International Geeta Jayanti : अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती पर पहुंची सवा लाख रुपए की पश्मीना, एक पश्मीना को तैयार करने में लगता है करीब एक साल का समय

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बाइट-जावेद नवी,कश्मीर से शॉल लेकर पहुंचे शिल्पकार
बाइट-जावेद नवी,कश्मीर से शॉल लेकर पहुंचे शिल्पकार

Aaj Samaj (आज समाज), International Geeta Jayanti, कुरुक्षेत्र,22 इशिका ठाकुर :

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव पर पहुंची कश्मीर की लाखों रुपए की कीमत वाली पशमीना शॉल, करीब 12 महीने में एक शॉल होती है तैयार, कई पीढ़ियों से परिवार कर रहा पशमीना शॉल बनाने का काम.

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2023 पर प्रदेश के अलग-अलग राज्यों से शिल्पकार पहुंचकर अपनी प्रदर्शनी लगाई हुए हैं जो यहां पर आए हुए लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं. कश्मीर के पल गांव से आए हुए शिल्पकारों की पशमीना सोल अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव पर आए हुए पर्यटकों का मन मोह रही है. इस साल की खास बात यह है कि यह सालों में तैयार होती है जिसकी कीमत लाखों रुपए में होती है, हालांकि अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव पर वह 125000 तक की शॉल लेकर आए हुए हैं.

6 लाख रूपये तक की शॉल करते हैं तैयार

कश्मीर से आए हुए शिल्पकार जावेद नवी ने कहा कि वह पिछले 8 सालों से अंतरराष्ट्रीय गीतम महोत्सव पर आ रहे हैं उनके परिवार के बड़े सदस्य पिछले चार दशकों से पशमीना शॉल बनाने का काम कर रहे हैं और उन्होंने अब तक सबसे महंगी ₹600000 तक की शॉल बनाई है. उनके पिता ने दसवीं की पढ़ाई करने के बाद अपने पिता का हाथ बटाना शुरू किया था और तब से ही वह पशमीना शॉल बना रहे हैं.

परिवार को मिल चुके कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार

शिल्पकार जावेद नवी ने कहा कि उनके परिवार के सदस्य हैं उनके बड़े भाई और उनके पिता को 2006 और 2012 में राष्ट्रीय अवार्ड मिल चुके हैं. वही उनके परिवार के एक सदस्य को इंडिया इंटरनेशनल फ्रेंडशिप समिति की तरफ से 2015 में अंतरराष्ट्रीय स्तर के राष्ट्रीय गौरव अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है. इस काम में उनकी पांचवीं पीढ़ी भी लगी हुई है उनके दादा और परदादा भी यही काम करते थे. उन्होंने कहा कि पशमीना शॉल की खासियत यह है कि यह मुगल काल के समय से चलती आ रही है मुगल काल में जो राजा होते थे वह भी इस शॉल का प्रयोग करते थे.

सालों में होती है पशमीना शॉल तैयार

उन्होंने कहा कि उनकी कई पीडिया इस काम को करती आ रही हैं और उन्होंने अभी तक 5000 से लेकर ₹6 लाख तक की शॉल तैयार की है जिस व्यक्ति की जो डिमांड होती है उस डिमांड के आधार पर ही वह शॉल तैयार करते हैं जिसमें हाथ का काम ज्यादा होता है तो उसमें पैसा भी ज्यादा लगता है और समय भी ज्यादा लगता है ₹600000 की शॉल बनाने में उनका करीब 3 साल लग गए थे. लेकिन ज्यादा रेट की सोल वह सिर्फ ऑर्डर पर ही तैयार करते हैं. लेकिन अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव पर एक लाख रूपये तक की लोग खरीदारी करते हैं पहले वह अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव पर ₹100000 की शॉल बेचकर जा चुके हैं. वही एक साधारण सी शॉल बनाने में भी उनको करीब 1 साल का समय लग जाता है.

सोल की गुणवत्ता ऐसे की अंगूठी में से निकल जाती है सोल

उन्होंने बताया कि शॉल की गुणवत्ता ऐसी होती है कि वह बहुत ही मुलायम और गर्म होती है जिसके चलते पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाले लोग इसको ज्यादा पसंद करते हैं क्योंकि सर्दी से बचने के लिए यह बहुत ही ज्यादा कारगर होती है और मुलायम ओर हलकी होने के चलते इसको हर कोई पसंद करता है. ऐसी होती है कि एक छोटी सी अंगूठी में से भी यह शॉल आसानी से निकल जाती है. वही यहां पर वह कई प्रकार की वैरायटी इसमें लेकर आए हैं जिनको अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव पर लोग खूब पसंद कर रहे हैं.

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