में मुंबई हूँ। .कभी न थमनेवाली। . कभी न रुकनेवाली सपनो की महानगरी। . रोजाना नए लोग अपने सपनो के साथ यहां आते है..किसी को यहाँ एक्टर बनना है तो किसी को वर्ल्ड का सबसे अमिर आदमी।।।. हर किसी के अपने अपने सपने है। . हर कोई ज़िंदगी के झेदोजहद में भागता फिर रहा है। ..हर आदमी यहाँ खुश रहना चाहता है। पोने २ करोड़ की आबादीवाले इस शहर में हर एक कोई अपनी ज़िंदगी में व्यस्त है मस्त है और यह क्या अचानक मेरी रफ़्तार थम जाती है। ..
२४ घंटे चलनेवाली मेरी ज़िदगी में मानो किसी ने ब्रेक लगा दी। .. कभी न रुकनेवाली लोकल ट्रैन बंद है। ..वीटी और दादर स्टेशन आज सुमसाम है.. प्लेटफॉर्म नमबर एक से जानेवाली विरार लोकल आज प्लेटफॉर्म नंबर ४ से जायेगी की आवाज़ आज बंद है. ट्रैन के हॉर्न चुप है। .. आज मेरी रानी का हार यानी की क्वीन नेकलेस वेरान है.. यहाँ अपनी ज़िंदगी के दो पल महफूज़ में बितानेवाले कपल कही नज़र नहीं आते। दो पल शुकुन के अपनी ज़िंदगी के यहाँ बितानेवाले लोग आज घर में कैद है .. १९११ में राजा जॉर्ज और रानी मेरी के आगमन में मेरी शान में बनाया गया गेटवे ऑफ़ इण्डिया पर आज सिर्फ परिंदे नजर आ रहे है…अक्सर यहाँ मेरी फोटो खीचनेके लिए आतुर पर्यटक गायब है।
एलीफैंटा फेरी और अलीबाग जानेवाली फेरी बंद है। .. आज यहाँ कोई नहीं आ रहा। .है तो सिर्फ में , परिंदे और समंदर।
अब मुझे समंदर की लहर साफ़ सुनाई दे रही है। .. लहरे नित्य क्रम से अपना काम कर रही है चाहे उच्च ज्वार हो या कम ज्वार।।। यही हाल जुहू बीच का है अक्सर फ़िल्मी हस्तिया यहाँ सबेरे मॉर्निंग वॉक करने आती थी लेकिन अभी वह भी नेटफ्लिक्स में अपने आपको बिजी रखे हुए है। .. मुंबई का बॉलीवुड फिल्मसिटी में आज एक्शन और पैक अप की आवाज़ सुनाई नहीं देती… स्टूडियो के दरवाजे पर ताला है , कैमरा बंद है। .. न कोई वेनिटी वेन है ना कोई मेक अप दादा। .
बस एक शरू है तो स्टॉक मार्केट। .. रोज यहाँ का बुल कितने को डुबो रहा है वह ईश्वर ही जाने.. कभी यहाँ का इंडेक्स ऊपर जाता है तो कभी निचे। .. लेकिन अब यहाँ आनेवाले भी कम हो गए है
मैं भी दुनिया जहान के दूसरे तमाम शहरों की तरह ठहर गई हूं. ठिठक गई हूं. यह निगोड़ा वायरस जाने कहां से आ गया है, जो मानवता के लिए ख़तरा बन गया है. मैं आज ठहरी हूं, रुकी हूं, थम गई हूं तो मेरे आंचल में पलने वाले, आंगन में अपने सपनों को जीने वाले प्यारे दुलारे बच्चों के लिए. हां मैं भी एक मां जैसी ही तो हूं. जब बच्चों पर ख़तरा मंडरा रहा है, तब भला मैं कैसे न ठहरूं. सिसक रही हूं और मेरे ही दामन में बने सिद्धि विनायक, मुंबा देवी, माउंट मेरी और हाजी अली से यही दुआ है कि अपनर बच्चों पर आए इस मुश्किल को दूर करें.
इससे पहले भी मुझ पर न जाने कितने संकट आए हैं. कभी दंगे फसाद, कभी बमके हमले तो कभी कुदरत का कहर. पर हर बार हर संकट से उबर कर नई चमक और नये जोश से ज़िंदगी चली और खिली. मन में विश्वास है, एक बार फिर मैं जीतूंगी, मेरे अपने जीतेंगे. और आज जहां रुके हैं, जहां सब कुछ थमा है , वहीं से फिर एक नया सफ़र शुरु होगा….वही रफ्तार वही जुनून और वही सपनों को सच करने की मशक्कत!
लेकिन में मुंबई हु ना कभी रुकूंगी ना कभी थमुगी। .. मेरी रफ़्तार भले ही कम हो गयी है लेकिन में फिर से एक बार उठूंगी और दौडूंगी । .. बस सिर्फ कुछ और दिनों की बात है
-प्रीती सोमपुरा