Export Policy of India : भारत के पास निर्यात में प्रतिस्पर्धा करने का अवसर : सर्वे

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Export Policy of India : भारत के पास निर्यात में प्रतिस्पर्धा करने का अवसर : सर्वे
Export Policy of India : भारत के पास निर्यात में प्रतिस्पर्धा करने का अवसर : सर्वे

अमेरिका की नई टैरिफ नीति के चलते भारत के लिए खुले संभावनाओं के द्वार

Export Policy of India (आज समाज), बिजनेस डेस्क : अमेरिका द्वारा घोषित की गई नई टैरिफ नीति के चलते विश्व भर के शेयर बाजारों में हताशा का दौर है। भारत भी इससे अछूता नहीं है और कारोबारी सप्ताह के अतिंम दिनों में शेयर बाजार में जबरदस्त बिकवाली के चलते मंदी देखी गई। लेकिन स्टेट बैंक आॅफ इंडिया (एसबीआई) द्वारा करवाए गए सर्वे की रिपोर्ट इसके विपरीत है।

पीएलआई को बढ़ाने की जरूरत

अमेरिका के टैरिफ से पैदा हुए अवसरों का लाभ उठाने के लिए भारत को उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन यानी पीएलआई को कई और क्षेत्रों में बढ़ाने के साथ इसकी अवधि को भी तीन साल तक बढ़ाने की जरूरत है। एसबीआई की रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि इससे वैश्विक स्तर पर भारत को निर्यात में प्रतिस्पर्धा करने में मजबूती मिलेगी। एसबीआई ने शनिवार को जारी रिपोर्ट में कहा, चीनी और भारतीय वस्तुओं पर भारी शुल्क लगाया गया है। ऐसे में भारत अमेरिकी बाजार का एक बड़ा हिस्सा हथियाने के एक दुर्लभ अवसर की ओर अपने आप को देखता हुआ पाता है।

इस अवसर को विनिर्माण क्षेत्र में उछाल में बदलने जरूरत होगी। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के नए ठिकानों की तलाश के बीच भारत सरकार अपनी 23 अरब डॉलर की विनिर्माण योजना को समाप्त करने की योजना बना रही है। इसे मूल 14 क्षेत्रों से आगे भी नहीं बढ़ाया जाएगा। एसबीआई ने रिपोर्ट में कहा, सरकार को भारतीय निर्यातकों को इस उथल-पुथल से लाभ उठाने में मदद करने के लिए पीएलआई योजनाओं को मजबूत करना चाहिए।

निर्यात बढ़ाने पर रखना होगा फोकस

भारत को वास्तविक निर्यात शक्ति में बदलने के लिए तेजी से और साहसिक कदम उठाने की जरूरत है। रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि केंद्र को पीएलआई कवरेज का विस्तार करके कपड़ा, इंजीनियरिंग सामान और रत्न एवं आभूषण जैसे और क्षेत्रों को शामिल करना चाहिए। ये ऐसे क्षेत्र हैं जहां भारतीय निर्माताओं की पहले से ही वैश्विक पैठ है। पीएलआई अवधि बढ़ने से घरेलू उद्योगों के निवेश और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा। टैरिफ अशांति के कारण भारत के सबसे बड़े निर्यात गंतव्यों में से एक अमेरिकी बाजार अचानक से परिधान, जूते, लोहा और स्टील जैसे भारतीय सामानों के लिए ज्यादा सुलभ हो गया है।

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