मोरारी बापू
मानव शरीर संसार की सेवा के लिए मिला है। हमें इसका कण-कण सेवा में लगा देना चाहिए। यह बात संत मोरारी बापू ने आनलाइन कथा के दौरान भक्तों से कही। दीनदयाल शोध संस्थान के आरोग्यधाम परिसर में कोरोना गाइड लाइन के तहत चल रही आनलाइन श्रीराम कथा में संत मोरारी बापू ने कहा कि भरत साधु इसलिए भी है कि उनके चरित्र में मन की सुंदरता, रूप, सौंदर्य, लावण्यता, करुणा, उदारता, माधुर्य, मनोहरता, दर्शनीयता, निर्मलता, उज्ज्वलता, चरित्रवान, मुस्कुराहट भी थी। शरीर हमारा नही है यह संसार का है इससे संसार की सेवा करो।
सेवा सदैव करते रहिए परंतु बदले में उससे कुछ अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि चित्रकूट का साधु भरत है। इसी के चलते विनय पद में तुलसीदास जी ने लिखा है मुझे साधु का वेष नहीं साधु का रहन सहन मिले। रामकथा के आयोजक मंडल के सदस्य वाराणसी के समाजसेवी किशन जालान, सूर्यकांत जालान, करुणेश खेमका, सतुआ बाबा, अखिलेश खेमका कथा की व्यवस्थाओं को मूर्त रूप दे रहे हैं।
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