अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर काव्य गोष्ठी आयोजित,हिंदी को मातृभाषा नहीं मैत्री भाषा बनाएं : अंजू सिहाग International Mother Language Day

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International Mother Language Day
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मनोज वर्मा,कैथल:
International Mother Language Day : आधारशिला पब्लिक स्कूल, जींद की निदेशक एवं प्राचार्या अंजू सिहाग ने आज यहां विरासत मंच कैथल द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर आयोजित एक काव्य गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करते हुए कहे।

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विभिन्न स्थानों से लेखक एवं लेखिकाओं ने कविताओं के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज की (International Mother Language Day)

उन्होंने कहा कि, हिंदी का महत्व किसी भी युग में कम हो नहीं सकता, क्योंकि हिंदी हैं हम, वतन है हिंदुस्तां हमारा। उल्लेखनीय है कि, आज आयोजित इस काव्य गोष्ठी में विभिन्न स्थानों से लेखक एवं लेखिकाओं ने कविताओं के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। इस गोष्ठी की अध्यक्षता चरखी दादरी से डॉ अनीता भारद्वाज अर्णव ने की एवं कार्यक्रम का संचालन कैथल के साहित्यकार डॉ प्रद्युम्न भल्ला ने किया। गूगल मीट के माध्यम से आयोजित इस गोष्ठी में अनेक स्थानों से अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई गई।

जिसमें डॉ तेजिंदर ने अपनी बात रखते हुए कहा, हे बंगला भाषा के वीरो, तुम संस्कृति के सच्चे हीरो। अंजू सिहाग ने मुख्य अतिथि के तौर पर बोलते हुए अपनी कुछ पंक्तियां भी इस प्रकार व्यक्त की, अपनेपन की चली हवाएं, हिंदी के श्रृंगार से, हिंदी स्वर बुला रहे हैं, सात समुंदर पार से। इसी प्रकार पाई से सतपाल पाराशर आनंद ने अपनी बात कुछ इस तरह कही, उपवन में सुंदर खग प्यारे, गाएं निज भाषा में तारे।

सभी कवियों ने बढ़ चढ़ कर लिया भाग (International Mother Language Day)

कैथल के ही देसी कवि सतवीर जागलान ने हरियाणवी भाषा में अपनी बात रखते हुए कहा, सांस सांस में बसै ऐसे हिंदी, मेरे शरीर की जान सै हिंदी। इसी कड़ी में डॉ संध्या आर्य ने कहा, भाषा की है क्या परिभाषा, कोई हमें समझे ये है आशा। राज बेमिसाल ने अपनी बात रखते हुए इस तरह से अपनी हाजिरी लगवाई, हृदय से बह रही हो, हृदय में रह रही हो, हिंदी है मेरी भाषा, यही है मेरी अभिलाषा। मधु गोयल ने हिंदी के प्रति अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा, जैसे बिंदी से माथे का मान रे, हिंदी भारत की आन बान शान रे।

इसी कड़ी में कवियत्री नीरू मेहता ने कहा, मैं खुशनसीब हूं मेरी मातृ भाषा है हिंदी, मैं महफूज़ हूं जब तक मेरी मां के माथे पर बिंदी। कुरुक्षेत्र से पधारी कवियित्री डॉक्टर ममता सूद ने कहा हिंदी है हिंदुस्तान की, शान है हिंदुस्तान की। इसी कड़ी में पंचकूला से कृष्णा गोयल ने अपनी बात कुछ इस ढंग से रखी कि, आओ हिंदी भाषा को प्रणाम करें, मन से इसका सम्मान करें।

सभी कवियों के उद्गार सुनने का अवसर मिला (Latest Kaithal News)

उल्लेखनीय है कि, इस काव्य गोष्ठी में गुरुग्राम से डॉ सारस्वत मोहन मनीषी, ललित मेहता, पंकज आत्रेय आदि साहित्यिक रुचि संपन्न व्यक्तियों ने भी शिरकत की। गोष्ठी को संबोधित करते हुए अध्यक्षयीय टिप्पणी के रूप में डॉ अनीता भारद्वाज अर्णव ने कहा कि, आज अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर आयोजित गोष्ठी में उन्हें सभी कवियों के उद्गार सुनने का अवसर मिला। (International Mother Language Day) इस अवसर पर उन्होंने अपने मन के भाव दोहे के रूप में कुछ इस प्रकार व्यक्त किये, झरने सा जल है मधुर , बहता है चहुँ ओर। ताम रसों सा खिल उठा, अंगों का प्रतिपोर। अंजू सिहाग ने भी सभी उपस्थित विद्वतजनों का आभार व्यक्त किया।

कार्यक्रमों को साकार रूप में जुडने पर सबका आभार जताया (International Mother Language Day)

अंत में डॉ प्रद्युम्न भल्ला ने विरासत मंच की ओर से सभी का सम्मान करते हुए अपना धन्यवाद ज्ञापित किया और भविष्य में भी इसी प्रकार आभासीय रूप में अथवा साकार रूप में जुडक़र अनेक कार्यक्रमों को अंजाम देने की बात कही। लगभग दो घंटे चली इस काव्य गोष्ठी में विभिन्न स्थानों से जुड़े लेखकों ने अपनी मातृभाषा हिंदी के प्रति अपने प्रेम को शब्दों के माध्यम से पिरो कर गोष्ठी को हिंदीमय बना दिया।

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