कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों के आंकड़ों में भारी असमानता

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– हरियाणा ने 105 बच्चों का दावा किया, एनसीपीसीआर के अनुसार 2438 बच्चे अनाथ हुए

तरुणी गांधी । चंडीगढ़
सुप्रीम कोर्ट द्वारा उठाए गए स्वत: संज्ञान मामले में हाल ही में दायर हलफनामे में, एनसीपीसीआर ने कहा कि हरियाणा में 18 वर्ष से कम उम्र के 2438 बच्चे अनाथ हैं। कोरोना काल में या तो इनके पेरेंट्स का निधन हो गया या इन बच्चों का परित्याग कर दिया गया।
वहीं दूसरी ओर हरियाणा 2438 बच्चों के बजाए सिर्फ 105 बच्चों की पुष्टि करता है। ऐसे में अनाथ हुए बच्चे आंकड़ों में शामिल न होने के कारण मिलने वाली तमाम सुविधाओं से वंचित हैं। अलग-अलग राज्यों के पास ऐसे बच्चों का अलग-अलग डेटाबेस है, जो जमीनी स्तर पर सर्वेक्षण करने वाली राष्ट्रीय एजेंसियों से मेल नहीं खा रहा है। इसलिए बच्चों तक पहुंचने वाले लाभ अभी भी अप्रैल 2020 से लंबित हैं।

विवरण अभी तक महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा नहीं मांगा गया

डेली गार्जियन पंचकूला के ऐसे तीन बच्चों से मिला, जिनका विवरण अभी तक महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा नहीं मांगा गया है। सिंधिया (बदला हुआ नाम), उम्र 14 अपने छोटे से घर को बेचना चाहती है ताकि वह अपने भाई-बहनों के खर्चों को पूरा कर सके क्योंकि उसके पिता का हाल ही में अप्रैल में कोरोना के कारण निधन हो गया। उसकी मां का पिछले वर्ष कोविड के कारण निधन हो गया था। उसके दो भाई-बहन स्कूल में पढ़ रहे हैं, जबकि वह अब कहीं घरेलू सहायिका के रूप में काम कर रही है। पंचकूला के सेक्टर-6 की शिखा सचदेवा का कहना है कि उसके पड़ोसी उसके नाम को सरकार की सूची में समायोजित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं ताकि बच्चों को कुछ पारिश्रमिक मिलने लगे, लेकिन विभाग की ढिलाई के कारण ऐसा नहीं हो सका।

30,071 बच्चे अनाथ हो गए

5 जून तक विभिन्न 08 राज्यों द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार 30,071 बच्चे अनाथ हो गए, माता-पिता खो गए, या ज्यादातर कोविड-19 महामारी के कारण छोड़ दिए गए। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने सर्वोच्च न्यायालय को 6 जून को सूचित किया। इनमें से करीब 26,176 बच्चों ने माता-पिता को खो दिया है। करीब 3,621 अनाथ हो गए हैं और 274 को अभिभावकों ने छोड़ दिया। आयोग ने शीर्ष अदालत को स्पष्ट किया कि वर्तमान हलफनामे में दिए गए कुल आंकड़ों में 29 मई तक पहले से ही अदालत में जमा किए गए डेटा शामिल हैं, जिसमें कहा गया था कि कोविड-19 महामारी के कारण 9,346 बच्चों को छोड़ दिया गया, अनाथ कर दिया गया, या माता-पिता को खो दिया।

बाल स्वराज पोर्टल पर, चंडीगढ़ से अनाथ बच्चों का डेटा जीरो

चंडीगढ़ की बात करें तो, हाल ही में चंडीगढ़ शिक्षा विभाग ने उन 46 बच्चों की सूची दी, जिन्होंने अपने माता-पिता में से किसी एक को खो दिया या कोरोना के कारण अनाथ हो गए। लेकिन बाल स्वराज पोर्टल पर, चंडीगढ़ से अनाथ बच्चों का डेटा जीरो है और 2 बच्चे होने का दावा किया है जिन्होंने अपने माता-पिता में से किसी एक को खो दिया है।

हिमाचल में उन 98, पंजाब में 23 बच्चे अनाथ

एनसीपीसीआर के अनुसार, हिमाचल प्रदेश में उन 98 बच्चों की सूची है जो अनाथ थे और 803 बच्चे जिनके माता-पिता में से किसी एक की मृत्यु हो गई, जबकि पंजाब ने दावा किया कि उनके 23 बच्चे अनाथ हैं और 106 बच्चे हैं जिनके माता-पिता में से किसी एक की मृत्यु हो गई या उन्हें छोड़ दिया गया।
एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो कहते हैं, “एनसीपीसीआर ने 1 अप्रैल 2020 से अब तक का डेटा एकत्र किया है, जिसमें किसी भी कारण से अनाथ हुए हर बच्चे का डेटा शामिल है और बाल स्वराज पोर्टल पर डेटा अपलोड करने की प्रक्रिया अभी भी जारी है।”
हरियाणा के महिला एवं बाल विकास विभाग की निदेशक हेमा शर्मा से बात करते हुए, वह कहती हैं, हम बाल स्वराज पोर्टल पर डेटा अपलोड कर रहे हैं, हमारे पास 105 बच्चे हैं जो कोविड के कारण अनाथ हुए हैं। मैं पता लगाऊंगी कि एनसीपीसीआर के आंकड़े में इतना अंतर क्यों पाया जाता है।