आज समाज डिजिटल, नई दिल्ली,(India On China Water Battle Plan): चीन जहां लम्बे समय से भारत को वाटर बैटल से नुकसान पहुंचाने की तैयारी में है, वहीं भारत भी इस मामले में पीछे नहीं है। इसके जवाब में केंद्र सरकार ने भी बांध परियोजनाओं पर काम करना शुरू कर दिया है।
ड्रैगन एलएसी से केवल 30 किमी दूर बना रहा सबसे
गौरतलब है कि चीन बीते 11 वर्ष से दुनिया की सबसे ऊंची नदी ब्रह्मपुत्र के प्रवाह को मनमाने तरीके से मोड़ने का काम तो कर ही रहा है, लेकिन अब वह अरुणाचल में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से केवल 30 किलोमीटर दूर सबसे बड़ा बांध बना रहा है और वाटर बैटल से भारत को नुकसान की उसकी यह एक बड़ी चाल है। ड्रैगन की इस चाल को देखते हुए केंद्र सरकार की परियोजनाओं के तहत ब्रह्मपुत्र पर चार बड़े बांध बनेंगे।
एक प्रोजेक्ट को भी अगले कुछ दिन में मिल जाएंगी जरूरी मंजूरियां
इनमें से तीन परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने का काम शुरू कर दिया गया है और एक प्रोजेक्ट को अभी केंद्र सरकार के अलग-अलग मंत्रालयों से मंजूरी मिलनी बाकी है। सूत्रों का कहना है कि अगले कुछ दिन में इसे भी पर्यावरण संबंधी सभी जरूरी मंजूरियां भी मिल जाएंगी। इन परियोजनाओं को तीन वर्ष में पूरा करने का लक्ष्य रखा जा रहा है। जिन दो परियोजनाओं पर काम चल रहा है, सुरक्षा कारणों की से उनकी स्टेटस रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जा रही है।
थ्री-जॉर्ज डैम से भी थोड़ा बड़ा होगा ड्रैगन का नया बांध
ड्रैगन अरुणाचल में एलएसी से 30 किमी की दूरी पर जो अब सबसे बड़ा बांध बना रहा है यह उसके मौजूदा सबसे बड़े थ्री-जॉर्ज डैम से भी थोड़ा बड़ा होगा। 181 मीटर ऊंचे और ढाई किमी चौड़े इस बांध की लंबाई की जानकारी फिलहाल स्पष्ट नहीं की गई है।
60,000 मेगावॉट बिजली पैदा करने की क्षमता का यह बांध मेडोग बॉर्डर पॉइंट के पास बनेगा और यहीं से ब्रह्मपुत्र भारत में प्रवेश करती है। बता दें कि चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी पर सबसे बड़ा प्रोजेक्ट जांगमू में बनाया है। इसके अलावा ड्रैगन तिब्बत के आठ शहरों, बायू, जिशि, लांग्टा, दाप्का, नांग, डेमो, नाम्चा और मेतोक में भी तेजी से बांध बना रहा है। इनमें से कुछ बांध बन भी चुके हैं।
भारत-बांग्लादेश को आर्टिफिशियल फ्लड का खतरा
ब्रह्मपुत्र पूर्वोत्तर भारत के रास्ते बांग्लादेश होते हुए समुद्र में जाती है। इस दौरान यह 8,858 फीट गहरी घाटी बनाती है, जो अमेरिका की ग्रैंड केनयॉन से दोगुनी गहरी है। भारत-बांग्लादेश की चिंता यह है कि चीन किसी भी समय बांध के गेट खोलकर आर्टिफिशियल फ्लड ला सकता है।
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