदाहरण देकर हिन्दुओं की दुर्दशा की ओर ध्यानाकर्षण कराने का प्रयास किया था।

कांग्रेस सरकार और हिन्दुओं की दुर्गति, इसे समझना बड़ा सरल

खैर! कांग्रेस सरकार और हिन्दुओं की दुर्गति, इसे समझना बड़ा सरल सा काम है। इस पर ज्यादा लिखने की आवश्यकता नहीं। अब आज की बात करते हैं, क्योंकि आज तो राष्ट्रवादी कहलाने वाली भाजपा की सरकार है। पिछले कुछ समय से देश में अनेकों ऐसी घटनाएं घटी हैं कि 2013 में कांग्रेस सरकार के समय अश्वनी कुमार ने जो प्रश्न खड़ा किया था वह आज भी यथावत खड़ा दिखता है,”क्या हिंदुस्तान में हिन्दू होना गुनाह है?”

कोई भी सामान्य व्यक्ति यह समझ सकता है कि आखिर देश में क्या चल रहा है

इतनी सारी घटनायें हुई हैं की यदि सबका उल्लेख किया जाए तो एक पुस्तक ही बन सकती है। खैर! उदाहरण स्वरुप देखते हैं तो वर्तमान में प्रचलित भाजपा से निष्काषित नूपुर शर्मा और तथाकथित फेक न्यूज़ चेकर मोहम्मद ज़ुबैर का प्रकरण देख सकते हैं। पत्रकार शिव अरूर ने तो शो करके दोनों के मामले में देश के सर्वोच्च न्यायलय के माननीय न्यायधीशों की टिप्पणियों का दिखाया है। कोई भी सामान्य व्यक्ति यह समझ सकता है कि आखिर देश में क्या चल रहा है और यह बड़े और ऊपरी स्तर पर चल रहा है।

आखिर नूपुर का दोष क्या था?

एक तरफ नूपुर शर्मा (हिन्दू) को बिना अपराध सिद्ध हुए ही डाँट फटकार लगाई गई, वहीं ज़ुबैर (मुस्लिम) को यह कहते हुए राहत दी गई कि हम किसी को ट्वीट करने से नहीं रोक सकते। बड़ी अजीब बात है ये! आखिर नूपुर का दोष क्या था? यह एक ऐसा विषय है जो सबको समझ आ चूका है, लेकिन हमारी न्याय प्रणाली को नहीं। नूपुर शर्मा को उकसाने वाला तस्लीम रहमानी आज भी टीवी डिबेट में अपने गंदे मुँह से गंदगी उगलता रहता है। उसको किसी व्यक्ति, सरकार या न्यायालय का कोई डर नहीं है, जबकि नूपुर को सुरक्षा के साये में जीवन जीना पड़ रहा है। इसलिए यह प्रश्न आज भी बनता है,”क्या हिंदुस्तान में हिन्दू होना गुनाह है?”

मैं एक हिन्दू हूँ। क्या हिन्दू होना पाप है?

दूसरा उदाहरण: 18 जुलाई को अंग्रेजी समाचार पत्र “दी हिन्दू” में एक समाचार छपा था जिसका शीर्षक था,”आई एम ए हिन्दू। इज इट ए सिन टू बी ए हिन्दू? अर्थात मैं एक हिन्दू हूँ। क्या हिन्दू होना पाप है? यह शब्द किसी और के नहीं बल्कि इसरों के सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक नांबी नारायणन के हैं। नांबी नारायणन का प्रकरण भी देश के सामने हैं, लेकिन हिंदुस्तान में उनके साथ क्या हुआ।
उन्हें वर्षों तक जेल में रहना पड़ा, कई वर्षों तक कोर्ट में केस लड़ना पड़ा। और वृद्धावस्था के चरम पर उनको न्याय मिला। लेकिन फिर ज़ुबैर का प्रकरण देखिए जिस पर दंगे भड़काने का आरोप है, और न जाने किस-किस कोण से भारत की कई जांच एजेंसियां जांच कर रही है। उसे बड़ी आसानी से जमानत मिल जाती है। तब प्रश्न उठना स्वाभाविक है,”क्या हिंदुस्तान में हिन्दू होना गुनाह है?”

