Income Tax Alert : वित्तीय वर्ष जो की 1 अप्रैल से शुरू हो रहा है इसी के तहत सभी वित्तीय गतिविधियां भी बढ़ रही है और लोग आयकर बचाने में लगे हुए है क्योकि पिछले वित्तीय वर्ष का समापन 31 मार्च को होने वाला है। कुछ लोग आयकर बचने के लिए गलत रास्ता अपनाते है। कई लोग फर्जी किराए की रसीदों का इस्तेमाल करके भी टैक्स बचाने की सोचते हैं। आयकर विभाग सभी गतिविधियां पर पैनी नज़र बनाये हुए है लोगों पर नकेल कसना शुरू कर दिया है।
आइए जानते हैं कि आयकर विभाग किस तरह से फर्जी किराए की रसीदों वाले ITR को पकड़ता है और नोटिस भेजता है। क्या आप भी जानना चाहते हैं कि आप फर्जी किराए की रसीदों से कैसे बच सकते हैं? तो आइए जानते हैं।
AI का इस्तेमाल कर आयकर विभाग
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI के ज़माने में आयकर विभाग भी अब AI का इस्तेमाल कर रहा है। आयकर विभाग AI के ज़रिए फर्जी किराए की रसीदें पकड़ रहा है। इसके लिए आयकर विभाग फॉर्म-16 को AIS फॉर्म और फॉर्म-26AS से मिलाता है।
जानें क्या है प्रक्रिया
पैन कार्ड से जुड़े सभी लेन-देन इन फॉर्म में दर्ज किए जाते हैं। जब कोई करदाता किराए की रसीद के जरिए हाउस रेंट अलाउंस का दावा करता है, तो आयकर विभाग उसके दावे का मिलान इन फॉर्म से करता है और अगर कोई अंतर होता है, तो वह तुरंत दिख जाता है। यह पूरी प्रक्रिया एआई की मदद से अपने आप और मिनटों में हो जाती है।
कब देना होता है मकान मालिक का पैन
हाउस रेंट अलाउंस से जुड़ा एक नियम है कि वह HRA कटौती का दावा तभी कर सकता है, जब उसे कंपनी से HRA मिल रहा हो। वहीं, अगर कर्मचारी 1 लाख रुपये से ज्यादा किराया देता है, तो उसे अपने मकान मालिक का पैन नंबर भी देना होगा।
जानें कैसे होता है वेरिफिकेशन
आयकर विभाग आपके HRA के तहत दावा की गई राशि का मिलान आपके मकान मालिक के पैन नंबर पर भेजी गई राशि से करता है। आपको बता दें कि पैन से जुड़े सभी लेन-देन AIS फॉर्म में लिखे होते हैं। अगर दोनों में कोई अंतर पाया जाता है तो आयकर विभाग की ओर से आपको नोटिस भेजा जाता है।
1 लाख रुपये से कम किराया क्लेम
अगर आपकी कंपनी HRA देती है और आप सालाना 1 लाख रुपये से कम किराया क्लेम कर रहे हैं तो आपको अपने मकान मालिक का पैन नहीं देना होगा। यानी इस स्थिति में आप 1 लाख रुपये तक का HRA क्लेम कर सकते हैं जिसकी जांच आयकर विभाग नहीं करेगा कि यह सच है या फर्जी।
HRA पर धोखाधड़ी क्यों
HRA को लेकर धोखाधड़ी की सबसे बड़ी वजह यह है कि इससे काफी आय पर टैक्स बचता है। मान लीजिए आपने अपने घर का किराया 20 हजार रुपये महीना यानी 2.40 लाख रुपये सालाना दिखाया तो आपको लगभग इतनी रकम पर टैक्स नहीं देना होगा।
ऐसे में कई लोगों को लगता है कि फर्जी किराए की रसीद बनाकर टैक्स बचाया जा सकता है, लेकिन अब आयकर विभाग इन धोखाधड़ी को पकड़ रहा है और नोटिस भेज रहा है।
हालांकि, अगले साल से पुरानी कर व्यवस्था में 12 लाख रुपये तक की आय छूट के साथ कर मुक्त होगी, इसलिए हो सकता है कि एचआरए का दायरा भी कम हो जाए और इस वजह से धोखाधड़ी भी कम हो जाए।
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