Aaj Samaj (आज समाज), ICMR Study Report, नई दिल्ली: कोविड-19 से निपटने के लिए केंद्र सरकार द्वारा देश भर में चलाए गए वैक्सीनेशन अभियान के बाद युवाओं में बढ़ते हार्ट अटैक को लेकर वैक्सीन पर उठे सवालों पर भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने विराम लगा दिया है। परिषद का कहना है कि कोविड-19 वैक्सीन से युवाओं की अचानक मौत होने का जोखिम नहीं बढ़ा है।
- डोज लेने से कम होता है कोरोना से होने वाली मौत का खतरा
देशभर में करीब 2 अरब से ज्यादा डोज दी गई
गौरतलब है कि जब भारत में कोरोना महामारी पीक पर थी उस समय देशभर में करीब 2 अरब से ज्यादा कोविड की वैक्सीन डोज लोगों को दी गई थी। टीकों पर लगातार उठ रहे सवालों के बाद आईसीएमआर ने एक अक्टूबर, 2021 से लेकर 31 मार्च, 2023 तक देश के कुल 47 अस्पतालों को शामिल कर अध्ययन किया है, जिसमें सामने आया कि कोविड-19 वैक्सीन की वजह से युवाओं में अचानक मौतें नहीं बढ़ी हैं बल्कि इसके अन्य कारण हैं।
लाइफस्टाइल में बदलाव व अस्पताल में भर्ती होना आदि कारण
आईसीएमआर ने बताया कि कोविड-19 की वजह से अस्पताल में भर्ती होने की हिस्ट्री, कोविड से पहले अस्पताल में भर्ती होना, परिवार में होने वाली अचानक मौत का रिकॉर्ड व लाइफस्टाइल में बदलाव ने अचानक होने वाली डेथ्स की संभावना को बढ़ा दिया है. इस स्टडी में बताया गया है कि अगर किसी से वैक्सीन की कम से कम एक डोज ली है तो उसपर कोरोना वायरस से होने वाली मौत का खतरा कम हो जाता है।
ये भी मौत के कारण
आईसीएमआर ने अध्ययन में यह भी बताया है कि मौत से पहले 48 घंटे तक शराब पीना, ड्रग्स लेना या फिर मौत से 48 घंटे पहले जबरदस्त एक्सरसाइज करना, कुछ ऐसे फैक्ट्स हैं, जिनके कारण अचानक मौत का खतरा बढ़ जाता है।
अध्ययन में 18 से 45 साल की उम्र के लोग
आईसीएमआर के अनुसार अध्ययन में 18 से 45 साल की उम्र के लोग शामिल हुए, जो पूरी तरह स्वस्थ थे। उनमें से एक भी व्यक्ति पुरानी बीमारी से नहीं जूझ रहा था। अध्ययन के दौरान सामने आया है कि जिन लोगों ने वैक्सीन की दो डोज ली थी. उनमें अचानक होने वाली मौत का खतरा बेहद कम था।
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