संजीव कुमार, रोहतक:
आज नौ अगस्त को देश भर के बड़े शहरों में ‘इंडिया मार्च फॉर साइंस’ का आयोजन किया गया है। रोहतक में भी एमडीयू गेट न. 2 के सामने मार्च फॉर साइंस किया गया। इसी मौके पर “विज्ञान व वैज्ञानिक दृष्टिकोण” विषय पर फेसबुक लाइव भी किया गया। जिसमें मुख्य रूप से चंचल घोष, सदस्य, आल इंडिया कमेटी, ब्रेकथ्रू साइंस सोसाइटी, रसायन विज्ञान के लेक्चरर हेमंत शेखावत व हरीश कुमार सैनी, कन्वीनर, इंडिया मार्च फॉर साइंस हरियाणा आगेर्नाईजिंग कमेटी ने चर्चा की।
उन्होंने अपने वक्तव्य में बताया कि आज ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित सभी वास्तविक योगदानों को दरकिनार किया जा रहा है एवं आधुनिक विज्ञान की खोजों को छोटा दिखाकर असत्य एवं काल्पनिक तथ्यों को आधार बनाकर प्रस्तुत करना एक प्रचलन बन गया है। साथ ही जो सिद्धांत पूरी तरह से वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है जैसे कि डार्विन का ‘विकासवाद का सिद्धांत’, आइंस्टीन का ‘सापेक्षता का सिद्धांत’ जैसे सिद्धांतों को समय-समय पर भारतीय विज्ञान कांग्रेस जैसे मंच से कमजोर करके दिखाया जाता रहा है। केंद्रीय व राज्य स्तर पर नीति निर्धारकों के द्वारा कई नकली कहानियों के माध्यम से भ्रांतियों को परोसा जा रहा है। अवैज्ञानिक विचार और अंधविश्वास को लगातार तीव्र गति से चारों ओर फैलाया जा रहा है। पाठ्यक्रम में ज्योतिष जैसे अवैज्ञानिक विषयों को लागू किया जा रहा है।
शिक्षा में खासतौर पर वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए आर्थिक अनुदान बहुत ही कम है। अधिकतर देश शिक्षा पर अपनी जीडीपी का 6% या उससे अधिक और वैज्ञानिक व तकनीकी अनुसंधान पर 3% खर्च करते हैं। परन्तु भारत देश में हर साल बजट में कटौती की जाती है। जिसके परिणामस्वरूप स्वतंत्रता के 72 वर्षों के बाद भी एक बहुत बड़ा तबका अशिक्षित या अर्धशिक्षित रह गया है। हमारे कॉलेज व यूनिवर्सिटी की शिक्षा व्यवस्था, इंफ्रास्ट्रक्चर, टीचिंग एवं नॉन टीचिंग स्टाफ और अनुसंधान फंड के अभाव से लगातार कमजोर होते जा रहे हैं। सीएसआईआर एवं डीएसटी जैसे संस्थान विज्ञान अनुसंधान के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करते हैं। वे भी लगातार फंड की कमी से जूझ रहे हैं।
आज नौ अगस्त को देश भर के बड़े शहरों में ‘इंडिया मार्च फॉर साइंस’ का आयोजन किया गया है। रोहतक में भी एमडीयू गेट न. 2 के सामने मार्च फॉर साइंस किया गया। इसी मौके पर “विज्ञान व वैज्ञानिक दृष्टिकोण” विषय पर फेसबुक लाइव भी किया गया। जिसमें मुख्य रूप से चंचल घोष, सदस्य, आल इंडिया कमेटी, ब्रेकथ्रू साइंस सोसाइटी, रसायन विज्ञान के लेक्चरर हेमंत शेखावत व हरीश कुमार सैनी, कन्वीनर, इंडिया मार्च फॉर साइंस हरियाणा आगेर्नाईजिंग कमेटी ने चर्चा की।
उन्होंने अपने वक्तव्य में बताया कि आज ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित सभी वास्तविक योगदानों को दरकिनार किया जा रहा है एवं आधुनिक विज्ञान की खोजों को छोटा दिखाकर असत्य एवं काल्पनिक तथ्यों को आधार बनाकर प्रस्तुत करना एक प्रचलन बन गया है। साथ ही जो सिद्धांत पूरी तरह से वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है जैसे कि डार्विन का ‘विकासवाद का सिद्धांत’, आइंस्टीन का ‘सापेक्षता का सिद्धांत’ जैसे सिद्धांतों को समय-समय पर भारतीय विज्ञान कांग्रेस जैसे मंच से कमजोर करके दिखाया जाता रहा है। केंद्रीय व राज्य स्तर पर नीति निर्धारकों के द्वारा कई नकली कहानियों के माध्यम से भ्रांतियों को परोसा जा रहा है। अवैज्ञानिक विचार और अंधविश्वास को लगातार तीव्र गति से चारों ओर फैलाया जा रहा है। पाठ्यक्रम में ज्योतिष जैसे अवैज्ञानिक विषयों को लागू किया जा रहा है।
शिक्षा में खासतौर पर वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए आर्थिक अनुदान बहुत ही कम है। अधिकतर देश शिक्षा पर अपनी जीडीपी का 6% या उससे अधिक और वैज्ञानिक व तकनीकी अनुसंधान पर 3% खर्च करते हैं। परन्तु भारत देश में हर साल बजट में कटौती की जाती है। जिसके परिणामस्वरूप स्वतंत्रता के 72 वर्षों के बाद भी एक बहुत बड़ा तबका अशिक्षित या अर्धशिक्षित रह गया है। हमारे कॉलेज व यूनिवर्सिटी की शिक्षा व्यवस्था, इंफ्रास्ट्रक्चर, टीचिंग एवं नॉन टीचिंग स्टाफ और अनुसंधान फंड के अभाव से लगातार कमजोर होते जा रहे हैं। सीएसआईआर एवं डीएसटी जैसे संस्थान विज्ञान अनुसंधान के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करते हैं। वे भी लगातार फंड की कमी से जूझ रहे हैं।