Integrated Pension Scheme : एकीकृत पेंशन योजना : क्यों, क्या और कैसे?

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Integrated Pension Scheme : एकीकृत पेंशन योजना : क्यों, क्या और कैसे?
डॉ. विनय कुमार मल्होत्रा (वरिष्ठ राजनीति शास्त्री)

Integrated Pension Scheme | डॉ. विनय कुमार मल्होत्रा | (यूपीएस पहले वाली ओपीएस तथाएनपीएस दोनों स्कीमों की कमियों को दूर करते हुए उनसे कहीं बेहतर स्कीम है।इसमेंरिटायर्ड कर्मचारियों की भावी वित्तीय सुरक्षा के साथ-साथराष्ट्र की आर्थिक तथा वित्त व्यवस्था को भी सस्टेनेबल तथा सुदृढ़ करने की कोशिश की गई है।बेशक अभी भी कुछस्वार्थी कर्मचारी संघ इसका विरोध कर रहे हैं। लेकिन क्योंकि यूपीएस कर्मचारियों और राष्ट्र दोनों के हित में है इसलिए इसे सभी को स्वीकार करना चाहिए।)

अभी हाल ही में केंद्रीय सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए एकीकृत पेंशन योजना अर्थात यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) की घोषणा की है जो नेशनल पेंशन स्कीम(एनपीएस) जो 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार द्वारा लागू की गई गई थी उसका स्थान लेगी।यह एकीकृत अर्थात यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) क्यों घोषित की गई? यह क्या है? और कैसे लागू होगी? इन्हीं प्रश्नों का उत्तर देना इस लेख का उद्देश्य है।

क्यों:

यूनिफाइड पेंशन स्कीम को अपनाने के पीछे दो प्रमुख कारण है: प्रथम, केंद्रीय सरकार के कर्मचारी तथा उनके विभिन्न संघों ने कभी भी नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) को पसंद नहीं किया। वे कई वर्षों से इसके स्थान पर पुरानी अर्थात ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) को बहाल करने की मांग करते आ रहे हैं।मई 2024के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बहुमत न मिलने के कई कारणों में से एक कारण सरकारी कर्मचारियोंतथा उनके परिवारों द्वारा भाजपा को वोट ना देना था। अब कई राज्यों की विधानसभा के चुनाव सिर पर हैं।

विरोधी दल पुरानी अर्थात ओपीएस को बहाल करने कि कर्मचारियों की मांग का समर्थन कर रहे थे। वे इस को एक चुनावी मुद्दा बना रहे थे। कहीं इन विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को मुंह की ना खानी पड़े इसीलिए यूपीएस को 1 अप्रैल 2025 सेलागू करने की घोषणा 24 अगस्त 2024 कोकरदी गई।

द्वितीय कारण था अधिकांश सरकारी कर्मचारियों के संघों द्वारा निरंतर इस मुद्दे को लेकर आंदोलन की धमकी देना तथा बार-बारओपीएस को दोबारा शुरू करने की मांग करना था। केंद्रीय सरकार अब और सरकारी कर्मचारीयों को नाराज़ करने के पक्ष में नहीं थी क्योंकि आगामी विधानसभाओं के चुनाव और उनके वोट बैंक को हासिल करने की मजबूरी थी। कई गैर-भाजपा शासितराज्यों ने अपने कर्मचारियों को खुश करने के लिए पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल कर दिया है; येपांच राज्य हैं:राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश।

क्या है?

24 अगस्त को घोषित की गई यूपीएस क्या है? इसको जानने के लिए हमें पहले पुरानी अर्थात ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) को जानना होगा।

ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस):इसके अंतर्गत 2004 से पहले सरकारी कर्मचारियों को पेंशन दी जाती थी। इसमें आखिरी बेसिक सैलरी का 50% पेंशन के रूप में महंगाई राहतभत्तेके साथ दिया जाता था। इसको प्राप्त करने के लिए कर्मचारियों को कोई अंशदान या कंट्रीब्यूशन नहीं देना पड़ता था।इस प्रकार पुरानीपेंशन पूर्णता सरकारी खजाने से दी जाती थी। इसमें ग्रेच्युटी तथा परिवार पेंशन देने की व्यवस्था भी थी। धीरे-धीरे इसके कारण पेंशन बिल या खर्चाइतना बढ़ गया की सरकार केलिए यह असहाय हो गयाऔर इसके वित्त व्यवस्था पर बुरे प्रभाव पड़ने लगे।

नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस):प्रधानमंत्री वाजपेयी की सरकार ने1 जनवरी 2004 सेओपीएस के स्थान पर एक नई जिसे नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) कहा गया को घोषित किया।यह स्कीम शेयर बाजार से लिंक है तथा कंट्रीब्यूटरी है अर्थात इसमें वेतन का 10% बेसिक+डीए कटताहै और सरकार इसमें 14% अपनी तरफ से अंशदान देती है। इस प्रकार सरकार और कर्मचारी के अंशदान से जो फंड स्थापित होता है उसी से पेंशन दी जाती है।

कुल जमा राशि या फंड में से 60% रिटायरमेंट पर एक मुश्त निकली जा सकती है और 40% एन्युटी के लिए रखी जाती है इस प्रकार एनपीएस में फंड का 40% भाग निवेश करना पड़ता है।रिटायर हुए कर्मचारी और उनके परिवारों के लिए न्यूनतम राशि या निश्चित एश्योर्ड मासिक पेंशन की गारंटी नहीं थी। इसीलिए कर्मचारी एनपीएस से असंतुष्ट थेऔर पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली की मांग करते आ रहे थे।

यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस):तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के कुछ महीनों बाद ही मोदी सरकार नेकेंद्र केसरकारी कर्मचारियों को खुश करने के लिए तथा विरोधी दलों की चुनावी तथा राजनीतिक चालों को विफल करने के लिए एकीकृत पेंशन योजना लागू करने की घोषणा की।

एकीकृत पेंशन स्कीम (यूपीएस) की एक वाक्य में परिभाषा इस प्रकार की जा सकती है: यह व्यवस्थापिछली पेंशन स्कीमों की अच्छाइयों को एकीकृत करते हुए और उनकी कमियों को छोड़ते हुए भारत केसभी सेवानिवृत्ति लोगोंको एक सम्मानजनक जीवन तथा वित्तीय सुरक्षा की गारंटी देती है।इस योजना के मुख्य बिंदु या विशेषताएं इस प्रकार हैं:-

1) अब सरकारी कर्मचारियों कोयूपीएस और एनपीएस में से किसी एक विकल्प को चुनना होगा जो अंतिम होगा।

2) यह एक एश्योर्ड या निश्चित पेंशन व्यवस्था है। सरकारी कर्मचारियों के 25 साल नौकरी करने पर रिटायर होने के बाद उसकी पिछले 12 महीने की औसत बेसिक सैलरी का 50% पेंशन के रूप में दिया जाएगा।

3) यदि सेवा कल 10 से 25 वर्ष का है तो पेंशन की राशि समानुपातिक आवंटन के आधार पर तय होगी। अगर कोई व्यक्ति केवल 10 साल नौकरी करता है तो उसे कम से कम₹10000 की न्यूनतम पेंशन अवश्य दी जाएगी।

4) इसमें फैमिली पेंशन की भी व्यवस्था है अर्थात अगर रिटायरमेन्ट के बाद कर्मचारियों की मृत्यु हो जाती है तो उसकी पेंशन का 60% भाग परिवार जनों को मिलता रहेगा।

5) रिटायरमेंट पर एकमुस्त ग्रेच्युटी से अलग राशि भी दी जाएगी। इसकी गणना कर्मचारियों के हर 6 महीने की सेवा पर मूल वेतन और महंगाई भत्ते के दसवें हिस्से के तौर पर निर्धारण किया जाएगा। उदाहरणस्वरुप, 30 वर्ष की सेवा के लिए एक कर्मचारी को 6 महीने का वेतन अलग से रिटायर होने पर मिलेगा।

6) सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन बढ़ाने का भी प्रावधान है अर्थात इस इंडेक्सेशन से जोड़ा गया है।यदि खुदरा महंगाई दर बढ़ेगी तो पेंशन की राशि भी बढ़ेगी। महंगाई राहत भत्ता पेंशन, पारिवारिक पेंशन तथा न्यूनतम पेंशनसभी के साथ मिलेगा।

कैसे?

एकीकृत या यूनिफाइड पेंशन स्कीम(यूपीएस) कैसे लागू की जाएगी? यह योजना 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी। इससे केंद्र सरकार के 23 लाख कर्मचारियों को लाभ होगा।यह केवल केंद्र के सरकारी कर्मचारियों के लिए है। आशा है कि राज्य सरकारेंविशेष तौर पर भाजपा द्वारा शासितभी इसे अपने कर्मचारियों के लिए अपनाएंगी। महाराष्ट्र ने तो पहल करते हुए इसे अपनाने की घोषणा कर दी है।

