Improvement in ozone layer raised ray of hope: ओजोन परत में सुधार ने जगाई उम्मीद की किरण

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लोक डाउन से पृथ्वी का सुरक्षा कवच कहे जाने वाले ओजोन परत में सकारात्मक बदलाव आया है जो मानव जीवन के लिए प्राणवायु का काम करेगा। हमारी पृथ्वी की महत्वपूर्ण ओजोन परत में अपने आप ही सुधार आने लगा हैं। ओजोन परत पृथ्वी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो उसे ढकने के साथ-साथ जलवायु परिस्थितियों सहित समुद्री धाराओं को संतुलित रखने में मदद करती हैं। ओजोन परत को उद्योगों से नुकसान पहुंच रहा था उसमें कमी आने से इसकी हालत में सुधार आ रहा है। पर्यावरणविद कहते हैं कि लॉकाडउन से तो धरती को बड़ा फायदा होगा। पर्यावरण के क्षेत्र से देश को एक अच्छी खबर मिली है कि लॉकडाउन की वजह से भारत की राजधानी दिल्ली समेत दूसरे शहरों में वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण में भारी कमी आई है। कोरोना संक्रमण केवल मौत लेकर नहीं आई है बल्कि इसकी वजह से प्रदूषण के स्तर में भी अच्छा खासा सुधार हुआ है। लॉकडाउन के बाद देशभर में सड़कों पर वाहनों का आवागमन बंद हो गया है। साथ ही दिन-रात धुआं उगलने वाली छोटी-बड़ी सभी चिमनिया शांत है। कोरोना के कारण जीवन शैली में हुए बदलाव का पर्यावरण को भी फायदा हुआ और लोगों को शुद्ध हवा मिलने लगी है।
कोरोना संकट के चलते देश में हर तरफ लॉकडाउन है। इसी बीच इसका असर पर्यावरण पर सकारात्मक रूप से दिखने लगा है। लोक डाउन के चलते जहाँ पूरी दुनिया संकट से घिरी है वहीँ पर्यावरण सहित अनेक क्षेत्रों में सुधार के सुखद परिणाम भी देखने को मिल रहे है। प्रदूषण कम होने से जंगल और जमीन पर व्यापक असर देखा जा रहा है। आबोहवा में बदलाव से प्रकृति खिली खिली सी दिखाई देने लगी है। सड़कों पर दुर्घटनाएं न के बराबर हुई है वहां आपराधिक घटनाओं भारी गिरावट आयी है। जंगली जानवर भी बेखौफ होकर विचरण कर रहे है। हवा में भी प्रदूषण कम हुआ है और ओजोन परत में सुधार के संकेत मिले हैं। पर्यावरण को भी फायदा पहुंचा है। पिछले कई दशकों से पृथ्वी पर हमारी रक्षा कर रही ओजोन परत को उद्योगों से नुकसान पहुंच रहा था उसमें कमी आने से इसकी हालत में सुधार आ रहा है। ओजोन परत को सबसे ज्यादा नुकसान अंटार्कटिका के ऊपर हो रहा था। वैज्ञानिकों ने पाया है कि इस परत में अब उल्लेखनीय सुधार आ रहा है। नेचर पत्रिका में प्रकाशित ताजा शोध के अनुसार जो केमिकल ओजोन परत के नुकसान के लिए जिम्मेदार हैं, उनके उत्सर्जन में कमी होने के कारण यह सुधार हो रहा है।
वायु प्रदूषण में कमी के चलते पेड़-पौधे अब स्वच्छ हवा में सांस ले रहे हैं। आशा की जा रही है कोरोना का असर कम होगा, तब प्रकृति और भी ज्यादा साफ-सुथरी, खिली-खिली और अधिक महकी-महकी नजर आएगी। वातावरण में पिछले कुछ वर्षो में ब्लैक कार्बन की मात्रा तेजी से बढ़ी है। इसकी बड़ी वजह वाहनों की संख्या में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी है। अब चूंकि लॉक डाउन की वजह से वाहन नहीं चल रहे हैं, इसलिए एक्यूआइ नियंत्रण में आ गया है। उद्योगों के बंद होने से वायुमंडल को नुकासन पहुंचाने वाली गैसों का उत्सर्जन बंद हो गया है. वहीं दूसरी तरह सार्वजनिक और निजी यातायात लगभग बंद होने से पैट्रोल और डीजल के कारण वाहनों से निकलने वाली कार्बन डाइ ऑक्साइड जैसी गैसें निकलना भी बहुत ही कम हो गई हैं।
मौसम में बदलाव भी साफ साफ दृष्टिगोचर हो रहा है। पूर्व में लोग मार्च महीने में ही भीषण गर्मी का सामना करते थे किंतु इस बार अप्रैल माह के प्रथम पखवाड़े में भी सुबह-शाम लोगों को ठंडक महसूस हो रही है। दिन की धूप भी तीखी नहीं लग रही है। वाहन नहीं के बराबर सड़कों पर विचरण कर रहे है। लोक डाउन और कर्फ्यू से सड़कें वीरान हो रही है। पेट्रोल, डीजल का धुआं निकलना पूरी तरह बंद हो चुका है। इस कारण वातावरण भी साफ हो गया है और पहले जैसी गर्मी का एहसास अब तक नहीं हुआ है। इससे आसमान साफ होने के साथ पर्यावरण शुद्ध हुआ है। प्लास्टिक कचरे में भी काफी कमी आई है। पका एवं खराब खाद्य पदार्थ भी काफी कम मात्रा में मिल रहा है। होटल, रेस्टोरेंट सब बंद होने से गीले कचरे में कमी आई है। ई-वेस्ट, केमिकल, आटोमोबाईल कचरा नहीं के बराबर आ रहा है।
लॉक डाउन का एलान होने के बाद से गंगा नदी पहले के मुकाबले 40 और 50 फीसदी साफ नजर आ रही है। लोक डाउन के कारण देश के ज्यादातर कल कारखाने बंद है। इसलिए गंगा की स्थिति में व्यापक सुधार देखा जा रहा है। लोगों का मानना है इसकी बड़ी वजह है फैक्ट्रियों का बंद होना। गंगा के साफ होने से गंगा किनारे रहने वाले नागरिक बहुत खुश नजर आ रहे हैं।
-बाल मुकुन्द ओझा
वरिष्ठ लेखक एवं पत्रकार