Indira’s struggle for a strong image from a dumb doll: गूंगी गुड़िया से दृढ़ छवि के लिए इंदिरा का संघर्ष

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अंबाला। भारतीय लोकतंत्र के इतिहास के एक काल को इंदिरा एरा के रूप में भी जाना जाता है। इंदिरा गांधी के रूप में जिस तरह एक महिला ने विशाल भारतीय लोकतंत्र का प्रतिनिधित्व किया उस पर तमाम रिसर्च भी हो चुके हैं। इस इंदिरा एरा में बहुत कुछ ऐसा हुआ जो शायद पहली बार हुआ। 1971 का लोकसभा चुनाव इंदिरा एरा का सबसे रोमांचकारी चुनाव था।

यह पहली बार था कि निर्धारित अवधि पूरा किए चुनाव की घोषणा हुई। जो चुनाव 1972 में होने थे, वह चुनाव 1971 में हो रहा था।
इंदिरा गांधी को सबसे अधिक चुनौती उनके अपने घर में ही मिल रही थी। तमाम कारणों से कांग्रेस के पुराने दिग्गज इंदिरा गांधी और उनकी नीतियों बेहद नाराज थे। कई ने कांग्रेस छोड़कर अपना दूसरा दल बना लिया था।
1969 के राष्टÑपति चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी में उठी विरोध चिनगारी ने इंदिरा गांधी को झुलसा दिया था। कांग्रेस के अंदर ही इंदिरा को गूंगी गुड़िया के उपनाम से बुलाने वालों को यह कहीं से गवरा नहीं था कि कांग्रेस कार्यकारिणी में राष्टÑपति के लिए जिस उम्मीदवार पर सहमति बनी, उसी को इंदिरा गांधी ने हरा दिया।
चुनाव के दौरान गूंगी गुड़िया के नाम से इंदिरा गांधी का खूब प्रचार किया गया। पर इस दौरान इसी गूंगी गुड़िया ने अपने कई क्रांतिकारी कदमों से भारत में अपनी एक दृढ़ और निरपेक्ष छवि को गढ़ने का काम किया था।
इंदिरा गांधी ने स्वतंत्र पार्टी, समाजवादियों, कम्युनिस्टों, जनसंघ आदि सभी विपक्षी दलों को साथ लेकर चलने की नीति पर काम किया।
विपक्ष के उम्मीदवार वीवी गिरी को समर्थन देकर भी इंदिरा गांधी ने विपक्षियों में अपनी छाप छोड़ी। वीवी गिरि की जीत को इंदिरा गांधी की जीत माना गया।
इसी दौर में इंदिरा गांधी ने बैंकों का राष्टÑीयकरण कर एक बड़ा ही महत्वपूर्ण कदम उठाया था। विपक्षी दलों ने भी इंदिरा का साथ दिया।
इसके अलावा इंदिरा गांधी ने पूर्व राजा-महाराजाओं के प्रिवीपर्स के खात्मे जैसे क्रांतिकारी कदम उठाकर भी अपनी दृढता का परिचय दिया।
तमाम विरोधों के बावजूद इंदिरा गांधी ने अपनी दृढ नीतियों के बल पर अपनी एक अलग छवि गढ़ने की कोशिश की। जिसमें वह बहुत हद तक कामयाब भी हुई।
इंदिरा ने अपनी इसी दृढ़ छवि के बल पर 1971 का चुनाव लड़ा।
1971 का लोकसभा चुनाव एक ऐसा चुनाव था जिसमें पहली बार कांग्रेस कई गुटों में बंटकर चुनाव लड़ रही थी।
कांग्रेस में बगावत के बावजूद इंदिरा गांधी ने न केवल चुनाव जीता, बल्कि पूर्ण बहुमत के साथ एक ऐसी सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की जिसने कई मायनों में माइल स्टोन क्रिएट किए।