- सभी के लिये निरंतर समावेशी और सतत आर्थिक विकास, पूर्ण और उत्पादक रोजगार, और सभ्य काम को देना होगा बढ़ावा
Aaj Samaj (आज समाज),International Conference At Arya College,पानीपत :आर्य कॉलेज के अर्थशास्त्र, वाणिज्य विभाग,उच्चतर शिक्षा निदेशालय,पंचकुला हरियाणा एवं सोसायटी ऑफ पाथवेज टू सस्टेनेबिलिटी के संयुक्त तत्वावधान में सतत विकास लक्ष्य चुनौतियाँ और रणनीतियाँ विषय दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस शानदार आगाज हुआ। कॉन्फ्रेंस में मुख्य अतिथि के रूप में भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय, खानपुर कलां,सोनीपत की कुलपति डॉ. सुदेश छिक्कारा ने शिरकत की। वहीं मुख्य वक्ता के रूप में कीटाक्यूशू विश्वविद्यालय,जापान से प्रो. अशोक अस्त, व विशिष्ट अतिथि के रूप में कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय,कुरूक्षेत्र के कॉलेज ऑफ डीन प्रो.डॉ. अनिल वोहरा व पाथस सोसायटी के प्रेसिडेंट डॉ. टी.आर कुंडू व सुरेंद्र मोर ने शिरकत की। आर्य कॉलेज प्रबंधक समिति के प्रधान सुरेंद्र सिंगला, वरिष्ठ सदस्य विरेंद्र सिंगला व कॉलेज प्राचार्य डॉ. जगदीश गुप्ता ने मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि व मुख्य वक्ताओं व शोधार्थियों का कॉलेज प्रांगण में पहुंचने पर स्वागत कर आभार व्यक्त किया।
सतत विकास लक्ष्य – 5 के बारे में बताया
मुख्य अतिथि प्रो. सुदेश ने अपने संबोधन में सतत विकास लक्ष्य – 5 के बारे में बताया जो कि महिलाएं किस तरह से आर्थिक विकास में भागीदार बन सकती है। उन्होंने बताया कि सरकार भी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, स्वच्छ भारत मिशन और नई-नई तकनीकों के माध्यम से इन सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने बताया की एक प्राध्यापक होने के नाते व विद्यार्थियों को इस बारे मे जागरूक करके हम प्रकृति को बचा सकते है व आने वाली पीड़ियों के लिए प्राकृतिक साधनों को सुरक्षित कर सकते है।
यदि प्रकृति सें हम छेड़छाड़ नहीं करेंगे तो यह हम सबको खुश रखेगी
प्रो. डॉ. अनिल वोहरा ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि सततता आज के संदर्भ में देश विदेश व सबके लिए एक गंभीर चिंता व सोचने का विषय है। यदि प्रकृति सें हम छेड़छाड़ नहीं करेंगे तो यह हम सबको खुश रखेगी। उन्होंने बताया कि इस दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेन्स के लिए जो विषय का चुनाव किया है वो बड़ा ही प्रेरणादायक है। टी.आर कुंडू ने कहा कि सतत विकास सोचने का विषय है। मानव जाति दो प्रकार के वातावरण में जीती है – एक प्राकृतिक व दूसरा सामाजिक। हम आज की हालत के लिए खुद जिम्मेदार है। हमारी वजह से प्राकृतिक दोहन, सामाजिक समरसता में बिखराव व असमानता उत्पन्न हुई है। इसलिए सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सामाजिक समरसता व विकास के बीच में सामंजस्य बिठाना जरूरी है।
सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए इस सोसाइटी का गठन किया गया
मुख्य वक्ता अशोक अस्त ने बताया कि सतत विकास लक्ष्य के लक्ष्य 8 और लक्ष्य 17 के बारे में बताया। उन्होंने बताया की किस तरह से सभी कर्मचारियों के लिए तनाव रहित वातावरण बनाकर इन लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है। तनाव रहित रहकर कर्मचारी आर्थिक विकास में अधिक सहायक होंगे। उन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा जैसे वेद आदि में दी गई तकनीकों का प्रयोग करके व योग करके हम कर्मचारियों का उत्थान कर सकते है व आर्थिक विकास के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते है। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय साझेदारी कर इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। प्रो. सुरेंद्र मोर ने अपने वक्तव्य में सोसाइटी के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए इस सोसाइटी का गठन किया गया है। इससे जागरूकता फ़ाइल कर हम अपनी पर्थवि को बचा सकते है। उन्होंने कहा की आओ सब मिलकर इसे एक मिशन बनाए।
इन नए लक्ष्यों का उद्देश्य विकास के अधूरे कार्य को पूरा करना
कॉलेज प्राचार्य डॉ. जगदीश गुप्ता ने अपने कहा कि ट्रांसफॉर्मिंग आवर वर्ल्ड : द 2030 एजेंडा फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट’ के संकल्प को, जिसे सतत विकास लक्ष्यों के नाम से भी जाना जाता है, भारत सहित 193 देशों ने सितंबर, 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की उच्च स्तरीय पूर्ण बैठक में स्वीकार किया गया था और इसे एक जनवरी, 2016 को लागू किया गया। सतत विकास लक्ष्यों का उद्देश्य सबके लिए समान, न्यायसंगत, सुरक्षित, शांतिपूर्ण, समृद्ध और रहने योग्य विश्व का निर्माण करना और विकास के तीनों पहलुओं, अर्थात सामाजिक समावेश, आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण को व्यापक रूप से समाविष्ट करना है। सहस्राब्दी विकास लक्ष्य के बाद, जो 2000 से 2015 तक के लिए निर्धारित किए गए थे, विकसित इन नए लक्ष्यों का उद्देश्य विकास के अधूरे कार्य को पूरा करना और ऐसे विश्व की संकल्पना को मूर्त रूप देना है, जिसमें कम चुनौतियां और अधिक आशाएं हों।
400 से भी अधिक शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए
कॉन्फ्रेंस के प्रभारी प्रो. सतबीर ने बताया की इस कॉन्फ्रेंस में 400 से भी अधिक शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। कॉन्फ्रेंस के सह प्रभारी प्रो. पंकज चौधरी ने सभी शोधार्थियों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर कॉलेज के उपप्राचार्य डॉ. रामनिवास, डॉ. मधु गाबा, प्राध्यापिका मीनाक्षी चौधरी, डॉ. रमेश सिंगला, डॉ. राजेश गर्ग, आस्था गुप्ता, प्रिया गुप्ता, डॉ. रजनी शर्मा, डॉ. अंजू मलिक, माणिक गुप्ता, नम्रता अरोडा समेत सभी कॉलेज स्टाफ सदस्य मौजूद रहे।