डाॅ.श्रीकृष्ण शर्मा
भारतीय महिला हाॅकी टीम की हार हमारे दिल में हार नहीं बल्कि विजयी की भूमिका में है। खेलों में कुछ प्रदर्शन ऐसे होते हैं जो खिलाड़ी या टीम को पराजय के बाद भी विजेता बना देते हैं। कुछ ऐसा ही बेहतरीन खेल दिखाकर भारतीय महिला हाॅकी टीम ने दुनिया दिल जीत लिया। यह अलग बात है कि कांस्य पदक के मुकाबले में कडी टक्कर के बाद ग्रेट ब्रिटेन से हार गई। जिस तरह से भारतीय महिलाओं ने जोरदार खेल दिखाया उससे पिछली बार की विजेता ग्रेट ब्रिटेन के लिए जीतना मुश्किल हो चला था। भारतीय टीम का यह संघर्ष कभी भुलाया नहीं जा सकता। टोक्यो ओलंपिक में उम्दा खेल की बदौलत भारतीय टीम बिग लीग में शामिल हो गई। भारतीय महिला हाॅकी टीम की देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में सराहना हो रही है। पहली बार माॅस्को ओलंपिक खेलों में महिला हाॅकी को शामिल किया गया था। तब से लेकर तीन ओलंपिक खेलों में भाग ले चुकी इस भारतीय टीम का यह सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। भारतीय महिला टीम ने टोक्यो ओलंपिक खेलों के सेमीफाईनल में पहुंचकर नए मापदंडों को छुआ है। महिला हाॅकी टीम का पहली चार टीमों में जगह बनाना बड़ी सफलता है। टीम की यह ऊंचाईयां खिलाड़ियों के लिए,बालिका वर्ग के लिए तो विशेषतौर पर प्रेरणादायक सिद्ध होंगी।
रानी रामपाल की अगुआई वाली टीम ने जो जुझारूपन दिखाया उससे यह कहा जाना चाहिऐ कि आने वाले समय में हाॅकी ताकतवर टीम के रूप में उभरेगी। इसे हलके में लेना किसी भी प्रतिद्वंदी के लिए नुकसानदेय साबित हो सकती है। टोक्यो ओलंपिक खेलों में लगातार तीन पराजय के सिलसिले को रोककर जिस तरह से मुख्यधारा में वापसी की उससे यह स्पष्ट भी हो जाता है भारतीय हाॅकी कुछ भी कर सकती है। शुरूआत में किसी ने भी न सोचा होगा कि भारतीय हाॅकी टीम इस ऊंचाई पर पहुंच जाएगी। लेकिन उसकी दिलेरी ने यह भरोसा दिलाने की सफल कोशिश की यह भविष्य में भारतीयों की चाहत को पूरा जरूर करने में कामयाब होगी। भारतीय टीम ने एक इतिहास रचकर खूब वाहवाही लूटी हैै। जिसपर उसका हक भी बनता है। भारतीय टीम ने सेमीफाईनल में पहुचने के लिए खेल की लय दिखाई उससे तीन बार की चैंपियन आस्ट्रेलिया की दिग्गज टीम को धराशाही कर दिया। यह पहला मौका था जब भारतीय टीम दुनिया की सजी हुई टीम को हराकर सेमीफाईनल में पहुंची थी। अपने सेमीफाईनल में शानदार खेल तो दिखाया था लेकिन वह कड़े संघर्ष में दुनिया की दूसरे नम्बर की टीम अर्जेंटीना से एक गोल से हार गई।
यहीं इतिहास भी बना गई। लेकिन पहला ओलंपिक खेलों में पदक जीतने का सपना पूरा न हो सका। इस हार से निराश नहीं होना चाहिए। पदक रहित वापसी अगली जीत की दिशा में मजबूत कदम है। इससे खिलाड़ियों का मनोबल और मजबूत होगा। यह महिला हाॅकी का पुनर्जन्म माना जा रहा है जो लम्बे समय से परिश्रम कर रही महिला खिलाड़ियों के पसीने से संभव हो सका। महिला खिलाड़ियों का यह जोरदार संघर्ष एक मिसाल बन गया जो उन सभी को सोचने के लिए विवश कर देगा जो अपनी बेटियों को खेलों में भेजने में संकोच करते हैं।
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