टोक्यो पैरालंपिक में भारत ने जीता आठवां मेडल, शूटिंग में सिंहराज अधाना ने ब्रॉन्ज पर जमाया कब्जा

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Singhraj adhana
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आज समाज डिजिटल,नई दिल्ली
पोलियो से ग्रस्त होने वाले और पहली बार पैरालंपिक में भाग ले रहे 39 वर्षीय सिंहराज ने कुल 216.8 अंक बनाकर पी1 पुरुष 10 मीटर एयर पिस्टल एसएच1 स्पर्धा में ब्रॉन्ज मेडल जीता जो इन खेलों की निशानेबाजी प्रतियोगिता में भारत का दूसरा मेडल है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टोक्यो पैरालंपिक खेलों में कांस्य पदक जीतने वाले निशानेबाज सिंहराज सिंह अधाना को बधाई दी है और उनकी प्रशंसा करते हुए मंगलवार को कहा कि उन्होंने कड़ी मेहनत के दम पर काफी सफलताएं हासिल की। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा देश को उन पर गर्व है। सिंहराज अधाना ने टोक्यो पैरालंपिक में भारत को 8वां मैडल दिलाया है। पोलियो से ग्रस्त होने वाले और पहली बार पैरालंपिक में भाग ले रहे 39 वर्षीय सिंहराज ने कुल 216.8 अंक बनाकर पी1 पुरुष 10 मीटर एयर पिस्टल एसएच1 स्पर्धा में ब्रॉन्ज मेडल जीता जो इन खेलों की निशानेबाजी प्रतियोगिता में भारत का दूसरा मेडल है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट करते हुए कहा, सिंहराज सिंह अधाना का पैरालिंपिक में शूटिंग में कांस्य पदक जीतना उनकी लचीलापन और उत्कृष्टता की दृढ़ खोज की गाथा में एक उच्च बिंदु है। इस अद्भुत उपलब्धि के लिए उन्हें बधाई! देश को आप पर गर्व है। आने वाले वर्षों में आप और अधिक गौरव प्राप्त करें। वही प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट करते हुए कहा कि सिंहराज सिंह अधाना का अद्वितीय प्रदर्शन। भारत के प्रतिभाशाली निशानेबाज ने प्रतिष्ठित कांस्य पदक जीता। उन्होंने कड़ी मेहनत करके उल्लेखनीय सफलताएं हासिल की हैं। उन्हें बधाई और भविष्य के लिये शुभकामनाएं। सिंहराज अधाना एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। लगभग 35 साल की उम्र में काफी देरी से शूटिंग की शुरूआत की। इसके बावजूद अधाना को अपनी कामयाबी का यकीन था। उन्होंने अपने और पैरालिंपिक मेडल के बीच अपनी उम्र और अपनी कमजोरी को कभी नहीं आने दिया। एसएच1 वर्ग में निशानेबाज एक हाथ से ही पिस्टल थामते हैं। उनके एक हाथ या पांव में विकार होता है। इसमें निशानेबाज नियमों के अनुसार बैठकर या खड़े होकर निशाना लगाते हैं। सिंहराज सिंह अधाना हरियाणा के बहादुगढ़ के रहने वाले हैं। उनका परिवार आर्थिक तौर पर काफी ज्यादा मजबूत नहीं है। ऐसे में सिंहराज के लिए शूटिंग जैसे महंगे खेल का खर्च उठाना आसान नहीं था।