पुलिस भर्ती पेपर लीक मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर

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Investigation of police recruitment paper leak case handed over to CBI
आज समाज डिजिटल,शिमला:
हिमाचल प्रदेश सरकार ने बहुचर्चित पुलिस भर्ती पेपर लीक मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला किया है। पुलिस भर्ती पेपर लीक मामले की सीबीआई जांच प्रारंभ होने तक एसआईटी मामले की जांच करती रहेगी। मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी ने मुख्य आरोपी शिव बहादुर सिंह को बनारस व एक अन्य आरोपी अमन को बिहार से गिरफ्तार किया है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मंगलवार को यहां मीडिया से बात करते हुए यह जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि एसआईटी ने इस मामले में अब तक 73 गिरफ्तारियां की हैं। इनमें परीक्षा देने वाले 38 अभ्यर्थी भी हैं। अभ्यर्थियों को तकनीकी तौर पर गिरफ्तार किया गया है। दो अभ्यर्थियों के पिता को भी गिरफ्तार किया गया है। मामले में एसआईटी ने प्रदेश के बाहर के 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया।

पेपर लीक मामले में 8.49 लाख की नगदी भी जब्त

जयराम ठाकुर ने कहा कि पेपर लीक मामले में 8.49 लाख की नगदी भी जब्त की गई। इसके अलावा अभ्यर्थियों के 10वीं व 12वीं के कुछ सर्टिफिकेट, एक स्विफ्ट कार, 15 मोबाइल व लैपटॉप भी एसआईटी ने अपने कब्जे में लिए हैं। उन्होंने कहा कि पेपर लीक मामला सरकार के संज्ञान में आने के बाद इसे लेकर एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए गए। साथ ही भर्ती परीक्षा को रद्द किया गया। उन्होंने कहा कि मामले की जांच को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। पेपर लीक मामले के तार बाहरी राज्यों से जुड़े होने की वजह से सरकार ने इसकी निष्पक्ष जांच को लेकर इसे सीबीआई के हवाले करने का फैसला लिया है।  एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि एसआईटी ने बेहतरीन कार्य किया है। मामले में पुलिस के अधिकारियों की भूमिका को लेकर पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सीबीआई जांच में सब कुछ सामने आएगा। उन्होंने कहा कि पेपर लीक मामले को लेकर सवाल उठाने वालों के अपनी सरकार के कार्यकाल को भी पीछे मुड़ कर देखना चाहिए।

परीक्षा में 70 अंक लेने वाले अभ्यर्थियों को प्रदेश से जुड़े साधारण सवालों के जवाब भी नहीं दे सके

मुख्यमंत्री ने कहा कि पेपर लीक मामले में जांच के दौरान परीक्षा में अच्छे अंक लेने वाले अभ्यर्थियों को रैंडम आधार पर
चयनित कर उनसे प्रश्न पूछे। मगर हैरानी की बात यह है कि परीक्षा में 70 अंक लेने वाले अभ्यर्थियों को प्रदेश से जुड़े साधारण सवालों के जवाब भी नहीं आ रहे थे। लिहाजा शंका गहरा गई और सरकार ने परीक्षा को रद्द किया।