यूपीएस  इस प्रकार एनपीएस से बेहतर है क्योंकि इसमें एक फिक्स्, निश्चित तथा एश्योर्ड पेंशन का प्रावधान है और इसमेंएनपीएस में पाई जाने वाली कमियों को दूर किया गया है। कर्मचारियों को यह छूट होगी कि वे एनपीएस या यूपीएस में से किसी एक का चयन करें। लेकिन एक बार चयन कर लेने के बाद उसमें बदलाव नहीं किया जा सकेगा।

एनपीएस सन् 2004 से चली आ रही है और इसके अंतर्गत रिटायर हुए सरकारी कर्मचारियों को भी यूपीएस के तहत पेंशन सुविधा लेने का विकल्प मिलेगा। यदि कर्मचारी यूपीएस का विकल्प चुनते हैं तो उन्हें जो अतिरिक्त राशि व उसका ब्याज बनेगा उसका भुगतान केंद्रीय सरकार करेगी। ऐसे कर्मचारियों को 800 करोड रुपए की अतिरिक्त राशि देनी पड़ेगी।

तीनों की तुलना:

ओपीएस, एनपीएस और यूपीएस अब हम इन तीनों के अंतर को स्पष्ट करेंगे:-

पहलअंतर,ओपीएस तथा यूपीएस केवल सरकारी कर्मचारियों के लिए हैजबकि एनपीएस सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों के कर्मचारियों के लिए है। दूसरा,ओपीएस और यूपीएस सुरक्षितस्कीमेंहैं। इनमें एश्योर्ड या ग्रांटेड पेंशन का आश्वासन है जबकि एनपीएस शेयर बाजार से लिंक है।तीसरा अंशदान या कंट्रीब्यूशन का अंतर है।ओपीएसमें पेंशन भुगतान का पूराउत्तरदायित्व और योगदान सरकार का था अर्थात पेंशन देने का वित्तीय बोझ सारे का सारा सरकार पर पड़ता था। वहीं एनपीएस में सरकार और कर्मचारी दोनों अंशदान करते हैं।

इसमें सरकारी कर्मचारी अपने वेतन का 10% भाग योगदान के रूप में देते हैं और सरकार 14% अंशदान करती है।यूपीएस भी अंशदान पर आधारित हैलेकिन अंतर सिर्फ इतना है कि  कर्मचारियोंको एनपीएस की तरह 10% अंशदान देना होगाकोई अतिरिक्त योगदान नहीं देना होगा जबकि केंद्र सरकार की तरफ से पेंशन फंड में योगदान मौजूद 14% से बढ़ाकर 18.5% कर दिया गया है।चौथा अंतर निवेश का है।

यूपीएस में रिटायरमेंट पर एक मुश्त राशि की व्यवस्था की गई है जिसका कैलकुलेशन कर्मचारियों के हर 6 महीने की सेवा पर मूल वेतन और महंगाई भत्ते के 10वें हिस्से के तौर पर किया जाएगा। वही एनपीएस में कुल जमा राशि में से 60% रिटायरमेंट पर एकमुश्त निकली जा सकती थी और 40% एन्युटी के लिए रखी जाती थी।

ओपीएस और यूपीएस में पेंशन ग्रहण करने वाले के लिए निवेश करने की कोई शर्त नहीं है जबकि एनपीएस में फंड का 40% पैसा निवेश करना पड़ता है। लेकिन यहां एक बात स्पष्ट करना और समझना बहुत जरूरी है की सरकार अब भी पेंशन के भुगतान एनपीएस के कॉरपस फंड जिसका नया अवतारयूपीएस कॉरपस होगा उसी को शेयर बाजारों में निवेश करके करेगी। लेकिन यहां फर्क यह है की सरकार अब कॉरपस फंड से हुई मार्केट रिटर्न और कर्मचारियों की जायज़ पेंशन के बीच में एक बफर या कुशन का काम करेगी।

निष्कर्ष:

अंत में हम इसी निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कीयूपीएसपहले वाली ओपीएस तथा एनपीएस दोनों स्कीमों की कमियों को दूर करते हुएउनसे कहीं बेहतर स्कीम है, जिसमें पेंशन के बोझ को केवल मात्र देश पर डालने की बजाय सरकार और कर्मचारी दोनों में शेयर किया गया है। यह एक ऐसी सोची समझी स्कीम है जिसमें रिटायर्ड कर्मचारियों की भावी वित्तीय सुरक्षा के साथ-साथराष्ट्र की आर्थिक तथा वित्त व्यवस्था को भी सस्टेनेबल तथा सुदृढ़ करने की कोशिश की गई है।बेशक अभी भी कुछस्वार्थीकर्मचारी संघ इसका विरोध कर रहे हैं। लेकिन क्योंकि यूपीएस कर्मचारियों और राष्ट्र दोनों के हित में है इसलिए इसे सभी को स्वीकार करना चाहिए।

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