सनातन धर्म के जानकार इस बात को जानते हैं कि भगवान् शिव मान अपमान से परे

तीसरा उदाहरण: काशी विश्वनाथ की नगरी बनारस में एक मस्जिद में भगवान शिव के प्रतीक ‘शिवलिंग’ मिलने की घटना पूरी दुनिया ने देखी। सदियों से वहाँ नमाज पढ़ने वाला मुस्लिम समाज कदाचित इस बात को जानता होगा। लेकिन जब यह शिवलिंग प्रकट हुआ तो उसके बाद हिन्दुओं के आराध्य देव शिव का इस्लामवादियों की ओर से किस तरह का घृणित अपमान सार्वजनिक मंचों और न्यूज़ चैनलों पर किया गया यह भी सबने चुपचाप देखा है। खैर! सनातन धर्म के जानकार इस बात को जानते हैं कि भगवान् शिव मान अपमान से परे हैं। लेकिन उनकी आराधना करने वाले हिन्दुओं की भावनाएं जरूर आहत होती हैं। ऐसे में प्रश्न उठता है,”क्या हिंदुस्तान में हिन्दू होना गुनाह है?”

क्या हिन्दू गाजर मूली है कि जब मन करे उनको काट दिया जाएगा

चौथा उदाहरण: महाराणाओं की धरती राजस्थान तो वर्तमान कांग्रेस सरकार के राज में हिन्दुओं के लिए नरक बनी हुई है। रोज कुछ न कुछ हिन्दू विरोधी काण्ड होते रहते हैं। राजस्थान के उदयपुर में इस्लामवादियों ने एक हिन्दू कन्हैया लाल को एक फेसबुक पोस्ट के लिए मार दिया। मारने की घटना का वीडियो बनाया, हथियार चमकाए, वीडियो वायरल किया। क्या हिन्दू गाजर मूली है कि जब मन करे उनको काट दिया जाएगा। काफिरफोबिया इतना भयंकर हो चुका है कि काफिरों स्पष्ट रूप से हिन्दुओं को निपटाने के लिए थूक जिहाद, लव जिहाद, लैंड जिहाद, व्यापार जिहाद, हेल्थ जिहाद और आजकल नया सामने आया बाढ़ जिहाद (असम में नदी तटबंध तोड़कर सिल्चर में बाढ़ आयी) और न जाने कौन-कौन सा जिहाद चल रहा है।

अभी अभी इस इस्लामवादी संगठन का विजन 2047 सामने आया है

बड़े आश्चर्य की बात है कि हर घटना में इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट को इंडिया का नाम मीडिया के माध्यम से देश के सामने आता है। अभी अभी इस इस्लामवादी संगठन का विजन 2047 सामने आया है जो इस देश को इस्लामिक बनाना चाहता है। भारत इस्लामिक तभी बनेगा जब हिन्दू समाप्त होगा। लेकिन भाजपा सरकार ने आज तक देश में उपद्रव कराने वाले इस संगठन पर प्रतिबंध नहीं लगाया है। इसलिए प्रश्न शास्वत खड़ा है,”क्या हिंदुस्तान में हिन्दू होना गुनाह है?”

आए दिन कोई न कोई अहिन्दु कोई भी फतवा जारी कर देता है

पांचवा उदाहरण: कर्नाटक से उठा हिजाब और बुर्खा बबाल देश दुनिया में हेडलाइंस बना, यहाँ तक कि सुप्रीम कोर्ट तक के दरवाजे तक खटखटाए गए। लेकिन चंदन टीका, शिखा, कलावा, मेहंदी आदि लगाकर शिक्षण संस्थानों में जाने वाले हिन्दुओं की पिटाई के समाचार केवल समाचार बनकर रह जाते हैं। लावण्या की आत्महत्या (हत्या) की घटना ज्यादा पुरानी नहीं है, उसने स्वयं बताया था कि उस पर धर्मपरिवर्तन का दबाब था।
सबसे बड़ा मुखौटा तो तब उतरा जब अजमेर जाकर झोलियाँ लुटाने वाले हिन्दुओं के गाल पर दरगाह के खादिम ने चांटा मारा और वीडियो बनाकर नूपुर शर्मा का सर काटने वाले को अपना घर इनाम देने का फरमान जारी किया। आए दिन कोई न कोई अहिन्दु कोई भी फतवा जारी कर देता है। जबकि देश में हिन्दू बहुसंख्यक है और पीड़ित हैं। डर के माहौल में जी रहे हैं। अब तो पुलिस कर्मियों को भी निशाना बनाना शरू कर दिया गया है। क्या ऐसे माहौल में ये प्रश्न नहीं उठना चाहिए, “क्या हिंदुस्तान में हिन्दू होना गुनाह है?”

