नई दिल्ली। भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय से जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर उसकी रिपोर्ट को लेकर सोमवार को कड़ा एतराज जताया और कहा कि यह झूठ और राजनीति से प्रेरित विमर्श की निरंतरता भर है तथा वह पाकिस्तान से होने वाले सीमापार आतंकवाद के मूल मुद्दे की अनदेखी करता है। संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार इकाई ने सोमवार को कहा कि भारत और पाकिस्तान कश्मीर में स्थिति में सुधार में असफल रहे और उसकी पूर्व की रिपोर्ट में जतायी गई कई चिंताओं के समाधान के लिए उन दोनों ने कोई ठोस कदम नहीं उठाये। गत वर्ष संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त के कार्यालय ने कश्मीर पर अपनी पहली रिपोर्ट जारी की थी।
उसमें भारत और पाकिस्तान द्वारा गलत कार्यों का उल्लेख किया गया था और उनसे आग्रह किया गया था कि वे लंबे समय से जारी तनाव को कम करने के लिए कदम उठायें। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त के कार्यालय ने नयी रिपोर्ट में कहा है, ‘‘कश्मीर और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में मई 2018 से अप्रैल 2019 तक की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार रिपोर्ट कहती है कि 12 महीने की अवधि में नागरिकों के हताहत होने की सामने आयी संख्या एक दशक से अधिक समय में सबसे अधिक हो सकती है।’’ मानवाधिकार कार्यालय ने कहा ‘‘व्यक्त की गई चिंताओं के समाधान के लिए ना तो भारत और ना ही पाकिस्तान ने ही कोई कदम उठाये।’’ रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘कश्मीर में, भारतीय सुरक्षा बलों के सदस्यों द्वारा उल्लंघनों की जवाबदेही वस्तुत: अस्तित्वहीन है।’’ नयी दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त के कार्यालय की अद्यतन रिपोर्ट जम्मू कश्मीर पर पूर्व की झूठी और दुर्भावना से प्रेरित बातों का विस्तार है।
इस रिपोर्ट पर प्रहार करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, ओएचसीएचआर की रिपोर्ट की अगली कड़ी भारतीय राज्य जम्मू कश्मीर की स्थिति पर उसके पिछले झूठे और राजनीति से प्रेरित विमर्श की निरंतरता भर है। उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट में कही गयी बातें भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करती हैं और उसमें सीमापार आतंकवाद के मूल मुद्दे की अनदेखी की गयी है।कुमार ने कहा, ‘वर्षों से पाकिस्तान से जो सीमापार आतंकवाद चल रहा है, उससे उत्पन्न स्थिति का उसकी वजह से होने वालों हताहतों का हवाला दिये बगैर विश्लेषण किया गया है। यह दुनिया के सबसे बड़े और जीवंत लोकतंत्र के साथ आतंकवाद का खुलेआम समर्थन करने वाले देश की कृत्रिम रूप से बराबरी करने की काल्पनिक कोशिश भर है।’ उन्होंने कहा, ‘हमने मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय से इस कड़ी को लेकर गहरा एतराज जताया है।’