36 आरोही स्कूलों में सामान्य वर्ग की बेटियां अब छात्रावास से महरूम

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36 आरोही स्कूलों में सामान्य वर्ग की बेटियां अब छात्रावास से महरूम
36 आरोही स्कूलों में सामान्य वर्ग की बेटियां अब छात्रावास से महरूम

आज समाज डिजिटल, अंबाला:
प्रदेश के शिक्षा विभाग ने जरनल कैटेगरी यानी कि सामान्य वर्ग की बेटियों को आरोही स्कूलों में छात्रावास की सुविधा से महरूम कर दिया है। अब वे इन स्कूलों में पढ़ तो सकेंगी, लेकिन रहने और खाने का इंतजाम खुद करना होगा। प्रदेश में इस तरह के 36 स्कूल हैं। यह शिक्षा सत्र 2022-23 से लागू किया गया है।

इसलिए शुरू हुए थे आरोही स्कूल

36 आरोही स्कूलों में सामान्य वर्ग की बेटियां अब छात्रावास से महरूम
36 आरोही स्कूलों में सामान्य वर्ग की बेटियां अब छात्रावास से महरूम

प्रदेश के पिछड़े खंड़ों में (अंग्रेजी माध्यम) से शिक्षा देने के लिए 36 आरोही मॉडल स्कूल शुरू किए गए थे। हिसार, सिरसा, भिवानी, जींद, कैथल, महेंद्रगढ़, मेवात, पलवल, पानीपत जिलों के खंडों में यह स्कूल शुरू किए गए थे। आरोही स्कूलों केंद्र सरकार की ग्रांट की मदद से 2011 को खोला गया था। इन स्कूलों के लिए विभिन्न कैटेगरी के करीब 2232 पदों को स्वीकृत किया गया। इनके लिए सर्विस बाईलाज 2011 तैयार किया गया। 2018 में उप नियम तय हुए।
हिसार के रहने वाले सुरेश शर्मा का कहना है कि बेटियों को सुविधा से वंचित करना निंदनीय है। ऐसा करने से छात्रावास में रहने वाली बेटियों के मन में जातिगत भेदभाव के विचार बढ़ेंगे। शिक्षा विभाग को अपना फैसला बदलना चाहिए। जिले के आरोही स्कूलों में 30 किलोमीटर दूर तक की छात्राएं शिक्षा ग्रहण करने के लिए आती हैं। भिवानी रोहिल्ला आरोही स्कूल में हिसार से भी छात्राएं पढ़ाई के लिए आती हैं। दूरदराज की बेटियां आरोही स्कूल में अंग्रेजी माध्यम और हॉस्टल सुविधा के लिए दाखिला लेती हैं। अब हॉस्टल की सुविधा न मिलने से छात्राएं स्कूल छोड़ने को मजबूर होंगी।

ये बोले अभिभावक

अग्रोहा के रहने वाले मनोज गुप्ता का कहना है कि मैंने अपनी बेटी का सातवीं कक्षा में दाखिला कराया, जिससे कि बेटी गर्ल्स हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर सके। सोमवार को पता लगा बेटी को हॉस्टल ही नहीं मिल सकेगा। यह गलत निर्णय है। शिक्षा विभाग को अपना फैसला बदलना चाहिए।
खारिया के रहने वाले शिव कुमार ने कहा कि मेरी बेटी आरोही स्कूल भिवानी रोहिल्ला में जाती है। खारिया से भिवानी रोहिल्ला के लिए कोई बस सुविधा नहीं है। रोजाना बेटी को स्कूल छोड़कर लाने-ले जाने के लिए आना पड़ता है। शिक्षा विभाग सुविधाओं के नाम पर इस तरह से जातीय आधार पर भेदभाव गलत है।

भिवानी के रहने वाले सुरेश मेहता का कहना है कि मेरी बेटी आठवीं कक्षा में आरोही स्कूल भिवानी रोहिल्ला में जा रही है। इस बार बेटी को हॉस्टल में छोड़ना चाहता था। शिक्षा विभाग को नए फैसले को बदलना चाहिए। सभी को समान अवसर मिलना चाहिए। –

यह है पत्र का मजमूम

शिक्षा विभाग द्वारा जारी पत्र में डीपीसी को दिए आदेश में लिखा है कि नौवीं से बारहवीं कक्षा तक की लड़कियों को हॉस्टल अलॉट होने के बाद बची खाली 15 प्रतिशत सीटों पर छठी से आठवीं तक की एससी, बीसी, बीपीएल और अल्पसंख्यक समुदाय की छात्राओं को हॉस्टल दिया जाएगा। शिक्षा विभाग ने एक पत्र जारी कर हॉस्टल में एससी ,बीसी, अल्पसंख्यक समुदाय और बीपीएल बेटियों को रखने के आदेश दिए हैं। विभाग ने सामान्य वर्ग की बेटियों को हॉस्टल में न रखने का फैसला लिया है। हमें विभाग के आदेशों का पालन करना पड़ेगा। – ज्ञान सिंह, डीपीसी हिसार।

यहां चल रहे हैं आरोही स्कूल

पानीपत छज्जूकलां, पलवल रामगढ़, अली ब्राह्मण, लड़ियका, गदपुरी, मेवात हसनपुर बिलोंडा, मोहम्मदपुर नगर,रेवासन,मुंडेट, बावला, फतेहाबाद सरवरपुर, डुल्ट, बनगांव, जलोपुर, कनहेड़ी ,महेंद्रगढ़ मंढाना, कैथल ग्यौंग, रामगढ़ पंदवा, सोंगरी, जींद हसनपुर, नारायणगढ़, घेसुंखुर्द हिसार अग्रोहा, गैबीपुर,घिराय, भिवानी रोहिला, खेड़ी लोहचब, उकलाना, भिवानी तोशाम, सिवानी खेरा, सिरसा झीड़ी, कालूआना, खारी सुरेरा, नाथूसरी कलां, मोहम्मद पुरिया।