आज पूरी मानव जाति पर क्रोना वायरस का कहर बरप रहा है। दुनिया का कोई ऐसा देश नहीं जो इससे घबराया हुआ नहीं हो। चीन से शुरू हुआ क्रोना अमेरिका, इटली, स्पेन, फ्रांस , कनाड़ा जैसे संभ्रात देशों तक को अपनी चपेट ले चुका है। कोरोना वायरसबहुत सूक्ष्म लेकिन प्रभावी वायरस है। कोरोना वायरस मानव के बाल की तुलना में 900 गुना छोटा है। आकार में इस छोटे वायरस ने पूरी दुनिया को डरा दिया है। दिसंबर 2019 में चीन के वुहान शहर में नोवल कोरोना वायरस (कोविड-19) का पहला मामला जानकारी में आया।
जब चीन को इस वायरस के बारे पता चला तो उसने पूरी दूनिया को बता दिया था अगर उसी समय सभी सचेत हो जाते तो आज यह नौबत नहीं आती। कुछ देश सचेत हुए तो वे आज चिंतामुक्त बैठे हैं। दुनिया में इस बीमारी से 21 हजार से अधिक लोग अपनी जान गवां चुके हैं।
भारत में इससे बचने के लिए या यूं कहे कि काबू पाने के लिए 21 दिन का लॉक डॉऊन किया है। इस लोकडाऊन करने से ही इस पर काबू पा लिया जाएगा अगर हम ऐसा सोचते हैं तो यह हमारी भूल होगी। हमें अपनी जिम्मेवारी के साथ उन सभी नियमों का पालन करना चाहिए जो इस दौरान सरकार ने निर्धारित किए हैं। अगर ऐसा हुआ तो भारत निश्चित तौर पर अप्रैल के मध्य तक इस बीमारी से दूर चला जाएगा। भारत के लिए सबसे बड़ा शुकुन देने की बात यह है कि जिन देशों से भारत के लोग खतरे को देख अपने देश लौटे हैं उनमें से अधिकतर को बाद में इस बिमारी ने बड़े पैमाने पर अपनी चपेट में लिया है। मेरे पास सही आंकड़ा तो नहीं है कि इस दौरान भारत में कितने लोग वापस आए हैं मगर मेरी जो जानकारी में है वो यह है कि भारत से जाने वाले लोग चाहे में इटली, स्पेन या कनाड़ा में जाते हैं वे मजदूरी, खेती तथा होटलों में काम के लिए जाते हैं। इन लोगों का वहां के स्थानीय लोगों से ज्यादा मेलजोल नहीं होता। इसलिए वे उनके प्रभाव में न के बराबर हैं। इसके साथ साथ इन देशों से अधिक लोग भी वापस नहीं आए हैं। क्यों नहीं आए यहां इस बात का जिक्र हम नहीं करेंगे। मगर इसी बात का लाभ भारत को मिल रहा है। अमेरिका आज भी दो लाख भारतीय छात्र वहं फंसे हुए हैं।
लाखों लोग भारत में वापस आए उनमें से अधिकतर 50 प्रतिशत की रिपोर्ट नेगेटिव आई है। कुछ अभी 15 दिन का अपना एकांत समय पूरा कर रहे हैं। इस वायरस से निपटने में इटली जैसे देश हाथ खड़े कर गए। उनके यहां यह बुरी पोजिसन इसीलिए आई क्योकि वहां की सरकार को अहसास होने के बाद भी कारगर कदम नहीं उठाए। वहां के चर्म उद्योग पर चीन का वर्चस्व है। बड़ी संख्या में वहां के स्थानीय लोग व चीन के लिए मिलकर काम करते हैं। पब, बार, लोकल ट्रांसपोर्ट में एक साथ चलते हैं। चीन से जो लोग इटली आते जाते रहते हैं वे इस वायरस को ढोहते रहे। आज परिणाम सबके सामने है। इटली में 75हजार लोग संक्रमित है। 75सौ मर चुके हैं। जरा सोचिए कितनी भयावह स्थिति वहां बनी हुई है।
कोरोना वायरस का संबंध वायरस के ऐसे परिवार से है, जिसके संक्रमण से जुकाम से लेकर सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या हो सकती है। इस वायरस को पहले कभी नहीं देखा गया है। इस वायरस का संक्रमण दिसंबर में चीन के वुहान में शुरू हुआ था। डब्लूएचओ के मुताबिक, बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ इसके लक्षण हैं। अब तक इस वायरस को फैलने से रोकने वाला कोई टीका नहीं बना है।
यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। इसलिए लॉकडऊन में सोशल डिस्टेसिंग आवश्यक है। दूसरा जो लोग इससे संक्रमित है उनके आइसोलेसन में या जिनमें लक्षण नजर आते हैं उनके एकांत में रहने से इससे बचा जा सकता है। इसलिए इसे लेकर बहुत सावधानी बरतने की आवश्यकता है। क्रोना खास तौर पर अधिक उम्र के लोग और जिन्हें पहले से अस्थमा, डायबिटीज और हार्ट की बीमारी है उनके लिए सबसे घातक है। अगर किसी व्यक्ति को सुखी खांसी के साथ तेज बुखार है तो उसे एक बार जरूर जांच करानी चाहिए। यदि आपका तापमान 99.0 और 99.5 डिग्री फारेनहाइट है तो उसे बुखार नहीं मानेंगे। अगर तापमान 100 डिग्री फारेनहाइट (37.7 डिग्री सेल्सियस) या इससे ऊपर पहुंचता है तभी यह चिंता का विषय है। कोरोना वायरस कफ होता है मगर संक्रमित व्यक्ति को सुखी खांसी आती है। भारत के लिए सबसे राहत भरी खबर यह है इसके मामले तेजी से नहीं बढ़ रहे। कोरोना वायरस से संक्रमित होने के 5 दिनों के अंदर व्यक्ति को सांस लेने में समस्या हो सकती है। सांस लेने की समस्या दरअसल फेफड़ो में फैलते कफ के कारण होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर कभी-कभी बुखार, खांसी, सांस में दिक्कत के अलावा फ्लू और कोल्ड जैसे लक्षण भी हो सकते हैं।
अंत में ये ही कहुंगा कि हम अमेरिका या इटली जैसे गल्ती न करें। घरों में रहें सावधानी बरतेंगे तो अप्रैल में बैसाखी का त्योहार धूमधाम से मनाएंगे। क्रोना भारत की एकता के सामने भाग खड़ा होगा।
लेखक: डा. एनके चौधरी,
पूर्व मुख्य चिकित्सा अधिकारी, हरियाणा।