ये अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता वाले इस्लाम के बारे में ऐसा कुछ बोल कर दिखाएं?

छठा उदाहरण: कोई भी ऐरा-गैरा प्रसिद्धि पाने और हिन्दुओं की भावनाओं को आहत करने के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर कुछ भी उगल देता है और एक इको सिस्टम उसका साथ देता है। हिन्दुओं की आराध्य देवी ‘माँ काली’ को अभिनय के नाम पर किसी अभिनेत्री को सिगरेट पीते हुए दिखाना और तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा द्वारा अभद्र टिप्पणी करना कुछ ऐसा ही है। पूरा हिन्दू समाज चाहता है कि ये अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता वाले इस्लाम या फिर ईसाइयत के बारे में ऐसा कुछ बोल कर दिखाएं?
अभद्रता की ऐसी कोई पराकाष्ठा नहीं है जिसको ये पार नहीं करते
लेकिन ये ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि ये सभी हिन्दू विरोधी उसी इको सिस्टम का हिस्सा हैं जो नूपुर शर्मा को मिलने वाली धमकियों, कन्हैया लाल की हत्या, लावण्या की धर्मांतरण के लिए विवश होकर आत्महत्या और किशन भरवाड़ की हत्या को सही ठहराते हैं।
ये वही छद्म लोग हैं जो दंगा भड़काने वाले, विदेशों में भारत की छवि धूमिल करने वाले, हिन्दुओं के देवी देवताओं पर अभद्र टिप्पणियां करने वाले ज़ुबैर के खिलाफ होने वाली कार्यवाही को नाजायज ठहराते हैं, सोशल मीडिया पर ट्रेंड करवाते हैं, सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच जाते हैं। अभद्रता की ऐसी कोई पराकाष्ठा नहीं है जिसको ये पार नहीं करते। लेकिन सजा केवल हिन्दू पाता है। ऐसे में ये प्रश्न क्यों न पूछा जाए,”क्या हिंदुस्तान में हिन्दू होना गुनाह है?”
हिन्दू समाज भी इस प्रश्न पर विचार करे
लेख बहुत लम्बा हो जाएगा, यह केवल इसलिए लिखा गया कि हिन्दू समाज भी इस प्रश्न पर विचार करे। सरकार आपके लिए हर काम नहीं कर सकती। और यदि सरकारें इसे पढ़ती है तो इस प्रश्न का उत्तर जरूर दें,”क्या हिंदुस्तान में हिन्दू होना गुनाह है?” चलते चलते बता दूँ कि हाल ही में एक वीडियो मध्यप्रदेश के उज्जैन से वायरल हुआ है।
जिसके अनुसार बजरंग दल के कार्यकर्ता आयुष जाधव पर नुपुर शर्मा का समर्थन करने पर 10 से अधिक जिहादियों जानलेवा हमला किया गया है और वह अस्पताल में जीवन का संघर्ष लड़ रहा है। हिन्दू समाज इस बात को ध्यान में रखकर अपने परिवार स्तर पर योजना और काम करे,”जो इतिहास भूल जाते हैं, उनका भूगोल बदल जाता है।”
(डॉ. महेंद्र ठाकुर, हिमाचल प्रदेश आधारित फ्रीलांसर स्तंभकार हैं साथ ही कई बेस्टसेलर और सुप्रसिद्ध पुस्तकों के हिंदी अनुवादक भी हैं। इनका ट्विटर हैंडल @Mahender_Chem है।)

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