पशुओं में बांझपन की समस्या बनी पशुपालकों के लिए बड़ी समस्या

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Infertility Problem In Animals
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इशिका ठाकुर,Karnal News : हरियाणा में लोग कृषि के साथ-साथ पशु पालन का भी काम करते है। समय के साथ-साथ अब पशुपालकों के सामने पशुपालन एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है। क्योंकि पशुओं में बांझपन की समस्या देखने को मिल रही है। इससे पशुपालकों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसके बाद पशुपालक को विवश होकर इन पशुओं को आधे दाम में बेचना पड़ता है।

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तेजी से बढ़ रहे पशुपालन के व्यवसाय में नुकसान का मुख्य कारण

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करनाल के पशु चिकित्सा विभाग के वेटरनरी सर्जन डॉ. तरसेम राणा ने बताया कि आजकल डेयरी फार्म का बिजनेस काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है लेकिन कई बार इस में भारी नुकसान भी होता है। इसका मुख्य कारण पशुओं में बांझपन की समस्या का पैदा होना है। अगर भारत की बात करें तो भारत में लगभग 30 प्रतिशत पशुओं में बांझपन और प्रजनन विकारों से प्रभावित मामले सामने आ रहे हैं।

पशुओं में बांझपन के मुख्य कारण

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डॉक्टर तरसेम राणा ने कहा कि पशुओं में बांझपन के कई कारण हो सकते हैं जैसे पशुओं में गर्भ धारण कर एक बच्चे को जन्म देने में विफलता होना, मादा पशुओं में कुपोषण का होना, हार्मोन्स का असंतुलन होना, किसी कारणवश पशुओं में संक्रमण होना या पशुपालकों के द्वारा उसका गलत प्रबंधन करना तमाम कारण हो सकते हैं।

पशुओं में बांझ की समस्या से कैसे बचा जा सकता है

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डॉक्टर राणा ने कहा कि सबसे पहले पशुपालक अपने पशुओं का इलाज अच्छे पशु चिकित्सक से करवाएं जिससे उनको यह पता लगे कि उनके पशुओं में बांझपन का मुख्य कारण क्या है. इसमें कई तरीके के ट्रीटमेंट पशु को दिए जाते हैं जिससे पशु ठीक हो जाते हैं। राणा ने कहा कि पशुओं को खाने में ऊर्जा के साथ प्रोटीन खनिज विटामिन वाला संतुलित आहार देना चाहिए ओर अगर किसी पशु में समस्या आ रही है तो उसको खुले में छोड़कर रखें जिससे यह समस्या दूर हो सकती है।पशुओं को वही फूड खिलाना चाहिए जो विभाग द्वारा सर्टिफाइड हो ताकि पशुओं स्वास्थ्य अच्छा बना रहे।

पशुओं में बांझपन की समस्या पर पशुपालकों की राय

पशुओं में बांझपन की समस्या बात करते हुए पशुपालक रवि प्रताप ने कहा कि पहले पशुओं में यह समस्या बहुत कम देखने को मिलती थी। क्योंकि कुछ सालों पहले चारे के लिए काफी जगह होती थी। उस दौरान लोग अपने पशुओं को चराने के लिए अलग अलग जगहों पर ले जाते थे। जब पशु जंगल या कहीं बाहर चरने के लिए जाते हैं तो ये घास के साथ-साथ अन्य जड़ी बूटियां भी खाते थे जिससे इनका स्वास्थ्य ठीक रहता था। लेकिन अब एक ही जगह पर बंधे रहने से पशुओं का स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता जा रहा है ।

उन्होंने कहा कि आज के समय में जितने भी पशुओं को चारा खिलाया जाता है। सभी पेस्टीसाइड वाला चारा होता है। जिसके कारण बांझपन की समस्या में पैदा हो रही है।अगर समय रहते पशुपालक अपने पशुओं का इन तरीकों से प्रबंधन करें तो वह काफी हद तक पशुओं में बांझपन की समस्या से निजात पा सकते हैं।

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