नीरज कौशिक, महेंद्रगढ़:
आजादी के अमृत महोत्सव के तहत हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद की जिला इकाई की ओर से आज आरकेवाई इंटरनेशल स्कूल कनीना में बच्चों को नैतिक मूल्यों की शिक्षा पर जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।
नैतिक मूल्यों की शिक्षा के राज्य नोडल अधिकारी एवं पूर्व जिला बाल कल्याण अधिकारी विपिन शर्मा ने बताया कि अगर किसी बच्चे को उपहार ना दिया जाए तो वह कुछ देर रोएगा, मगर संस्कार न दिए जाए तो जीवन भर रोएगा। अपने बच्चों को पैसा दीजिए किन्तु एक निश्चित सीमा तक जिम्मेदारी के साथ। उसे हर बात पर पैसे का आदि न बनाइये, और ना ही उसके बार-बार मांगने पर पैसा देकर पीछा छुड़ाने की कोशिश कीजिए। अपने मस्तिष्क से बिलकुल ही निकाल दीजिए कि बच्चे को बहुत अधिक शान-शौकत से रखना अथवा खर्च के लिए अधिक से अधिक धन देना कोई आर्थिक गौरव अथवा सामाजिक प्रतिष्ठा की बात है। प्रत्येक राष्ट्र की सामाजिक एवं सांस्कृतिक उन्नति वहां की शिक्षा पद्धति पर निर्भर करती है। हमारे देश में स्वतंत्रता के बाद शिक्षा के क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है और वर्तमान में कला, वाणिज्य, विज्ञान, चिकित्सा आदि अनेक विषयों के विभिन्न संवर्गो में शिक्षा का गुणात्मक प्रसार हो रहा है। उन्होंने बताया कि फिर भी एक कमी यह है कि यहां नैतिक शिक्षा पर इतना ध्यान नहीं दिया गया, परन्तु अब हरियाणा शिक्षा बोर्ड भिवानी ने बच्चों के लिए नैतिक मूल्यों की शिक्षा को अनिवार्य विषय बनाकर बहुत ही सराहनीय कार्य किया है जिससे बच्चों का अच्छे नैतिक चरित्र का निर्माण करने में बहुत सहयोग मिलेगा। आज व्यक्ति एवं समाज में साम्प्रदायिक्ता, जातीयता भाषावाद्, भ्रष्टाचार, भ्रुणहत्या, हिंसा, अलगाववाद की संकीर्ण भावनाओं व समस्याओ के मूल में नैतिक मूल्यों का पतन ही उत्तरदायी कारण है।
नैतिक मूल्यों की शिक्षा के बारे में जानकारी दी विपिन कुमार शर्मा ने
वास्तव में नैतिक गुणों की कोई सूची नहीं बनाई जा सकती परन्तु हम इतना अवश्य कह सकते हैं कि मनुष्य में अच्छे गुणों को हम नैतिक कह सकते हैं जो व्यक्ति के स्वयं के विकास और कल्याण के साथ दूसरों के कल्याण में भी सहायक हो। नैतिक मूल्यों का समावेश जीवन के सभी क्षेत्रों में होता है। व्यक्ति परिवार, समुदाय, समाज, राष्ट्र से मानवता तक नैतिक मूल्यों की यात्रा होती है। नैतिकता समाज में सामाजिक जीवन को सुगम बनाती है। मानव को सामाजिक प्राणी होने के नाते कुछ सामाजिक नीतियों का पालन करना पड़ता है जिनमें संस्कार, सत्य, परोपकार, अहिंसा आदि शामिल है। वास्तव में ये सभी नैतिक गुणों में आते हैं और बच्चों को इन्हें बचपन से ही धारण कर लेना चाहिए ताकि अच्छे परिवार, समाज, राष्ट्र का निर्माण हो सकें। उन्होंने बच्चों को उच्च श्रेणी की शिक्षा प्राप्त करने के साथ-साथ नैतिक मूल्यों की शिक्षा को भी अवधारण करने के लिए प्रेरित किया।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हम आजादी की 75वीं वर्षगाठ के अवसर पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं जिसमें खासकर उन गुमनाम शहीदों व वीर सेनानियों को याद कर रहें है तथा नमन कर रहे है जिनकी वजह से आज हम स्वतंत्र भारत में सुख की सांस ले रहे हैं। हमें अपने शहीदों व महापुरूषों की जीवनी को अवश्य पढ़ना व सुनना चाहिए तथा उनके विचारों को अपने जीवन में शामिल करके अपना चरित्र उज्जवल बनाना चाहिए।
इस अवसर पर प्राचार्य शक्ति यादव ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए अपने संबोधन में बच्चों से अपने बुजुर्गों, अध्यापकों व अपने सभी सगे-संबंधियों का आदर करने की अपील की तथा उनसे अनुरोध किया कि वे अपने जीवन में कामयाब इंसान के साथ-साथ एक अच्छे इंसान बनें अच्छे भारत के निर्माण में वे अपना योगदान दे सकें। उन्होनें बच्चों से खासकर अपील की कि वे अपने दादा-दादी के साथ समय अवश्य बिताएं तथा उनके अनुभव का लाभ उठाकर अपने जीवन को सफल बनाए।
इस अवसर पर सुरेन्द्र शर्मा तीरन्दाजी कोच बाल भवन नारनौल व सुरेश यादव मैनेजिंग डॉयरेक्टर, राजकुमार यादव डॉयरेक्टर, उप-प्राचार्या सतिन्द्रा यादव, एओडी सतीश कौशिक, योगेन्द्र, एकता, राकेश, कर्ण सिंह, मनीषा सहित अन्य सभी अध्यापकगण व स्कूली बच्चें उपस्थित रहे।