Indian Economy Growth : जर्मनी और जापान को जल्द पछाड़ देगी भारतीय अर्थव्यवस्था

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Indian Economy Growth : जर्मनी और जापान को जल्द पछाड़ देगी भारतीय अर्थव्यवस्था
Indian Economy Growth : जर्मनी और जापान को जल्द पछाड़ देगी भारतीय अर्थव्यवस्था

आर्थिक विशेषज्ञों ने माना 2047 तक विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है भारत

Indian Economy Growth (आज समाज), बिजनेस डेस्क : मौजूदा समय में भारत विश्व की तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। भारत उन देशों में सबसे तेजी से विकास कर रहा है जहां कि अर्थव्यवस्था विकासशील से विकसित होने की तरफ अग्रसर है। वर्तमान में अमेरिकी टैरिफ नीति के चलते बदल रहे वैश्विक परिदृश्य के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था अनुकूल रूप से प्रगति कर रही है।

इसके पीछे सबसे बड़ी वजह भारत का विशाल घरेलू बाजार और किसी एक देश पर भारत की निर्भरता का न होना है। इसी वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था पर अमेरिकी टैरिफ नीति से पैदा हुए माहौल का ज्यादा असर देखने को नहीं मिला था। हालांकि अब जबकि अमेरिका ने अपनी टैरिफ दरें 90 दिन के लिए टाल दी हैं तो एक बार फिर से विश्व के अन्य देशों के साथ-साथ भारत की विकास गति ने तेजी पकड़ ली है।

देश के विकास को लेकर ये बोले नीति आयोग के अधिकारी

नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने गुरुवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था अगले तीन साल में जर्मनी व जापान से बड़ी हो जाएगी। नीति आयोग के सीईओ ने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था 2047 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकती है। नई दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सुब्रह्मण्यम ने कहा कि भारत दुनिया के लिए शिक्षा का केंद्र बन सकता है, क्योंकि अन्य सभी चीजों को अलग रखते हुए हमारे देश का सबसे बड़ा लाभ इसका लोकतंत्र है।

अभी भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था

उन्होंने कहा कि फिलहाल भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। अगले साल के अंत तक हम चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हो जाएंगे। उसके बाद के वर्ष में हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हो जाएंगे। आईएमएफ के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था का आकार वर्तमान में 4.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है। उन्होंने कहा, “हम तीन साल में जर्मनी और जापान से भी बड़े हो जाएंगे।

2047 तक हम दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (30 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर) हो सकते हैं। सुब्रह्मण्यम ने कानूनी फर्मों और लेखा फर्मों सहित भारतीय कंपनियों से विश्व में अग्रणी बनने की आकांक्षा रखने की बात कही। नीति आयोग के सीईओ ने कहा कि मध्यम आय वाले देशों की समस्याएं निम्न आय वाले देशों की समस्याओं से बहुत भिन्न हैं।