कैथल : हमला करने के मामले में महिला सहित 3 दोषियों को 2-2 वर्ष की कैद व 4500-4500 रुपए जुमाना

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मनोज वर्मा, कैथल :
मामूली रंजिशन लाठी डंडो से हमला करके चोटे मारने के मामले में पूनम सुनेजा अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश तथा विशेष न्यायालय एससी/एसटी व पाक्सो तथा क्राइम अगेंस्ट वूमेन जिला कैथल की अदालत द्वारा वीरवार को महिला सहित 3 दोषी 2-2 वर्ष कैद तथा 4500-4500 रुपए जुर्माने के सजायाब किए गये है। जुमार्ना अदा ना करने की सुरत में दोषी को अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा।
पुलिस अधीक्षक लोकेंद्र सिंह ने बताया कि चिनाई मिस्त्री का काम करने वाले किताब सिहं निवासी खुराना रोड़ कैथल की शिकायत पर 19 अप्रैल 2018 को थाना शहर में दर्ज मामले अनुसार उनकी कालोनी में रहने वाला गुरमेल सिंह तथा उसका पुत्र बलजिंद्र सिंह पुराने खिडकी दरवाजे खरीदकर व बेचने का काम करता है। बलजिंद्र सिंह ने किताब सिंह से तीन दरवाजे व एक शोकेस खरीदा था। जिसके पैसे मांगने पर बलजिंद्र सिहं उसके साथ गाली-गलौच करने लगा। जो 19 अप्रैल 2018 की सुबह गली से से जा रहे किताब सिंह पर बलजिंद्र सिंह, उसके पिता गुरमेल सिंह तथा बलजिंद्र की पत्नी सुरजीत कौर द्वारा लाठी-डंडो से हमला करके काफी चोटें मारी गई थी।

एसपी ने बताया कि थाना शहर में एससी/एसटी एक्ट तथा भादसं. की विभिन्न धाराओं तहत दर्ज मामले में दोषी गुरमेल सिंह, बलजिंद्र सिंह व महिला सुरजीत कौर को शामिल अनुसंधान करके मामले का चालान तैयार करके अभियोग को माननीय न्यायालय के सुपूर्द कर दिया गया तथा समय-समय पर निरंतर रुप से गवाहियां देकर मामले की मुस्तैदी पुर्वक पैरवी की गई। जिसके दौरान उप जिला न्यायवादी जयभगवान गोयल द्वारा दी गई दलीलों को मध्य नजर रखते हुए उपरोक्त मामले में 29 जुलाई को मैडम पूनम सुनेजा अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश तथा विशेष न्यायालय एससी/एसटी व पाक्सो तथा क्राइम अगेंस्ट वुमेन जिला कैथल की अदालत द्वारा सोमवार को दोषी गुरमेल सिंह, बलजिंद्र सिंह व महिला सुरजीत कौर को 2-2 वर्ष कैद तथा 4500-4500 रुपए जुमार्ने का सजायाब किया गया है। जुमार्ना अदा न करने की सुरत में दोषी को अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा। एसपी ने बताया कि माननीय न्यायालय ने अपने निर्णय में साफ तौर पर लिखा एससी/एसटी एक्ट 1989 समाज के कमजोर वर्ग के उत्थान के लिए बनाया गया है। इस एक्ट का उद्देश्य स्वर्ण जाति के लोगों द्वारा अनुसूचित जातियों व जनजातीय लोगों के साथ किए गए अत्याचार व उत्पीडऩ के कृत्यों को धारा 3 के तहत दंडित करने का है। इस प्रकार के निर्णय से दोषियों को दंडित करने से गरीब आदमी का न्याय व्यवस्था में विश्वास दृढ़ होगा।