महाराष्ट्र में एक चुनावों के परिणाम आए एक हफ्ते से ज्यादा समय हो गया है लेकिन अब तक सरकार बनाने की स्थिति वहां साफ नहीं हो पाई है। महाराष्ट्र की रूलींग पार्टी रही भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टी शिवसेना के बीच रार खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। विशेष तौर पर महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर दोनों पार्टियों में खीचंतान जारी है। शुक्रवार को शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने शुक्रवार को कहा कि महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री उनकी पार्टी से होगा। राउत ने मुंबई में संवाददाताओं से कहा कि भाजपा और शिवसेना के बीच सरकार गठन को लेकर अब तक कोई बातचीत नहीं हुई है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ‘शिवसेना ने ठान लिया तो बहुमत मिल ही जाएगा। बता दें कि शिवसेना महाराष्ट्र में अपना मुख्यमंत्रभ् चाहती है। संजय राउत ने कहा कि शिवसेना-भाजपा में चुनाव से पहले जो हुई थी उसी पर भाजपा आगे बढ़े। महाराष्ट्र को एक स्थिर सरकार चाहिए। महाराष्ट्र के लोगों ने 50-50 फामूर्ले के आधार पर सरकार बनाने का जनादेश दिया है। वह शिवसेना का मुख्यमंत्री चाहते हैं।’ इसके साथ ही राउत ने कहा कि भाजपा को कोई अल्टीमेटम नहीं, वे बड़े लोग हैं। वहीं अपने ट्विटर पर उन्होंने लिखा, ‘साहिब, मत पालिए, अहंकार को इतना, वक्त के सागर में कईं, सिकन्दर डूब गए।’ वहीं एनसीपी नेता अजीत पवार की बात करें तो उन्होंने साफ तौर पर कह दिया है कि जनता की ओर से उन्हें विपक्ष में बैठने का जनादेश मिला है और वह, उनके सहयोगी दल ऐसा ही करेंगे। गौरतलब है कि अजीत पवार का यह स्टेटमेंट ऐसे समय में आया है जब यह कयास लगाए जा रहे थे शायद शिवसेना और एनसीपी मिलकर सरकार बना सकते हैं। पवार ने शिवसेना और भाजपा के बीच जारी तनातनी पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा और शिवसेना सरकार के गठन पर चर्चा करके किसी निष्कर्ष पर पहुंच सकती हैं। वहीं एनसीपी नेता नवाब मलिक ने कहा कि भाजपा-शिवसेना को जनता ने स्थिर सरकार बनाने का जनमत दिया है। हम चाहते हैं कि वे सरकार बनाएं और बहुमत साबित करें। अगर वे बहुमत साबित करने में नाकाम रहते हैं तो हम निश्चित रूप से सरकार बनाने की कोशिश करेंगे। इसके साथ ही कांग्रेस में महाराष्टÑ में बागी तेवरों को दिखा चुके संजय निरूपम ने ट्वीट कर कहा, ‘मैं फिर कहना चाहता हूं कि कांग्रेस को भाजपा-शिवसेना के ड्रामे में नहीं पड़ना चाहिए। यह फर्जी है। सत्ता में ज्यादा हिस्सेदारी हड़पने के लिए यह उनकी अस्थायी लड़ाई है। वह दोनों दोबारा साथ हो जाएंगे और हमें गालियां देंगे। कैसे कुछ कांग्रेस नेता शिवसेना को समर्थन देने की बात सोच सकते हैं? क्या उनका दिमाग खराब है।?’