गेहूं के खेत में मंडूसी के पौधों की बढ़ रही रफ्तार से किसानों की बढ़ी चिंताएं

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Increasing speed of Mandusi plants in wheat field increased farmers' concerns
Increasing speed of Mandusi plants in wheat field increased farmers' concerns

इशिका ठाकुर,करनाल:

मंडूसी या गुल्‍ली डंडा गेहूं का एक प्रमुख खरपतवार है. पिछले कुछ सालों में इसने बहुत अडियल रूख अपनाया है. बहुत से क्षेत्र ऐसे हैं जिनमें उगने के बाद इस पर खरपतवारनाशक दवाएं असर ही नहीं करती. हरियाणा तथा पंजाब के कुछ भागों में गेहूं में यह इतना अधिक उग जाता है कि किसानों को गेहूँ की हरी फसल को पशुओं के चारे के रूप में काटना पड़ा। इसलिए इसका प्रबंधन करना अब बहुत जरूरी हो गया है.

Increasing speed of Mandusi plants in wheat field increased farmers' concerns
Increasing speed of Mandusi plants in wheat field increased farmers’ concerns

गेहूँ के खेत में मंडूसी के पौधों की पहचान काफी मुश्किल होती है। लेकिन ध्यान से देखने पर पता चलेगा कि मंडूसी के पौधे सामान्यत: गेहूँ के मुकाबले हल्के रंग के होते हैं। इसके अतिरिक्त मंडूसी का तना जमीन के पास से लाल रंग का होता है। तना तोड़ने या काटने पर इसके पत्तों, तने और जड़ों से भी लाल रंग का रस निकलता है जबकि गेहूँ के पौधे से निकलने वाला रस रंगविहीन होता है।

खरपतवार बीज रहित गेहूँ के बीज का प्रयोग करें।गेहूँ की बीजाई 15 नवम्बर से पहले करें।लाईन में कम दूरी रखें (18 सेमी.) ।गेहूँ के पौधों की संख्या बढ़ाने के लिए आड़ी-तिरछी बीजाई करें।खाद को बीज के 2-3 सेंटीमीटर नीचे डालें।मेढ़ पर बीजाई करने से भी मंडूसी का प्रकोप कम होता है।बीज बनने से पहले ही मंडूसी को उखाड़ कर पशु चारे के लिए प्रयोग करें।मेढ़ों तथा पानी की नालियों को साफ़ रखें।खेत में तीन सालों में कम से कम एक बार बरसीम अथवा जई की फसल चारे के लिए उगायें।जल्दी पानी लगाकर मंडूसी को उगने दें तथा फिर दवाई या खेत को जोत कर इसे खत्म करने के बाद गेहूँ की बीजाई करें।जीरो टिलेज में मंडूसी कम उगती है। लेकिन लगातार कई सालों तक इसके प्रयोग से दूसरे खरपतवारों का प्रकोप बढ़ जाता है।गेहूँ की जल्दी बढ़ने वाली किस्में उगायें।

यांत्रिक विधि

मंडूसी का पौधा शुरू में बिलकुल गेहूँ के पौधे जैसा होता है इसलिए इसे पहचान पाना आसान नहीं होता। अत: इसे निराई-गुड़ाई करके निकालना बहुत कठिन है। बीजाई के 30 से 45 दिन बाद लाईनों में बीजे गेहूँ में खुरपे या क्सौले आदि से गुड़ाई की जा सकती है। क्योंकि ज्यादातर किसान, मुख्यत: हरियाणा में, छिटटा देकर बीजाई करते हैं इसलिए यांत्रिक विधि से खरपतवार नियंत्रण सम्भव नहीं हो पाता अत: दवाई से ही नियंत्रण करना जरूरी हो जाता है।

Increasing speed of Mandusi plants in wheat field increased farmers' concerns
Increasing speed of Mandusi plants in wheat field increased farmers’ concerns

गेहूं की फसल में मंडूसी का प्रकोप बढ़ने से किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीर दिखाई देने लगी है। किसान बार-बार मंडूसी को खत्म करने के लिए खरपतवार नाशक दवा का छिड़काव कर रहे हैं, लेकिन मंडूसी नियंत्रण में नहीं आ रही है। किसानों का कहना है कि खरपतवार पर काबू पाने के लिए महंगी दवाइयों का छिड़काव करना पड़ रहा है।

खरपतवारनाशक का सही तरीके से करें छिड़काव

जिला कृषि उपनिदेशक डॉ आदित्य प्रताप डबास ने कहा कि गेंहू की फसल में मंडूसी उगने पर किसान पहली सिचाई 21 दिन के बाद जमीन पर पहर थमने के बाद खरपतवारनाशक का सही तरीके से छिड़काव करें। सिचाई के बाद जब खेत में हल्की नमी हो तब छिड़काव उचित रहता है। मंडूसी व चौड़ी पत्तीदार खरपतवार के नियंत्रण के लिए 8 ग्राम अलग्रीप व केवल मंडूसी के लिए 160 ग्राम टॉपिक या 13 ग्राम लीडर दवाई को 200 लीटर पानी में घोल कर प्रति एकड़ गेहूं की बिजाई के 30 या 35 दिन बाद के हिसाब से छिड़काव करें। किसान तेज हवा में दवा का छिड़काव ना करें

दवाईयों का प्रयोग

दवाई द्वारा खरपतवार नियंत्रण को प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि इससे मजदूरी कम लगती है तथा दूसरे पौधे टूटते नहीं हैं जैसा कि यांत्रिक विधि में होता है। दवाई से नियंत्रण भी ज्यादा प्रभावी होता है क्योंकि दवाई से लाईनों के बीच के खरपतवार भी आसानी से नियंत्रित हो जाते है जोकि गेहूँ से मंडूसी की समानता होने के कारण निराई-गुड़ाई के समय छुट जाते हैं। उन्होंने कहा कि फसल चक्र हमेशा अपनाएं इससे मंडूसी कम हो जाती है।

कृषि विशेषज्ञ ने कहा कि किसान 2-3 स्प्रे करने के बाद भी मंडूसी पर नियंत्रण नहीं कर पाते। उन्होंने कहा कि इसके लिए 30 ग्राम की आठ पुरिया 1 एकड़ में शगुन नामक दवाई साथ में एक डिब्बा एक्सेल और इपीसीएन 9 दवाई को मिलाकर घोल बनाएं जिसका 200 लीटर पानी प्रति एकड़ के हिसाब से सप्रे करें । सरप्राइज चौड़ी नोजल वाले पंप से ही करें । गेंहू कि दो किस्म 505 और 303 ऐसी हैं इसमें केवल एक्सेल दवाई का ही सफल करें ।

उन्होंने कहा कि कुछ किसानों की समस्या रहती है कि स्प्रे करने से खरपतवार नष्ट होने की बजाय के ऊपर प्रभाव पड़ता है ऐसे में वह कृषि विशेषज्ञ की सलाह लेकर जो दवाई की सही डोज है वही खेत में डालें । उन्होंने कहा कि जहां से भी किसान दवाई लेते हैं उसका पक्का बिल ले अगर किसी की गेहूं को स्प्रे करने से नुकसान होता है तो हम हमारे विभाग में सारे बिल के साथ कंप्लेट दे हम उस दुकानदार के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।

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