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Implications of Narendra Modi’s visit to Galvan: नरेंद्र मोदी के गलवान दौरे के निहितार्थ

चीन द्वारा भारतीय सीमा पर जिस प्रकार से तनातनी का वातावरण निर्मित किया जा रहा है, उसे लेकर भारत ने कई बार कठोर होकर संदेश दिया है। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अचानक भारतीय सैनिकों के बीच पहुंचकर सेना का मनोबल तो बढ़ाया ही है, साथ ही चीन को स्पष्ट संदेश भी दिया है कि विस्तारवादी ताकतें हमेशा मिटती हैं। हमें याद ही होगा कि कश्मीर का कुछ हिस्सा आज भी चीन के कब्जे में है। जिसे चीन का विस्तारवादी रवैया कहा जा सकता है। अगर चीन की सोच विस्तारवादी नहीं है तो वह 1962 में कब्जा की गई भारत की जमीन को वापस कर सकता था। लेकिन चीन की नीयत में खोट रहा है। इसी कारण उसकी पड़ौसी देशों से किसी न किसी बात पर गंभीर मतभेद रहे हैं। चीन अपने व्यवहार का अध्ययन करे तो उसको भी यह बात आसानी से समझ में आ सकती है। वर्तमान में चीन बारे में जो वैश्विक धारणा निर्मित हुई है, वह चीन को अविश्वसनीय कहने के लिए काफी हैं। आज चीन के बारे में यही कहना समीचीन लग रहा है कि वह समस्या पैदा करने वाला देश है। ऐसी समस्या जिसका समाधान उसके स्वयं के पास नहीं है। चीन को समझना चाहिए कि अगर वह इसी नीति पर कदम बढ़ाता रहा तो उसके समक्ष एक न एक दिन महाभारत के अभिमन्यु जैसी स्थिति भी पैदा हो सकती है। कोरोना वायरस के बाद विश्व के कई देश चीन के बारे में आंखें लाल करने की स्थिति में आ चुके हैं। भारत की गलवान घाटी में चीन ने जो कुछ किया है, वह चीन के स्वभाव का प्रकट रूप है। कोरोना को लेकर चीन ने कभी यह स्वीकार नहीं किया कि वैश्विक महामारी फैलाने वह जिम्मेदार है। इसी प्रकार का खेल उसने भारत के उस क्षेत्र में भी खेला है, जो उसके कब्जे में है। भारत में सबसे विसंगति पूर्ण बात तो यह है कि यहां देश की सुरक्षा के मामले पर भरपूर राजनीति भी की जाती है। कांग्रेस की ओर से इस मामले ऐसे बयान दिए जा रहे हैं, जो चीन का मनोबल बढ़ाने वाले कहे जा सकते हैं। अभी हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारत सरकार पर आधारहीन आरोप लगाते हुए कहा था कि चीन की सेना ने लद्दाख की कुछ भूमि पर कब्जा कर लिया है। यह आधारहीन इसलिए भी है, क्योंकि इसके बारे में राहुल गांधी ने जो वीडियो दिखाया है, वह जनता का है ही नहीं, वह कांग्रेस कार्यकतार्ओं द्वारा योजना पूर्वक बनाया गया है। वैसे भी राहुल गांधी की बातों पर कितना भरोसा किया जाए, यह जनता भली भांति जानती है। राहुल गांधी ने पहले भी कई अवसरों पर झूंठ की राजनीति की है। इसके लिए उन्होंने माफी भी मांगी है, लेकिन माफी मांगने के बाद उन्होंने कोई सबक नहीं लिया। आज भी वे बेसिरपैर की बातें करके जनता को भ्रमित करने की राजनीति कर रहे हैं। मोदी के दौरे के बाद राहुल गांधी का बयान प्रथम दृष्टया स्वत: ही खारिज हो गया, क्योंकि राहुल जिस क्षेत्र में चीनी सेना के घुसने का दावा कर रहे थे, उस क्षेत्र तक तो प्रधानमंत्री हो आए हैं। अगर वहां चीन के सैनिक कब्जा किए होते तो मोदी का लेह के नीम तक दौरा संभव ही नहीं होता। हम यह जानते हैं कि चीनी सेना से झड़प के बाद भारत के 20 वीरों ने अपना बलिदान दिया, लेकिन इसके बाद चीन की स्थिति ऐसी हो गई है कि उसे न निगलते बन रहा है और न ही चीन उसे उगलने का साहस कर पा रहा है। चीन के सैनिक कितने मारे गए इसकी प्रामाणिक जानकारी अभी तक सामने नहीं आ सकी है, इससे लगता है कि दाल में कुछ काला है। एक कहावत है कि जो व्यक्ति या देश गलती करता है, वह सिर उठाकर बात नहीं कर सकता। आज चीन की स्थिति को इसी रूप में देखा जा सकता है। दूसरी तरफ सीमा पर भारत की स्थिति मजबूत है, इसलिए हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीना ठोककर चीन का सामना कर रहे हैं। चीन को भी यह अहसास हो जाना चाहिए कि अब भारत पहले वाला कमजोर भारत नहीं, बल्कि एक ऐसा भारत है जो विश्व की महाशक्तियों के बीच सीना तानकर खड़ा है। भारत शक्तिशाली देश के रूप में विश्व के मानचित्र पर स्थान बनाने में सफल हुआ है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मन में क्या चलता है और भविष्य के लिए उनकी कार्य योजनाएं क्या हैं, इस बारे में दूसरा कोई नहीं जान पाता। इसका प्रमाण वे कई बार दे चुके हैं। उनका अचानक लद्दाख और लेह का दौरा इसकी पुष्टि करने के लिए काफी है। ऐसा लगता है कि चौंकाने वाले कार्य उनकी कार्यशैली का हिस्सा रहे हैं। अचानक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सैनिकों के बीच पहुंचना किसी आश्चर्य से कम नहीं हैं। देश में ऐसी मिसाल बहुत कम या बिल्कुल भी देखने को नहीं मिलती। प्रधानमंत्री में सैनिकों के बीच जो संबोधन दिया, वह भारत के सामर्थ्य की अभिव्यक्ति है। जिसमें भारत की शक्ति का प्राकट्य है, वहीं चीन के लिए एक गहरा संदेश भी है। उन्होंने संकेतों में चीन को चेतावनी भी दी है कि हमारे आदर्श सुदर्शन चक्रधारी भगवान श्रीकृष्ण हैं। इसके स्पष्ट निहितार्थ यह भी निकाले जा सकते हैं कि अब अगर चीन ने भारत की जमीन पर कब्जा करने का प्रयास किया तो अंजाम वही होगा जो सुदर्शन चक्र चलने के बाद महाभारत के समय हुआ था। उल्लेखनीय है कि सुदर्शन चक्र विधर्मी ताकतों का विनाश करके ही वापस लौटता है।भारत और चीन के बीच जो कुछ चल रहा है, और जिस प्रकार से कांग्रेस सरकारों के समय भारतीय जमीन पर कब्जा किया था। अब उसके भी परिणाम निकलने का समय समीप आता जा रहा है। कारण यह है कि विश्व के देश अब चीन का साथ देने की स्थिति में नहीं है और भारत के साथ सभी दोस्ती का हाथ बढ़ाने को आतुर दिखाई दे रहे हैं। यह स्थिति भी चीन को कमजोर कर रहा है। कोरोना महामारी के चलते चीन जिस गति से काफी चला गया है, उसी गति से भारत के कदम अग्रसर हुए हैं। आने वाला समय भारत का है, यह तय है।
-सुरेश हिंदुस्थानी
(लेखक वरिष्ठ स्तंभकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं)
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