IMF Report: भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था की राह पर बरकरार

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IMF Report: भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था की राह पर बरकरार
IMF Report: भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था की राह पर बरकरार

Indian Economy, (आज समाज), नई दिल्ली: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने बढ़ती अर्थव्यवस्था को लेकर एक बार फिर भारत की तारीफ की है। साथ ही वित्त वर्ष 2025 के लिए जीडीपी ग्रोथ यानी विकास दर के अनुमान में कोई बदलाव नहीं किया है। न्यू वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक में पेश इस अनुमान के मुताबिक आईएमएफ ने भारत की विकास दर 7 प्रतिशत पर बरकरार रखी है, जो जुलाई के अनुमान के समान है। आईएमएफ का कहना है कि कोविड के दौरान आई मांग में कमी दूर हो रही है और साथ ही अर्थव्यवस्था वापस अपनी क्षमता के साथ कनेक्ट हो रही है।

  • भारत का प्रति व्यक्ति उत्पादन 6% बढ़ने का अनुमान
  • वित्त वर्ष 2025 में सात प्रतिशत रहेगी जीडीपी ग्रोथ

विकास दर में 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी का अनुमान

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) में एशिया प्रशांत विभाग के निदेशक कृष्णा श्रीनिवासन (Krishna Srinivasan) ने कहा है कि भारत की आर्थिक बुनियाद अच्छी है और देश विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है। उन्होंने कहा, वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की विकास दर में 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी का अनुमान है। कृष्णा श्रीनिवासन ने कहा है कि फसलें अनुकूल रही हैं, इसलिए सात फीसदी वृद्धि को ग्रामीण खपत में सुधार से समर्थन मिलेगा।

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महंगाई दर अगले वर्ष घटकर 4.1% हो जाएगी

बड़ी बात है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने 2024-25 में भारत में महंगाई दर 4.4 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। और कहा है कि अगले वर्ष यह घटकर 4.1 प्रतिशत हो जाएगी। कृष्णा श्रीनिवासन ने कहा है कि खाद्य कीमतें सामान्य होने से कुछ उतार-चढ़ाव आएगा लेकिन इसके बावजूद वित्त वर्ष 2024-25 में मुद्रास्फीति घटकर 4.4 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, चुनाव के बावजूद राजकोषीय समेकन पूरी तरह पटरी पर है। इसके अलावा ‘रिजर्व’ की स्थिति भी बेहतर है। आईएमडी ने यह भी कहा है कि वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का प्रति व्यक्ति उत्पादन 6 फीसदी बढ़ने का अनुमान है।

देश में तीन क्षेत्रों में सुधार जरूरी 

IMF के वरिष्ठ अधिकारी का सुझाव है कि इलेक्शन के बाद सरकार को देश में तीन क्षेत्रों में सुधार संबंधी चीजों को प्राथमिकता देनी चाहिए। एक यह कि रोजगार को लेकर भारत में कई सवाल खड़े हैं और इस संदर्भ में मेरा मानना है कि 2019-20 में स्वीकृत श्रम संहिताओं को लागू करना बहुत महत्वपूर्ण है। ये संहिताएं श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान कर श्रम बाजारों को मजबूत बनाने का मौका देंगी।

कुछ व्यापार पाबंदियों को हटाना चाहिए

कृष्णा श्रीनिवासन ने कहा, दूसरा सुझाव यह है कि अगर आप प्रतिस्पर्धी बनना चाहते हैं, तो कुछ व्यापार पाबंदियों को आपको हटाना चाहिए। इसका कारण यह है कि जब व्यापार को आप उदार बनाते हैं, तो उत्पादक कंपनियों को आप जीवित रहने की इजाजत देते हैं। उन्होंने कहा, वहां ज्यादा प्रतिस्पर्धा है और इससे नौकरियां सृजित होती हैं।

भूमि सुधारों पर ध्यान केंद्रित करना होगा

कृष्णा श्रीनिवासन (Krishna Srinivasan) ने कहा, सुधारों को जारी रखने के साथ ही भौतिक और डिजिटल बुनियादी ढांचे दोनों को सशक्त करें। उन्होंने कहा, यह एक अहम उपलब्धि है और यह इसी के साथ जारी रहेगा। हालांकि इससे आगे बढ़कर आपको कृषि व भूमि सुधारों पर फोकस करना होगा। साथ ही कौशल व शिक्षा को भी मजबूत करने पर विचार करना होगा।

कार्यबल के कौशल में निवेश पर जोर

आईएमएफ अधिकारी ने कार्यबल के कौशल में निवेश की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि एक ऐसी इकोनॉमी जो सेवा क्षेत्र में काफी ज्यादा नौकरियों का सृजन कर सकती है, सही कौशल होना अहम है। इसलिए, श्रम बल को कुशल बनाना और शिक्षा में निवेश करना बहुत महत्वपूर्ण है। कृष्णा श्रीनिवासन सामाजिक सुरक्षा तंत्र को भी मजबूत करने को सुधार बताया है। उन्होंने कहा, अगर आप लोगों से बात करेंगे तो अब भी आपको बहुत सारी लालफीताशाही आदि देखने को मिलेगी।

रोजगार सृजन के लिए बेहतर माहौल जरूरी

आईएमएफ अधिकारी ने भारत की श्रम शक्ति में महिलाओं की कम हिस्सेदारी और युवाओं में व्याप्त बेरोजगारी पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा, इस मामले में कई आंकड़े मौजूद हैं। युवाओं में बेरोजगारी काफी ज्यादा है और श्रम शक्ति में महिलाओं की भागीदारी भी कम है, इसलिए रोजगार सृजन के लिए माहौल बेहतर बनाने पर जोर जरूरी है।

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