साल 2004 से पहले चुनाव की प्रक्रिया बेहद थकाऊ और विसंगितयों से भरी थी। बैलेट पेपर का इस्तेमाल एक ऐसी चुनौती थी जिससे जितना पार पाने की कोशिश होती थी उतनी ही बढ़ती जाती थी। तमाम तरह की घटनाएं सामने आती थी। ऐसे में चुनावों को आसान बनाने के लिए इसमें मशीनों का इस्तेमाल शुरू किया गया। भारत में ईवीएम का इस्तेमाल पहली बार 1982 में केरल के परूर विधानसभा में 50 मतदान केंद्रों पर हुआ। यह प्रयोग सफल रहा। चुनाव आयोग ने इस पर व्यपाक काम शुरू किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके करीब 17 साल बाद 1999 के चुनावों में आंशिक रूप से ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) का इस्तेमाल शुरू हुआ। यह प्रयोग बेहद सफल रहा। जो भी थोड़ी बहुत दिक्कतें थी, उसे दूर किया गया। साल 2004 के आम चुनावों से ईवीएम का इस्तेमाल पूरी तरह से शुरू हुआ। भारत में ईवीएम की डिजाइन और उनका उत्पादन भारत इलक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन आॅफ इंडिया ने मिलकर तैयार किया।
ईवीएम की कानूनी वैधता
ईवीएम के इस्तेमाल की कानूनी मान्यता की बात करें तो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में 1988 में संशोधन कर नई धारा 61ए जोड़ी गई जिसके जरिए चुनाव आयोग को मतदान में ईवीएम मशीनों का इस्तेमाल करने का अधिकार दिया।
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