PM Modi On International Abhidhamma Day Program, (आज समाज), नई दिल्ली: आज अंतरराष्ट्रीय अभिधम्म दिवस है और इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की राजधानी दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया। अंतरराष्ट्रीय अभिधम्म दिवस और पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता देने के लिए यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है। पीएम ने कहा, आज वाल्मिकी जयंती और शरद पूर्णिमा भी है और मैं इस मौके पर सभी देशवासियों को बधाई देता हूं।
भगवान बुद्ध के सभी फॉलोअर्स को मेरी शुभकामनाएं
पीएम ने कहा, नए इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ हम अतीत को भी संजो रहे हैं और इसी कड़ी में हम बीते 10 साल में दुनिया के अलग-अलग देशों से 600 से ज्यादा प्राचीन कलाकृतियों, धरोहरों और अवशेषों को भारत वापस लाए हैं। उन्होंने बताया कि इसी माह भारत सरकार ने पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया है जो भगवान बुद्ध की महान विरासत का सम्मान है। मैं अभिधम्म दिवस पर भगवान बुद्ध के सभी फॉलोअर्स को शुभकामनाएं देता हूं।
भगवान बुद्ध के शब्दों को जिंदा रखना सभी का दायित्व
पीएम ने कहा, मुझे खुशी है कि हमारी सरकार ने अपने मूल मूल्यों के साथ-साथ इस जिम्मेदारी का भी निर्वहन किया है।उन्होंने कहा, भाषा संस्कृति और सभ्यता की आत्मा है और पाली भाषा तथा भगवान बुद्ध के शब्दों को जिंदा रखना देश के सभी नागरिकों का दायित्व है। उन्होंने कहा, मैं अभिधम्म दिवस पर भगवान बुद्ध के सभी फॉलोअर्स को शुभकामनाएं देता हूं। प्रधानमंत्री ने कहा, 20 अक्टूबर को मैं तीर्थनगरी वाराणसी जाऊंगा और वहां सारनाथ में कई विकास कार्यों का उद्घाटन किया जाएगा।
पीएम ने बौद्ध भिक्षुओं को सम्मानित किया
प्रधानमंत्री ने बौद्ध भिक्षुओं को सम्मानित भी किया। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले 10 वर्षों में मुझे देश के कई ऐतिहासिक बौद्ध स्थलों पर जाने का मौका मिला। इस दौरान विश्व के भी विभिन्न देशों में मौजूद बौद्ध स्थलों पर आयोजित कई कार्यक्रमों में भाग लेने का मुझे अवसर मिला। मैंने नेपाल और मंगोलिया में क्रमश: भगवान बुद्ध के जन्मस्थान का दौरा करने के साथ ही उनकी प्रतिमा का भी अनावरण किया।
मेरे जन्म के समय से शुरू हुई भगवान बुद्ध से जुड़ने की यात्रा
पीएम ने यह भी बताया कि भगवान बुद्ध से जुड़ने की यात्रा मेरे जन्म के समय से शुरू हुई है और यह मेरा सौभाग्य है कि यह यात्रा आज भी जारी है। प्रधानमंत्री ने बताया कि उनका जन्म गुजरात के वडनगर में हुआ था और वडनगर कभी बौद्ध धर्म का मुख्य केंद्र था।
यह भी पढ़ें : Supreme Court: जस्टिस संजीव खन्ना होंगे सुप्रीम कोर्ट के अगले प्रधान न्यायाधीश