भ्रमण का अर्थ होता है घूमना। इसलिए भ्रमण प्राणायाम का अभ्यास टहलते हुए किया जाता है। भ्रमण प्राणायाम एक प्रकार की ब्रीथिंग तकनीक है। यह प्राणायाम का सबसे सरल रूप है। इसमें व्यक्ति अपनी सांस को विशेष प्रकार से अन्दर की ओर लेता है और फिर उसे बाहर की तरफ छोड़ता है। अपना स्वास्थ्य अच्छा रखने के लिए ये प्राणायाम से बेहतर कुछ नहीं है। प्राणायाम करने के कई सारे फायदे होते है। आज हम आपको भ्रमण प्राणायाम के बारे में बता रहे है।
ऐसे करें भ्रमण प्राणायाम
- इसे करने के लिए आपको नियमित टहलना है। जब भी आप टहले उस समय आपके शरीर को बिलकुल सीधा रखें और धीरे-धीरे सांस लें। सांस लेते वक्त अपने मन में 1 से 4 तक गिनती करें। गिनती लेने तक आपको पूर्ण सांस लेना है फिर सांस छोड़ें। ऐसा जरुरी नहीं की आप सांस लेते या छोड़ते वक्त संख्या की गिनती ही करें।
- आप यदि मन में संख्या की गिनती करने के बजाय अच्छे विचार या फिर भगवान का ध्यान भी कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त आपको इस प्राणायाम में सांस लेने से ज्यादा समय सांस छोड़ने में लगाना है। इस क्रिया को करते वक्त जब आपने सांस ली हो तो, सांस को 4 से 5 कदम तक रोक कर रखें और फिर छोड़ें। आपको सांस रोकने की क्षमता को धीरे-धीरे बढ़ाते हुए 10 से 15 बार तक करना है।
- शुरुआत में जब इस आसन को करते है तो आधे घंटे टहलने का प्रयास किया जाता है जिसमे जिसमे साँसों को लेने, छोड़ने वाला अभ्यास शुरुवात और अंत के 2 मिनट और बिच के 2 मिनट किया जाता है। वही अभ्यास में निपुण होने के बाद इसे 4 मिनट करे।
प्राणायाम के फायदे
- भ्रमण प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है तथा फेफड़ों में मजबूती आती है।
- जो लोग इसका अभ्यास करते है उनका दिल मजबूत होता है साथ ही साथ दिल का दौरा पड़ने की संभावना कम होती है।
- इसे करने से बालो का झड़ना, सफ़ेद होना आदि समस्याए दूर होती है। बालो की समस्या दूर करने के लिए इसे जरुर करना चाहिए।
- इसका नियमित अभ्यास कई तरह के रोगों का बचाव जैसे की टीबी, क्षयरोग, श्वांस संबंधी बीमारी, टायफाइड आदि से बचाव होता है।
नोट: इस प्राणायाम को करने से पहले यह देख लें कि आपको किसी तरह की परेशानी तो नहीं है, अगर कोई समस्या है तो चिकित्सक से एक बार जरूर सलाह लें।