आज समाज डिजिटल, मंडी (IIT Mandi Researchers) : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी के शोधकर्ताओं ने आधुनिक आर्किटेक्चर वाले सिलिकॉन सोलर सेल्स में उपयोगी मेटल ऑक्साइड लेयर के विकास में बड़ी सफलता पाई है।
शोध के परिणाम मैटेरियल्स साइंस: मैटेरियल्स इन इलेक्ट्रॉनिक्स जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं।
डॉ कुणाल घोष, एसोसिएट प्रोफेसर, स्कूल ऑफ कंप्यूटिंग एवं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, आईआईटी मंडी और आईआईटी मंडी के ही उनके पीएचडी स्काॅलर सैयद मोहम्मद हुसैन और मोहम्मद सादुल्लाह ने मिल कर यह शोध पत्र तैयार किया है।
आधुनिक आर्किटेक्चर वाले सिलिकॉन सोलर सेल्स में उपयोग होने वाले सेमीकंडक्टरों में मेटल ऑक्साइड महत्वपूर्ण हैं जैसे कि निकल ऑक्साइड। इसके लिए निकेल ऑक्साइड फिल्में तैयार करना जरूरी है जिनकी मोटाई नैनोमीटर रेंज में हो अर्थात् मनुष्य के बाल की मोटाई से एक लाख गुना कम मोटाई हो। नैनोमीटर में निकेल ऑक्साइड की बारीक फिल्म विकसित करने की वर्तमान प्रक्रिया अत्यधिक महंगी है क्योंकि इसके उत्पादन के लिए उपकरण आयात करने होते हैं।
इतना ही नहीं, इन फिल्मों के विकास के लिए उपयोग किए जाने वाले प्रीकर्सर जैसे कि निकेल एसिटाइलसीटोनेट भी महंगे हैं। इसलिए इस तकनीक के व्यावसायिक उपयोग की संभावना कम हो जाती है। आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने मेटल ऑक्साइड की अल्ट्राथिन फिल्म बनाने की सस्ती प्रक्रिया विकसित की है। इसकी शुरुआती सामग्रियां भी सस्ती हैं। उन्होंने सिलिकॉन सब्सट्रेट पर निकेल ऑक्साइड की बारीक फिल्म बनाने के लिए एयरोसोल की मदद से रासायनिक भाप जमाने की तकनीक का इस्तेमाल किया है।
आईआईटी मंडी के डॉ. कुणाल घोष ने इस प्रक्रिया की जानकारी देते हुए कहा, ‘‘एरोसोल की मदद से रसायनिक भाप जमाने की तकनीक से सिलिकॉन सहित विभिन्न सतहों पर उच्च गुण्वत्ता के साथ एक समान बारीक फिल्म बनाई जा सकती है। इसके लिए एयरोसोल के रूप में भाप अवस्था में प्रीकर्सर इस्तेमाल करना होगा। एयरोसोल की मदद से ऑक्साइड आधारित सामग्रियों की बड़ी रेंज़ का डिपोजिशन किया जा सकता है और वह भी काफी सटीक। इसलिए यह प्रक्रिया ऐसे हर उपयोग में सफल और किफायती भी है। इसका लाभ सामग्री विज्ञान और इंजीनियरिंग के विभिन्न उपयोगों में लिया जा सकता है।’’
शोध टीम ने निकेल नाइट्रेट से लगभग 15 नैनोमीटर मोटाई की निकेल ऑक्साइड फिल्म विकसित की। उन्होंने निकेल ऑक्साइड फिल्मों की आकृति विज्ञान और संरचना का विश्लेषण किया। इसके लिए कैरेक्टराइजेशन की तकनीकों का लाभ लिया। उन्होंने सिलिकॉन सब्सट्रेट पर जमाई गई बारीक फिल्म की डायोड संबंधी विशेषताओं का भी विश्लेषण किया और यह देखा कि इसमें सोलर सेल्स बनाने के लिए जरूरी गुण हैं।
ये भी पढ़ें : दिल्ली के 5 स्टार होटल में बाउंसरों ने की बिजनेसमैन से मारपीट
ये भी पढ़ें : Coronavirus Case Today 20 March : देश में आज आए 918 नए केस, डराने लगी है कोरोना की रफ्तार
ये भी पढ़ें : सहायक आयुक्त ने पोषण पखवाड़े का किया शुभारंभ