महेंद्रगढ़: हकेवि में भारतीय संघवाद: सामयिक रूझान विषय पर वेबिनार

0
368

महेंद्रगढ़, नीरज कौशिक:
हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ के राजनीति विज्ञान विभाग के द्वारा भारतीय संघवाद: सामयिक रूझान विषय पर विशेषज्ञ व्याख्यान सीरिज के अंतर्गत गुरुवार को वेबिनार आयोजित किया गया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.सी. कुहाड़ के मार्गदर्शन व प्रेरणा से आयोजित इस वेबिनार में जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय के प्रो. संजय भारद्वाज व जेएनवी विश्वविद्यालय, जोधपुर के प्रो. भागीरथमल चितलांगी मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे।

राजनीति विज्ञान विभाग के इस आयोजन की शुरूआत विश्वविद्यालय के कुलगीत के साथ हुई। इसके पश्चात विश्वविद्यालय की प्रगति को प्रदर्शित करने वाली डाक्यूमेंट्री फिल्म दिखाई गई। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.सी. कुहाड़ ने अपने संदेश में कहा कि संघवाद के भारतीय मॉडल को अर्ध-संघीय प्रणाली कहा जाता है क्योंकि इसमें संघीय और एकात्मक दोनों विशेषताएं शामिल हैं। उन्होंने कहा कि संघ और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन; संविधान की सर्वोच्चता; द्विसदनीय विधायिका और स्वतंत्र न्यायपालिका भारतीय संविधान की संघीय विशेषताओं में सम्मिलित है। प्रो. कुहाड़ के अनुसार कि भारत एक बहुत बड़ा और विविधताओं वाला देश है, इसलिए केंद्र सरकार के लिए यह संभव नहीं है कि वह सभी राज्यों के लिए कानून बना सके या उन सभी को उनकी विविध आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए प्रशासित कर सके। इसलिए राज्यों को अपने अधिकार क्षेत्र में कानून बनाने और प्रशासन करने का अधिकार दिया गया है। कोरोना महामारी के बीच केंद्र और राज्य सरकारों का तालमेल भारतीय संघवाद की मजबूती का उदाहरण है। कुलपति के अनुसार केंद्र और राज्य सरकारों के आपसी सहयोग से ही विभिन्न चुनौतियों से निपटा जा सकता है चाहे फिर बात महामारी व आर्थिक मंदी की हो या फिर आंतरिक सुरक्षा व बाहरी आक्रमण की।

वेबिनार के मुख्य वक्ता प्रो. संजय भारद्वाज ने अपने व्याख्यान में संघ की संरचनाओं के विभिन्न प्रारूपों, भारतीय संघ के निर्माण की विशेष परिस्थितियों और उसके विकास के ऐतिहासिक क्रम पर प्रकाश डाला। साथ ही उन्होंने बताया कि किस प्रकार हम एकीकृत प्रतियोगी संघवाद से सहयोगी संघवाद की ओर बढ़ रहे हैं। कार्यक्रम के दूसरे मुख्य वक्ता प्रो. भागीरथमल चितलांगी ने भी भारतीय संघवाद के संवैधानिक पक्षों पर जोर दिया और बताया कि किस प्रकार संवैधानिक संस्थाओ को मजबूत किया जाए ताकि हम सहकारी संघवाद कि ओर बढ़ सके। प्रो. चितलांगी ने भारतीय संघवाद के एकदलीय प्रभुत्व की व्यवस्था, गठबंधनीय राजनीति ओर राज्यों का राज्यसभा में असमान प्रतिनिधित्व जैसे कारकों को भारतीय संघवाद को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों में उल्लेखित किया। वेबिनार में सम्मिलित दोनों वक्ताओं ने प्रतिभागियों के प्रश्नों के जवाब प्रभावी तरीके से दिए।

इससे पूर्व डॉ. चंचल शर्मा ने वेबिनार की विषय वस्तु पर प्रकाश डालते हुए वैश्विक स्तर पर संघीय शासन व्यवस्थाओं कि प्रवृत्तियों का उल्लेख किया। उन्होंने विशेष तौर से भारत के सन्दर्भ में दलीय प्रणाली, गठबंधन की राजनीति, केंद्रीय स्तर पर सशक्त नेतृत्व, जीएसटी एक्ट और नीति आयोग ने भारतीय संघ को विशेष तौर से प्रभावी किया है। कार्यक्रम के निदेशक प्रो. राजबीर सिंह दलाल ने प्रतिभागियों का स्वागत किया। वहीं कार्यक्रम डॉ. रमेश कुमार ने कार्यक्रम का संचालन किया व आयोजन समिति के सभी सदस्य डॉ. शांतेश, डॉ. राजीव सिंह व सुश्री श्वेता सोहेल भी उपस्थित रहे। वेबिनार में भारत व बांग्लादेश से 250 से भी अधिक विद्यार्थियों व शोधार्थियों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।