- बीमारियों से नियन्त्रण पाने के लिए कैराथेन का पहला छिड़काव फूल निकलने से पहले करें
Aaj Samaj (आज समाज), Identification of Symptoms in Fruit Plants, नीरज कौशिक, महेंद्रगढ़:
बदलते मौसम के अनुसार पौधो में कई तरह की बीमारियां लगने लगती हैं। ऐसे में बाग वाले किसान फलदार पौधों में लक्षणों की पहचान करके समय पर बीमारियों का उपचार करें।
यह जानकारी देते हुए जिला उद्यान अधिकारी प्रेम कुमार ने बताया कि संतरा व माल्टा में कोढ़ से पत्तो, टहनियों और फलों पर गहरे रंग के खुरदरे धब्बे पड़ जाते हैं। किसान ऐसे वाले भाग को कुरेद कर साफ करें। बोर्डो पेस्ट लगाएं। इसी प्रकार एक सप्ताह बाद दोबारा पेस्ट लगाएं।
बेर का सफेद चूर्णी रोग के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस रोग से फल पर सफेद सा पाउडर जम जाता है। फलों का आकार छोटा रह जाता है व फलों की सतह खुरदरी हो जाती है। इससे पैदावार में भारी कमी हो जाती है। इस तरह की बीमारियों से नियन्त्रण पाने के लिए कैराथेन का पहला छिड़काव फूल निकलने से ठीक पहले और दूसरा जब फल मटर के दाने के बराबर हो जाएं तब करें। इसके बाद पुन 15 दिन के अन्तराल पर 2 छिड़काव और करें। उन्होंने बताया कि सफल नियन्त्रण के लिए सभी फलों का फफूंदनाशक घोल से तर हो जाना अत्यन्त आवश्यक है। उन्होंने बताया कि यदि कैराथेन उपलब्ध न हो तो 0.2 प्रतिशत सल्फेक्स का छिड़काव किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि अनार के पौधों में स्वाभाविक काट-छांट की आवश्यकता नहीं होती केवल शक्ल और आकार देने के लिए ही काट-छाटं की जाती है लेकिन आगे के भाग को ज्यादा काटने से फसल पर बुरा प्रभाव पड़ता है और पत्तो की ज्यादा बढ़वार हो जाती है। अन्दर वाले भाग में फल नहीं लगते। अच्छा आकार और फसल लेने के लिए प्रत्येक वर्ष नई शाखाएं पौधों के चारों तरफ लेनी चाहिए।
यह भी पढ़े : Amrit Sarovar Yojana : हरियाणा तालाब प्राधिकरण के कार्यकारी उपाध्यक्ष ने किया अमृत सरोवरों का दौरा