Aaj Samaj (आज समाज),Human Trafficking,पानीपत : मानव तस्करी के खिलाफ विश्व दिवस पर कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन के कार्यकर्ताओं ने समालखा के जौरासी और जीतगढ़ गांवों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए। कार्यक्रमों में गांवों के सरपंच, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी सहायिका, आशा कार्यकर्ता, महिलाएं और बच्चे शामिल थे। हरेंद्र सिंह ने कि बताया कि पानीपत में फाउंडेशन का कार्यक्रम ‘न्याय तक पहुंच-2’ डॉ. राज सिंह सांगवान और संगीता देसवाल (पीड़ित सहायता समन्वयक) के नेतृत्व में चल रहा है।
यौन शोषण के खिलाफ एक साथ खड़े होने का आह्वान
संस्था के सामाजिक कार्यकर्ता हरेंद्र सिंह, ईश्वर और प्रदीप कुमार बताया कि उन्होंने इन गांवों में जाकर लोगों को इकट्ठा करके उनको बाल तस्करी के बारे में जानकारी दी। इस दौरान लोगों को बताया गया कि बाल तस्करी हमारे देश में कैसे प्रवेश कर रही है और यह हमारी भावी पीढ़ी के साथ-साथ हमारे देश के भविष्य को कैसे नुकसान पहुंचा रही है। उन्होंने लोगों को बाल विवाह, बाल श्रम, बाल तस्करी और बाल यौन शोषण के खिलाफ एक साथ खड़े होने का आह्वान किया।
बाल तस्करी की परेशान करने वाली तस्वीर सामने आई है
हरेंद्र सिंह ने कि बताया कि पानीपत में फाउंडेशन का कार्यक्रम ‘न्याय तक पहुंच-2’ डॉ. राज सिंह सांगवान के नेतृत्व में चल रहा है। हरेंद्र ने कहा कि मानव तस्करी में बाल तस्करी एक बड़ी समस्या है। उन्होंने कहा कि 30 जुलाई को जारी की गई एक रिपोर्ट में देश में बाल तस्करी की परेशान करने वाली तस्वीर सामने आई है। इस तस्वीर को बदलने के लिए बच्चों की सुरक्षा एवं विकास के लिए कड़े कानून व उनका सख्ती से प्रयोग और लोगों में जागरुकता होना बहुत जरूरी है।
बाल तस्करी संबंधि जानकारी मिलते ही इसकी सूचना प्रशासन को देनी चाहिए
लोगों को बाल तस्करी संबंधि जानकारी मिलते ही इसकी सूचना प्रशासन को देनी चाहिए। पढ़ाई की उम्र में घरों, होटलों, ढाबों आदि जगह बच्चे बाल श्रम करते देखे जा सकते हैं, इनकी शिकायत प्रशासन तक पहुंचाना जागरूक लोगों को सुनिश्चित करना चाहिए। जिससे उनका भविष्य बेहतर हो सके। उन्होंने कहा कि मानव तस्करी रोकने के लिए बाल श्रम रोकना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। इसके लिए परिजनों से मिलकर उन्हें जागरूक करना होगा। उन्हें शिक्षा का महत्व बताना होगा ताकी वो अपनी गरीबी के कारण बच्चों के भविष्य को अंधकार में न डालें, सरकार की वेलफेयर स्कीम भी लोगों तक पहुंचानी बहुत जरूरी है। जागरूकता कार्यक्रमों के अंत में जलपान की भी व्यवस्था थी।