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किंशासा। डेमोक्रैटिक रिपलब्कि आफ कॉन्गो की राजधानी किंशासा में एक भीड़ ने भारतीय मूल के लोगों के व्यापारिक प्रतिष्ठानों और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है। पुलिस ने कहा कि पिछले हफ्ते भारत के बेंगलुरु में कॉन्गो निवासी एक छात्र जोएल मालू की हिरासत में मौत के कारण यह घटना हुई है। पिछले हफ्ते भी किंशासा में ऐसी ही घटना हुई थी जब कई भारतीयों की दुकानें लूट ली गई थीं। पुलिस ने बताया कि गुरुवार को कॉन्गो में कई भारतीय दुकानों और गोदामों को लूट लिया गया और एक कार को आग लगा दी गई। उपद्रवियों ने तीन अन्य वाहनों पर पत्थर फेंके। किंशासा के लिमेटे इलाके में ये घटनाएं तब हुई जब ऐसी अफवाह फैल गई कि भारत में कॉन्गलीज मूल के एक और युवक की मौत हो गई है। किन्शासा के पुलिस आयुक्त सिल्वानो कासोंगो ने बताया, असभ्य लोग, विशेषकर कुछ युवा भारतीयों द्वारा चलाई जा रहीं दुकानों और गोदामों को लूट रहे है। पुलिस ने इस संबंध में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने अपने बयान यह नहीं बताया कि इस घटना में किसी को चोट लगी है या नहीं। बता दें कि तीन अगस्त को कॉन्गो के दिल्ली स्थित दूतावास से कुछ अधिकारी बेंगलुरु पुहंचे थे और पुलिस से घटना की जानकारी ली थी। इसके बाद राज्य सरकार ने मालू की मौत के मामले की जांच सीआईडी की सौंप दी थी।
नशीली दवाएं रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था जोएल मालू
जोएल मालू की मौत बेंगलुरु में पुलिस हिरासत में हुई थी। उन्हें एक अप्रैल को पुलिस ने नशीली दवाएं रखने के आरोप में गिरफ्तार किया था। पुलिस के मुताबिक मालू ने सीने में दर्द की शिकायत की, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गई। इस घटना के बाद बेंगलुरू में रहने वाले अफ्रीकी मूल के कुछ लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया था। पुलिस ने उन लोगों पर लाठी चार्ज भी किया था। बाद में पुलिस ने पांच प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेकर उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था।
भारत में नस्लभेद के आरोप
अफ्रीका में कई बार कूटनीतिज्ञ इस बात की शिकायत कर चुके हैं कि भारत में रहने वाले अफ्रीकी मूल के लोगों के खिलाफ नस्लभेद होता है। वर्ष 2016 में भी कॉन्गलीज मूल के एक युवक की दिल्ली में पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। ऐसी ही घटना 2014 में भी हुई थी जब गैबोन और बुरकीना फासो के रहने वाले तीन छात्रों को दिल्ली में एक मेट्रो स्टेशन पर घेर लिया गया था। अफ्रीकन स्टूडेंट्स इन इंडिया (एएएसआई) के मुताबिक भारत में अफ्रीकी मूल के लगभग 25 हजार छात्र हैं जो देश के 500 सरकारी व निजी विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा छात्र सूडान और नाईजीरिया से आते हैं। इसके बाद केन्या, तंजानिया, युगांडा, रवांडा, जांबिया और इथियोपिया जैसे देश हैं जहां से बड़ी संख्या में छात्र भारत पढ़ने जाते हैं।