आज समाज डिजिटल, शाहाबाद:
Hunger Strike: शाहाबाद शुगर मिल के बाहर 32 दिनों से एक्सग्रेशिया पॉलिसी के अंर्तगत आश्रित अपना हक पाने के लिए धरने पर बैठे है और 18 अप्रैल से आश्रितों ने भूख हड़ताल शुरू की थी। गुरूवार को भूख हड़ताल के चौथे दिन आश्रितों का स्वास्थ्य बिगडऩे लगा। आश्रित अजय कुमार, रविंद्र व दीपक ने बताया कि न तो मिल प्रशासन न ही कोई नेता और न ही मिल की यूनियन उनका सहयोग कर रही है। उन्होंने कहा कि अगर भूख हड़ताल के दौरान किसी आश्रित के साथ कोई अप्रिय घटना घटती है तो इसकी पूरी जिम्मेवारी शासन, प्रशासन के अधिकारियों की होगी।
नौकरी पाने के लिए आश्रित परिवार शुगर मिल के गेट के बाहर धरने पर बैठे Hunger Strike
गौरतलब है कि शुगर मिल में एक्सग्रेशिया पॉलिसी के अंर्तगत 5 प्रतिशत कोटा निर्धारित किया गया है। जिसके तहत नौकरी पाने के लिए कुछ आश्रित परिवार शुगर मिल के गेट के बाहर धरने पर बैठे है। धरने पर बैठे परिवारों का आरोप है कि मिल प्रशासन आश्रित परिवारों को नौकरी न देकर केवल खानापूर्ति कर रहा है। जिसकी जानकारी उन्हें आरटीआई के माध्यम से प्राप्त हुई है। लेकिन न तो कोई मिल अधिकारी न कोई प्रशासनिक अधिकारी और न ही कोई नेता उनकी सहायता कर रहा है। जिसके फलस्वरूप उन्होंने आमरण अनशन करने का निर्णय लिया है।
क्या कहना है शुगरफैड के चेयरमैन व विधायक का Hunger Strike
जब इस बारे में शुगरफैड के चेयरमैन व विधायक रामकरण काला से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उन्होंने आश्रित परिवार के लोगों से बात की है और एक्सग्रेशिया पॉलिसी के अंर्तगत 10 लोगों के नाम भेजे गए है। नियमानुसार आश्रित परिवार के लोगों को शुगर मिल में नौकरी दी जाएगी। भूख हड़ताल पर पूछे गए प्रश्न पर विधायक ने कहा कि वह डॉक्टरों की टीम शुगर मिल में भेज रहे है जो भूख हड़ताल पर बैठे लोगों की निरंतर जांच करेगी। उन्होंने कहा कि पहले भी एक्सग्रेशिया पॉलिसी के तहत शुगर मिल में उन्होंने आश्रितों को नौकरी दिलवाई है और आगे भी सीनियोरिटी के हिसाब से जिस आश्रित को नौकरी मिलनी है उसे नौकरी दी जाएगी।