Indian Wheat and Barley Research Institute: हमारा लक्ष्य गेंहू की अच्छी किस्मो की खोज कर किसानों के खेतों तक पहुंचाना है: भारत सरकार के कृषि आयुक्त डॉ पी के सिंह

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Indian Wheat and Barley Research Institute
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  • राष्ट्रीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान में एक दिवसीय विचार मंथन बैठक का हुआ आयोजन

Aaj Samaj (आज समाज), Indian Wheat and Barley Research Institute, करनाल,16 मार्च, इशिका ठाकुर:

भारतीय गेहूँ एवं जौ अनुसंधान संस्थान  गेहूं और जो पर लगातार पिछले काफी समय से  अच्छा काम करता आ रहा है जिसकी बदौलत  भारत में गेहूं उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है तो वहीं किसानों को इसका बहुत ज्यादा फायदा हुआ है।
शनिवार को करनाल स्थित राष्ट्रीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान में गेहूं एवं जों की उत्पादकता बढ़ाने हेतु एकदिवसीय विचार मंथन मंथन बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान परिषद के पूर्व महानिदेशक डॉ आर एस परोदा, पदम श्री डॉ रवि पी सिंह और डॉ पी के सिंह कृषि आयुक्त कृषि एवं कल्याण मंत्रालय भारत सरकार सहित अन्य वैज्ञानिकों ने भाग लिया। बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए
डॉ. परोदा ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा वैज्ञानिकों के सामने गेहूं के क्षेत्र में काफी समस्याएं थी जिसको खत्म करने के लिए उनके विभाग लगातार काम कर रहे हैं उनका हाल ही में पद्मश्री से नवाजा गया है ।उन्होंने गेहूं के क्षेत्र में बहुत से बेहतरीन कार्य के हैं चाहे वह गेहूं में पीले रतवा की बीमारी पर काबू पाना हो या गेहूं की फसल में अन्य समस्या को. इसी के चलते भारत सरकार के द्वारा उनको पदम श्री के अवार्ड से नवाजा गया है. पिछले कहीं दशकों से गेहूं पर काम कर रहे हैं इसके अच्छे परिणाम भी देखने को मिले हैं.
उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि  भारत कि बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए गेहूँ के उत्पादन को बढ़ाने पर जोर दिया तथा भारत को गेहूँ उत्पादन में विश्व पटल पर प्रथम स्थान पर आना है। पद्म श्री डॉ. रवि पी. सिंह ने लोजिंग प्रतिरोधि गेहूँ कि किस्में विकसित करने पर जोर दिया तथा गेहूँ कि उत्पादकता बढ़ाने वाले जीन्स को प्रजनन क्रार्यक्रम में ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करने की सलाह दी। डॉ. पी के सिंह ने गेहूँ उत्पादन बढ़ाने के लिए हर सम्भव सहायता देने का भरोसा दिया। इस अवसर पर भारत सरकार के कृषि आयुक्त डॉ पी के सिंह ने कहा कि देश में जलवायु रोधी और फोर्टीफाइड गेहूं के विस्तार के लिए विशेष प्रयास किया जा रहे हैं।
400 से ज्यादा लगाए जा रहे क्लस्टर डेमोंसट्रेशंस :डॉ पी के सिंह
उन्होंने कहा कि किसानों तक बायो फोर्टीफाइड वैरायटी का क्वालिटी बीज पहुंचे इसके लिए काफी काम किया गया है। हमारा प्रयास है कि देश मे बायो फोर्टीफाइड गेहूं की किस्मों के क्लस्टर बन जाए ताकि किसान से जब खरीदी हो तो मंडी में उसको ना जाना पड़े, वहीं से जो हमारे प्रोसेसर है वह उसकी बायो फोर्टीफाइड गेहूं को उनके खेतों से ही खरीदें। उसका आटा या जो भी उत्पाद तैयार करना हो वह करें।  हरियाणा , पंजाब और उत्तर प्रदेश सहित 7 प्रदेशों में इस बार क्लस्टर बनाये गए है और करीब 400 से ज्यादा क्लस्टर डेमोंसट्रेशंस लगाया जा रहे हैं।
कृषि आयुक्त ने कहा कि भंडारण क्षमता के लिए भारत सरकार की एक लाख करोड़ की जो एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की योजना है उसके तहत इस समय करीब 50 हजार करोड़ के काम चल रहे हैं। इसमें कोल्ड स्टोरेज और तरह-तरह के भंडारन क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि पहले अभी तक एक जैसे भंडार गृह बनाए जाते थे लेकिन अब किस्म और उत्पादन विशेष के भी भंडारगृह बनाए जाने लगे हैं।
 एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि 3 मिलेट्स ज्वार, बाजरा और रागी पर एमएसपी है इसके अलावा अन्य जो मिलेट्स हैं उन्हें भी अगर जरूरत पड़ेगी तो एमएसपी मूल्य पर सरकार खरीद सकती है। कृषि आयुक्त ने कहा की खेती में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सेल्फ हेल्प ग्रुप और ड्रोन दीदी जैसी योजना को लाया गया है। इससे जहां किसानों को गांव में ही सर्विस प्रोवाइडर उपलब्ध होंगे वहीं खेती की लागत में भी कमी आएगी।
 वही संस्थान के निदेशक डॉ ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि पंजाब एवं हरियाणा में 80% के आसपास क्षेत्रफल जलवायु सहनशील किस्म के अंतर्गत है वही 45% क्षेत्र में बायो फोर्टीफाइड किस्में लगाई गई है जो उच्च गुणवत्ता युक्त हैं और बाजार में किसानों को इनका मूल्य भी अधिक मिलता है। उन्होंने कहा कि किसानों एवं वैज्ञानिकों की अथक मेहनत से अबकी बार गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन प्राप्त करने में भी हम सफल होंगे। उन्होंने कहा कि पूरे भारत में ऐसी गेहूं की किस्म तैयार की जा रही हैं  जो वहां के वातावरण के अनुकूल होती हैं. वैज्ञानिकों के सामने एक बड़ी समस्या क्षेत्र जलवायु होती थी उस पर विभाग लगातार काम कर रहा है जिसके अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। निश्चित तौर पर हम आने वाले समय में विश्व में गेहूं उत्पादन में नम्बर वन विराजमान होगे।

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