Paris Olympics Winner manu bhaker, (आज समाज), नई दिल्ली: पेरिस ओलंपिक में देश को दो कांस्य पदक दिलाने वाली हरियाणा निवासी निशानेबाज मनु भाकर का प्रबंधन करने वाली कंपनी आईओएस स्पोर्ट्स एंड एंटरटेनमेंट कथित तौर पर उन ब्रांडों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने जा रही है, जिन्होंने मनु को प्रायोजित किए बिना बधाई विज्ञापनों में उनकी तस्वीरें व वीडियो का इस्तेमाल किया है। बता दें कि मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक में सबसे पहले 28 जून को कांस्य पदक जीता था।
भेजा जाएगा कानूनी नोटिस
एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय ओलंपिक पदक विजेता की तस्वीरों या वीडियो का इस्तेमाल करने वाले ब्रांडों को एथलीट के व्यक्तित्व अधिकारों के उल्लंघन के लिए कानूनी नोटिस भेजे जाने की तैयारी है। रिपोर्ट के अनुसार, मनु भाकर वर्तमान में केवल परफॉर्मैक्स एक्टिववियर का प्रचार करती हैं, जो एक स्पोर्ट्स गियर व फिटनेस फैशन कंपनी है। हालांकि, लगभग आधा दर्जन अन्य ब्रांड प्रायोजन सौदों के लिए उनके संपर्क में हैं।
इन ब्रांड्स ने सोशल मीडिया पर दी बधाई
बजाज फूड्स, कपीफिट, एलआईसी, फिटजी, बीएससी इंटीरियर्स, ओकवुड इंटरनेशनल स्कूल और किनेटो जैसे ब्रांड्स ने सोशल मीडिया पर उन्हें जीत की बधाई दी। हालांकि, इनमें से किसी भी ब्रांड ने पहले कभी उन्हें प्रायोजित नहीं किया है या ये किसी भी तरह से उनसे जुड़े नहीं है।
भारतीय विज्ञापन मानक परिषद की भूमिका
अतीत में, भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) ने ऐसे ब्रांडों की आलोचना की है। टोक्यो ओलंपिक 2020 के दौरान, एएससीआइ ने इस बात पर प्रकाश डाला कि एथलीटों की जीत का बिना अनुमति लाभ उठाने वाले ब्रांड उसके कोड का उल्लंघन करते हैं।
परिषद कोड के अनुसार, विज्ञापनों में संदर्भित व्यक्ति, फर्म या संस्था की अनुमति के बगैर ऐसे व्यक्ति का कोई संदर्भ नहीं होना चाहिए, जो विज्ञापित उत्पाद पर अनुचित लाभ प्रदान करता हो या व्यक्ति, फर्म या संस्थान को उपहास या बदनामी में लाने की प्रवृत्ति रखता हो। यदि जब एएससीआई द्वारा ऐसा करने के लिए कहा जाएगा, तो विज्ञापनदाता और विज्ञापन एजेंसी को उस व्यक्ति, फर्म या संस्था से स्पष्ट अनुमति प्रस्तुत करनी होगी, जिसका संदर्भ विज्ञापन में दिया गया है।
2021 में पीवी सिंधु के मामले में हो चुकी है कार्रवाई
2021 में, पीवी सिंधु और उनकी एजेंसी, बेसलाइन वेंचर्स ने उनकी सहमति या उचित अनुमति के बिना उनकी छवि और नाम का उपयोग करने के लिए 20 ब्रांडों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की। एजेंसी ने 5 करोड़ रुपए का हर्जाना मांगा था।