Aaj Samaj (आज समाज), International Gita Mahotsav, कुरूक्षेत्र,12 दिसंबर, इशिका ठाकुर :
गौ रक्षा के लिए इन महिलाओं ने पंचगव्य को बनाया स्वयं रोजगार, अब गाय के पंचगव्य से बना सामान पहुंचा गीता जयंती। गीता जयंती पहुंच रहे लोग खूब खरीद रहे यह सामान। न केवल गौ रक्षा बल्कि इससे महिलाएं बन रही आत्मनिर्भर
गाय को हिंदू धर्म में मां का दर्जा दिया गया है यह माना गया है कि गाय में सभी देवी देवताओं का आवास होता है इसीलिए सरकार व कई संस्थाएं गौ रक्षा को लेकर कार्य करती नजर आती है। अब गुजरात की कुछ महिलाओं ने गौ रक्षा के लिए एक नया उपाय निकाला है यह महिलाएं गाय के पंचगव्य से घर में इस्तेमाल किया जाने वाला विभिन्न प्रकार का समान तैयार कर रही है और इस सामान की प्रदर्शनी कुरुक्षेत्र गीता जयंती महोत्सव पर लगाई गई है।
सिमरन आर्य वह महिला जो मुख्य रूप से इस स्टॉल को संभाल रही है उनका कहना है कि वह मुख्य रूप से गुजरात की रहने वाली है और पानीपत में दूसरी महिलाओं के साथ मिल पंचगव्य से घर में इस्तेमाल किए जाने वाला समान तैयार कर रही है उनका मानना है कि यह गौ रक्षा में भी लाभकारी है क्योंकि लोग अक्सर दूध न देने वाली गायों को सड़क पर भटकने के लिए छोड़ देते हैं या फिर उन्हें कुछ ऐसे लोगों के हाथों बेच दिया जाता है जो आगे जाकर गाय की हत्या कर उसका मांस बाजार में बेचते हैं, साथ उन्होंने कहा कि पंचगव्य से बना सामान स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। वह जो भी सामान तैयार कर रही हैं उसमें गाय के दूध ,दही ,घी,छाछ के साथ साथ गोमूत्र और गाय के गोबर का भी इस्तमाल किया जाता है। यह सभी सामान महिलाओं के द्वारा तैयार किया गया है जिससे महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि उनका मुख्य उद्देश्य यह है कि गाय को बचाया जाए लेकिन उसके साथ वह इस काम पर भी जोर दे रही है कि जो महिलाएं अपने घर में रहकर अपने परिवार के लिए काम कर रही हैं वह अपने खाली समय में उनके साथ मिलकर काम करें और खुद को स्वावलंबी बनाये। ताकि उनको किसी के ऊपर भी आत्मनिर्भर नहीं होना पड़े और उसके अच्छे परिणाम भी उनको मिल रहे हैं।
उनके साथ मिलकर 162 महिलाएं काम कर रही हैं जिनमें से ऐसी बहुत सी महिलाएं हैं जो उनसे काम सीख कर खुद का काम कर रहे हैं। जिसके चलते उनका महिलाओं का काफी सहयोग प्राप्त हो रहा है और अपने इस काम के जरिए उनके साथ सैकड़ो महिलाओं की रोजी-रोटी चल रही है। उन्होंने कहा कि जो भी महिला यह काम सीखना चाहती है वह हमारे साथ मिलकर काम कर सकती है और उनको फ्री में पंचगव्य से बने हुए सामान बनाने की पूरी ट्रेनिंग दी जाती है। ऐसी सैकड़ो महिलाये हैं जो उनके द्वारा काम सिख कर अपना खुद का काम कर रही है।
उन्होंने कहा कि गाय से जुड़े हुए जितने भी प्रकार के उत्पाद वह बना सकते हैं वह सभी उत्पाद बना रहे हैं और सभी उत्पाद बिना केमिकल के होते हैं एक प्रकार से पर्यावरण के लिए भी काफी अच्छे होते हैं। उन्होंने कहा कि वह पंचगव्य से दिए, अगरबत्ती मूर्ति और भी बहुत प्रकार के समान बनकर तैयार कर रहे हैं। उनके बनाए हुए सामान में किसी भी प्रकार का केमिकल प्रयोग नहीं किया जाता है जिसके चलते उसका डीकंपोज भी आसानी से किया जाता है जिसे वातावरण पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता.
उन्होंने कहा कि जो सामान वह बना रहे हैं अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव पर आए हुए पर्यटकों के द्वारा उसको खूब पसंद किया जा रहा है, अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव पर वह दूसरी बार आए हैं लेकिन उनका काफी प्यार मिल रहा है और लोग उनके सामान की खूब खरीदारी कर रहे हैं। और वह यह कहते हैं कि एक बार उनके प्रोडक्ट प्रयोग करके देखें, अच्छे लगे तो पैसे बाद में दे देना , अगर किसी के पास कम पैसे होते हैं और उनके प्रोडक्ट महंगे होते हैं तो उनसे वह कम पैसे भी ले लेते हैं अगर उनको उनका प्रोडक्ट पसंद आता है तो वह अपनी इच्छा अनुसार बाद में पैसे भेज सकते हैं। उनका मुख्य उद्देश्य है कि वह लोगों को बताएं कि पंचगव्य से हम क्या-क्या बना सकते हैं ताकि प्रत्येक इंसान अपने घरों में गाय को पाले जिसे गऊ संरक्षण पर काम किया जा सके।
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