नई दिल्ली। भारत पूरे विश्व के सामने न केवल जल, थल और नभ में ही नहंी बल्क् िअंतरिक्ष में भी अपने झंडे गाड़ रहा है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (इसरो) का चंद्रयान-2 एक ऐसा ही मिशन है जिस पर पूरी दुनिया की नजर है। इसरो के योग्य और मेहनती वैज्ञानिकों की मेहनत अब रंग लाने वाली है। जल्द ही चंद्रयान-2 अपने गंत्वय पर पहुंचने वाला है जिसको देखने के लिए दुनिया बेताब है। सोमवार को चंद्रयान-2 के आॅर्बिटर से ‘विक्रम लैंडर को सफलतापूर्वक अलग किया गया। आपको बता दें कि इससे पहले रविवार शाम चंद्रयान-2 के पांचवें और अंतिम कक्षा परिवर्तन को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया था। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार, अंतरिक्ष यान का कक्षा परिवर्तन शाम 6.21 बजे शुरू हुआ। इसके लिए आॅनबोर्ड प्रोपल्सन प्रणाली का इस्तेमाल 52 सेकेंड के लिए किया गया। यह 119 किमी गुणा 127 किमी की कक्षा में पहुंच गया। अंतरिक्ष यान के सभी मानक सामान्य हैं। अगला महत्वपूर्ण अभियान, अंतरिक्ष यान से लैंडर विक्रम का अलग हो गया है।
चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को भारत के भारी रॉकेट जियोसिनक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हिकिल-मार्क 3(जीएसएलवी एमके3) से अंतरिक्ष में छोड़ा गया था। अंतरिक्ष में तीन खंड हैं, जिसमें आर्बिटर (2,379 किग्रा वजनी, आठ पेलोड), लैंडर ‘विक्रम’ (1,471 किग्रा, चार पेलोड) व रोवर ‘प्रज्ञान’ (27 किग्रा, दो पेलोड) शामिल हैं। बता दें कि चंद्रयान-2 सात सितंबर को रात 1.55 मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। यह यान 03 सितंबर को तीन सेकंड के लिए अपना स्थान बदलेगा। एक सेकंड से भी कम समय में विक्रम आॅर्बिटर से अलग हो गया। इसरो चेयरमैन के शिवन ने बताया कि यह तेज गति से अलग होगा जैसे कोई उपग्रह लॉंच किया गया हो।
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