आज समाज डिजिटल, नई दिल्ली :
भारत के बैडमिंटन खिलाड़ी और नोएडा के डीएम सुहास यथिराज रविवार को टोक्यो पैरालंपिक में सिल्वर मेडल जीतकर दुनियाभर में भारत का नाम रोशन कर दिया है। इन खेलों में भारत की पदक संख्या 19 पर पहुंच गई है। सुहास उत्तर प्रदेश कैडर के 2007 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी हैं।
38 वर्षीय सुहास रविवार को पुरुष एकल एसएल4 क्लास बैडमिंटन स्पर्धा के फाइनल में फ्रांस के लुकास माजूर से करीबी मुकाबले में हार गए जिससे उन्हें सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा। सुहास को दो बार के वर्ल्ड चैम्पियन माजूर से 62 मिनट तक चले फाइनल में 21-15 17-21 15-21 से पराजय का सामना करना पड़ा। एसएल4 क्लास में वो बैडमिंटन खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं जिनके पैर में विकार हो और वे खड़े होकर खेलते हैं।
टोक्यो पैरालंपिक में सुहास एल.वाई. के प्रदर्शन पर उनके परिवार ने बहुत खुशी जताई है। पति की कामयाबी से खुश ऋतु सुहास ने कहा कि देश के लिए पैरालंपिक में खेलना सुहास का सपना था। इस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने अपनी जिंदगी के कीमती 6 समर्पित कर दिए। जब वे पैरालंपिक में जा रहे थे तो मैंने उन्हें यही कहा था कि नतीजे की चिंता किए बिना वे बस अपना बेस्ट गेम खेलें और उन्होंने वही किया। यह मेडल सुहास की पिछले छह साल की मेहनत का फल है। हमारे लिए वो जीत चुके हैं, उन्होंने बहुत अच्छा खेला और देश का नाम रोशन किया है। हमें उन पर गर्व है। ये पूरे देशवासियों के लिए हर्ष का विषय है।
रितु ने कहा कि उनके सुहास अपनी मंजिल पर पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत करने पर यकीन रखते हैं। सरकारी सर्विस में होने के बावजूद वे गेम खेलने के लिए टाइम निकाल ही लेते हैं। उन्होंने खेलों को आगे बढ़ाने के लिए हमेशा प्राथमिकता दी है। उसी की वजह से वे आज इस मुकाम पर हैं। रितु सुहास भी अपने पति की तरह एक प्रशासनिक अधिकारी हैं। इन दिनों वह गाजियाबाद में एडीएम एडमिनिस्ट्रेशन के पद पर तैनात हैं।
टोक्यो पैरालंपिक में सुहास के सिल्वर मेडल जीतने पर उनकी मां जयाश्री ने कहा कि मुझे अपने बेटे पर गर्व है,उन्होंने महान सफलता पाई है। मैंने उनके मैच का आनंद लिया। वह बचपन से खेल में सक्रिय थे और पढ़ाई में भी शानदार थे। भारत को उन पर गर्व है।
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